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1857 की क्रांति में मंगल पांडे का योगदान पर एसपीयू में व्याख्यान आयोजित

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मंडी, 23 अगस्त (Udaipur Kiran) । सरदार पटेल विश्वविद्यालय मंडी के इतिहास विभाग द्वारा आज 1857 की क्रांति में मंगल पांडे का योगदान विषय पर एक अतिथि व्याख्यान का आयोजन किया गया। इस व्याख्यान के मुख्य वक्ता प्रख्यात इतिहासकार डॉ. राज कुमार सहायक आचार्य इतिहास हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय क्षेत्रीय केंद्र धर्मशाला रहे। इस अवसर पर विद्यार्थियों का मार्गदर्शन करते हुए आचार्य ललित कुमार अवस्थी कुलपति सरदार पटेल विश्वविद्यालय मंडी ने इतिहास विभाग की इस पहल की सराहना करते हुए कहा कि ऐसे व्याख्यान विद्यार्थियों को केवल अकादमिक रूप से ही नहीं बल्कि भावनात्मक और वैचारिक स्तर पर भी समृद्ध करते हैं।

उन्होंने कहा कि इतिहास केवल अतीत की घटनाओं का विवरण नहीं है बल्कि यह हमारी राष्ट्रीय चेतना और पहचान का आधार भी है। उन्होंने कहा कि आज जब हम मंगल पांडे के योगदान को स्मरण करते हैं तो यह हमें यह संदेश देता है कि सच्चा राष्ट्रभक्त कठिन से कठिन परिस्थिति में भी अपने कर्तव्य से पीछे नहीं हटता। हमारे विद्यार्थियों को मंगल पांडे जैसे नायकों के जीवन से प्रेरणा लेकर अपने व्यक्तित्व में साहस, नैतिकता और राष्ट्रप्रेम को विकसित करना चाहिए।

मुख्य वक्ता डॉ. राज कुमार ने अपने व्याख्यान में मंगल पांडे को सांस्कृतिक क्रान्ति के जननायक बताते हुए 1857 की क्रान्ति के ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य पर प्रकाश डालते हुए मंगल पांडे की भूमिका को विस्तार से प्रस्तुत किया। डॉ. राज कुमार ने कहा कि मंगल पांडे को भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का अग्रदूत कहा जा सकता है। उन्होंने ब्रिटिश हुकूमत के अन्याय व शोषण के विरुद्ध अपनी आवाज बुलंद की और वीरता का ऐसा उदाहरण प्रस्तुत किया, जिसने पूरे देश में क्रान्ति की ज्वाला प्रज्वलित कर दी।

डॉ. राज कुमार ने बताया कि 29 मार्च 1857 को बैरकपुर छावनी में मंगल पांडे द्वारा दिया गया प्रतिकार ही आगे चलकर 1857 की प्रथम स्वतंत्रता संग्राम का सूत्रपात बना। व्याख्यान के दौरान डॉ. राज कुमार ने क्रान्ति के राजनीतिक, सामाजिक एवं सांस्कृतिक पहलुओं पर चर्चा करते हुए विद्यार्थियों को इतिहास की गहराई से जुड़ने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने कहा कि मंगल पांडे का बलिदान आज भी युवाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत है। इस अवसर पर विभागाध्यक्ष डॉ. राकेश कुमार शर्मा ने मुख्य वक्ता का हिमाचली टोपी एवं पुस्तक भेंट कर स्वागत किया और कहा कि ऐसे व्याख्यान विद्यार्थियों में इतिहास की जिज्ञासा और राष्ट्रीय चेतना को प्रबल करते हैं।

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(Udaipur Kiran) / मुरारी शर्मा

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