कोलकाता, 08 अगस्त (Udaipur Kiran) । पश्चिम बंगाल के मुख्य निर्वाचन अधिकारी (सीईओ) कार्यालय ने निर्वाचन आयोग को सूचित किया है कि राज्य में विशेष गहन पुनरीक्षण (स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन) की प्रक्रिया शुरू करने के लिए सभी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। यह जानकारी विभिन्न जिलों के जिला निर्वाचन अधिकारियों से मिली रिपोर्टों के आधार पर दी गई है।
आयोग के अधिकारी ने गुरुवार देर रात जारी अपने एक बयान में बताया है कि राज्य में इस तरह का विशेष पुनरीक्षण अंतिम बार वर्ष 2002 में हुआ था। इस वर्ष बिहार में यह प्रक्रिया हाल ही में पूरी की गई है, जहां इसी साल चुनाव होने हैं। अब पश्चिम बंगाल में, जहां अगले वर्ष विधानसभा चुनाव प्रस्तावित हैं, यह प्रक्रिया किसी भी समय शुरू हो सकती है।
राजनीतिक हलकों में इस कदम को लेकर पहले से ही तीखी बयानबाजी चल रही है। तृणमूल कांग्रेस का आरोप है कि यह पुनरीक्षण प्रक्रिया भारतीय जनता पार्टी की ओर से राज्य में एनआरसी लागू करने की साजिश है और चुनाव आयोग भाजपा के इशारे पर काम कर रहा है।
वहीं, भाजपा का कहना है कि तृणमूल कांग्रेस और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी इसलिए इस प्रक्रिया का विरोध कर रही हैं, क्योंकि इसमें रोहिंग्या और बांग्लादेशी घुसपैठियों के नाम मतदाता सूची से हटाए जा सकते हैं।
इस बीच, चुनाव आयोग और राज्य सरकार के बीच टकराव भी बढ़ रहा है। ताजा विवाद उस समय सामने आया जब आयोग ने इस सप्ताह राज्य के मुख्य सचिव मनोज पंत को निर्देश दिया कि चार चुनाव अधिकारियों को निलंबित किया जाए और उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज हो। इन अधिकारियों पर दो विधानसभा क्षेत्रों में मतदाता सूची में नाम जोड़ने में अनियमितता के आरोप हैं। इस कार्रवाई को आयोग की ओर से चुनावी प्रक्रिया में शामिल सभी अधिकारियों के लिए सख्त संदेश माना जा रहा है।
राज्य सरकार अब मुख्य सचिव मनोज पंत को दिए गए आयोग के निर्देश के खिलाफ कानूनी विकल्पों पर विचार कर रही है।
(Udaipur Kiran) / ओम पराशर
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