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कलयुग में परशुराम वही एकमात्र कार्य करेंगे जो उन्होंने त्रेता और द्वापर में किया था?

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Parshuram avatar of Vishnu: भले ही भगवान परशुराम चिरंजीवी माने जाते हैं और कलयुग के अंत में भगवान कल्कि के गुरु के रूप में उनकी एक महत्वपूर्ण भूमिका बताई गई है, लेकिन यह कहना सही नहीं होगा कि कलयुग में वे वही एकमात्र कार्य करेंगे जो उन्होंने त्रेता और द्वापर युग में किए थे। बता दें कि परशुराम ने राम जी को कोदंड धनुष दिया था, कृष्ण जी को सुदर्शन चक्र दिया था और अब कल्कि भगवान को युद्ध में वे स्वयं उनका साथ देंगे। ALSO READ:

यहां कुछ महत्वपूर्ण बातें ध्यान देने योग्य हैं:

• त्रेता और द्वापर में मुख्य कार्य: त्रेता युग में भगवान परशुराम का मुख्य कार्य अत्याचारी क्षत्रियों का नाश करके धर्म की रक्षा करना था। उन्होंने 21 बार पृथ्वी को क्षत्रिय विहीन किया था। द्वापर युग में उन्होंने भीष्म, द्रोणाचार्य और कर्ण जैसे महान योद्धाओं को शस्त्र विद्या सिखाई और महाभारत की घटनाओं में भी उनकी भूमिका रही।

• कलयुग में भूमिका: भविष्य पुराण और कल्कि पुराण जैसे ग्रंथों के अनुसार, कलयुग के अंत में भगवान परशुराम महेंद्र पर्वत पर अपनी तपस्या से उठेंगे और भगवान विष्णु के दसवें अवतार, कल्कि को शस्त्र विद्या और आध्यात्मिक ज्ञान प्रदान करेंगे। वे कल्कि को धर्म की स्थापना और अधर्म के नाश में मार्गदर्शन करेंगे।

• कार्य में भिन्नता: त्रेता और द्वापर में भगवान परशुराम का प्रत्यक्ष रूप से युद्ध और अन्याय के खिलाफ कार्रवाई पर अधिक ध्यान केंद्रित था। जबकि कलयुग में उनकी मुख्य भूमिका भगवान कल्कि के गुरु और मार्गदर्शक के रूप में होगी। उनका कार्य प्रत्यक्ष युद्ध के बजाय ज्ञान और मार्गदर्शन प्रदान करना होगा।


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• युगों का धर्म: प्रत्येक युग का अपना धर्म और आवश्यकताएं होती हैं। त्रेता और द्वापर में क्षत्रियों की शक्ति का संतुलन बिगड़ने पर भगवान परशुराम ने हस्तक्षेप किया। कलयुग में स्थिति भिन्न होगी और भगवान कल्कि को एक अलग प्रकार की चुनौती का सामना करना पड़ेगा, जिसके लिए परशुराम उन्हें तैयार करेंगे।ALSO READ:

अर्थात् भगवान परशुराम कलयुग में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे, लेकिन उनका मुख्य कार्य त्रेता और द्वापर युग के समान अत्याचारियों का नाश करना नहीं होगा। बल्कि, वे भगवान कल्कि के गुरु बनकर धर्म की पुनर्स्थापना में सहायक होंगे।

इसलिए, यह कहना सटीक नहीं है कि वे कलयुग में वही एकमात्र कार्य करेंगे जो उन्होंने पहले किया था। उनकी भूमिका मार्गदर्शन और ज्ञान प्रदान करने की अधिक होगी। अर्थात् परशुराम जी त्रेता और द्वापर युग की तरह ही कलियुग के अंतिम समय में भी एक योद्धा को अस्त्र-शस्त्र का ज्ञान देने की भूमिका निभाएंगे। कलियुग वे स्वयं युद्ध नहीं करेंगे, परंतु अधर्म के विनाश की भूमिका फिर से निभाएंगे।

अस्वीकरण (Disclaimer) : चिकित्सा, स्वास्थ्य संबंधी नुस्खे, योग, धर्म, ज्योतिष, इतिहास, पुराण आदि विषयों पर वेबदुनिया में प्रकाशित/प्रसारित वीडियो, आलेख एवं समाचार सिर्फ आपकी जानकारी के लिए हैं, जो विभिन्न सोर्स से लिए जाते हैं। इनसे संबंधित सत्यता की पुष्टि वेबदुनिया नहीं करता है। सेहत या ज्योतिष संबंधी किसी भी प्रयोग से पहले विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें। इस कंटेंट को जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है जिसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है।ALSO READ:


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