जयपुर, 23 जुलाई (Udaipur Kiran) । पूर्व उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के अचानक दिए गए इस्तीफे को लेकर देशभर में चर्चाएं तेज हैं। इस मुद्दे पर पूछे गए सवालों के जवाब में पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि धनखड़ साहब ने कहा कि वह स्वस्थ हैं, फिर अचानक इस्तीफा क्यों दिया गया? गहलोत ने इस इस्तीफे को सिर्फ व्यक्तिगत निर्णय नहीं, बल्कि देश के लोकतंत्र पर मंडरा रहे संकट की एक कड़ी बताया।
प्रदेश कांग्रेस कमेटी के पूर्व अध्यक्ष स्व. परसराम मदेरणा की जयंती पर पीसीसी में मीडिया से बातचीत में गहलोत ने कहा कि कांग्रेस का इस मुद्दे पर रुख हमेशा स्पष्ट रहा है। उन्होंने याद दिलाया कि कांग्रेस पहले भी संसद में उपराष्ट्रपति को लेकर अविश्वास प्रस्ताव ला चुकी है और बार-बार सदन के भीतर और बाहर उनके पक्षपातपूर्ण रवैये पर सवाल उठाए हैं। पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, लोकसभा स्पीकर, राज्यसभा चेयरमैन संवैधानिक पद हैं, इनकी एक अलग गरिमा होती है। अगर इन पदों पर बैठे लोग दबाव में काम करेंगे या पार्टी विशेष के प्रति झुकाव रखेंगे, तो लोकतंत्र का क्या होगा?
गहलोत ने सवाल उठाया कि धनखड़ ने कुछ दिन पहले ही दिल्ली में कहा था कि मैं 2027 तक उपराष्ट्रपति रहूंगा, कोई दैवीय शक्ति आए तभी हटूंगा। फिर अचानक इस्तीफा क्यों?” उन्होंने आरोप लगाया कि इस घटनाक्रम ने पूरे देश को चौंका दिया है और यह लोकतंत्र के गिरते स्तर की ओर संकेत करता है। गहलोत ने कहा कि उन्होंने पहले जोधपुर में कहा था कि संसद के दोनों सदनों के पीठासीन अधिकारी दबाव में काम कर रहे हैं। इसके जवाब में धनखड़ जयपुर में बोले थे कि मैं न दबाव में काम करता हूं, न किसी को दबाव में रखता हूं।” गहलोत ने तंज करते हुए कहा कि अब जब उन्होंने इस्तीफा दिया है, तो कहीं न कहीं दबाव की बात सही साबित होती है।
गहलोत ने कहा कि देश में ईडी, इनकम टैक्स, सीबीआई, चुनाव आयोग जैसी संस्थाएं भी दबाव में काम कर रही हैं। बिहार में एसआईआर (स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन) के तहत मतदाता सूची में छेड़छाड़ की बात करते हुए उन्होंने कहा कि अब वोटर लिस्ट भी सरकार की मर्जी से बन रही है, तो लोकतंत्र कहां बचेगा? गहलोत ने संविधान से ‘सेक्युलर’ और ‘सोशलिस्ट’ शब्द हटाने की चर्चाओं को लेकर भी चिंता जताई। उन्होंने कहा कि “संविधान की मूल भावना में सेक्युलरिज्म और सोशलिज्म दोनों निहित हैं। बाबा साहेब अंबेडकर का जो मूल ड्राफ्ट था, उसमें भी ये भावनाएं थीं। अब इन्हें हटाने की बातें हो रही हैं, जो खतरनाक संकेत हैं। गहलोत ने कहा कि राहुल गांधी बार-बार देश को आगाह कर रहे हैं कि “संविधान बचाओ”, “लोकतंत्र बचाओ” और अब वक्त है कि जनता सच के साथ खड़ी हो। उन्होंने कहा कि अगर जनता नहीं जागी, तो भाजपा-आरएसएस की मनमर्जी देश में चलती रहेगी और आने वाली पीढ़ियां भुगतेंगी।
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(Udaipur Kiran) / रोहित
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