हाल ही में हरियाणा के झज्जर जिले में 4.4 तीव्रता का भूकंप आया, जिसके झटके दिल्ली-एनसीआर और आसपास के इलाकों में महसूस किए गए। भूकंप का केंद्र झज्जर से 10 किलोमीटर की गहराई पर था, और इसका असर दिल्ली, नोएडा, गाजियाबाद और गुरुग्राम जैसे शहरों में स्पष्ट रूप से देखा गया। राष्ट्रीय भूकंप विज्ञान केंद्र (एनसीएस) के अनुसार, यह भूकंप स्थानीय समयानुसार रात 8:34 बजे आया। सौभाग्य से, इस प्राकृतिक घटना से जान-माल का कोई नुकसान नहीं हुआ, लेकिन इसने लोगों के बीच डर और उत्सुकता जरूर पैदा की। कई लोगों ने इसे अपने जीवन का सबसे लंबा भूकंप बताया।
लोगों का अनुभव: डर के साथ जिज्ञासादिल्ली-एनसीआर के निवासियों ने इस भूकंप को लेकर सोशल मीडिया पर अपनी प्रतिक्रियाएं साझा कीं। कुछ लोगों ने बताया कि झटके इतने लंबे थे कि उन्हें लगा कि यह रुकने वाला ही नहीं है। नोएडा की एक गृहिणी, रीता शर्मा ने कहा, "मैं रसोई में थी जब अचानक फर्श हिलने लगा। पहले तो समझ ही नहीं आया, लेकिन जब बर्तन खड़कने लगे, तो डर लगने लगा।" वहीं, दिल्ली के रोहिणी इलाके के एक छात्र, अंकित ने बताया कि वह अपने दोस्तों के साथ पढ़ाई कर रहा था जब टेबल और कुर्सियां हिलने लगीं। कई लोगों ने इसे मजाक में लेते हुए मीम्स भी बनाए, लेकिन कुछ बुजुर्गों ने इसे गंभीरता से लिया और भविष्य में ऐसी घटनाओं से बचाव के उपायों पर चर्चा शुरू कर दी।
भूकंप की वैज्ञानिक व्याख्यावैज्ञानिकों के अनुसार, दिल्ली-एनसीआर का क्षेत्र भूकंपीय जोन IV में आता है, जो मध्यम तीव्रता के भूकंपों के लिए संवेदनशील है। हरियाणा और दिल्ली के आसपास की भूगर्भीय संरचना में टेक्टोनिक प्लेट्स की गतिविधियां समय-समय पर ऐसी घटनाओं को जन्म देती हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि छोटे-मोटे भूकंप ऊर्जा को रिलीज करने में मदद करते हैं, जिससे बड़े भूकंप की संभावना कम हो सकती है। हालांकि, उन्होंने यह भी चेतावनी दी कि भूकंप के प्रति जागरूकता और तैयारी बहुत जरूरी है।
सुरक्षा और जागरूकता: हमें क्या करना चाहिए?भूकंप जैसी प्राकृतिक आपदाओं से निपटने के लिए विशेषज्ञ कुछ बुनियादी सावधानियां बरतने की सलाह देते हैं। भूकंप के दौरान अगर आप घर के अंदर हैं, तो मेज या किसी मजबूत फर्नीचर के नीचे छिप जाएं। खुले मैदान में रहें और बिजली के तारों या ऊंची इमारतों से दूर रहें। दिल्ली जैसे घनी आबादी वाले शहरों में भूकंपरोधी इमारतों का निर्माण और आपातकालीन योजनाओं का होना बेहद जरूरी है। एनसीएस ने लोगों से अपील की है कि वे घबराएं नहीं और भूकंप के समय "ड्रॉप, कवर, होल्ड ऑन" की तकनीक अपनाएं।