इंदौर, 26 जून (Udaipur Kiran) । अपनी खास अंदाज केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान गुरुवार को इंदौर में खेतों में ट्रैक्टर चलाते नजर आए। केंद्रीय कृषि मंत्री कृषकों से संवाद और फार्म रिसोर्स हब का शिलान्यास करने के लिए इंदौर स्थित भारतीय कृषि अनुसंधान केन्द्र में पहुंचे थे। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि मैं सिर्फ कृषि मंत्री नहीं हूं, बल्कि एक किसान भी हूं और खेती मेरी हर सांस में बसी है।
उन्होंने कहा कि आज पूरी एग्रीकल्चर टीम इंदौर में है। देश के सर्वश्रेष्ठ वैज्ञानिक कृषि विज्ञान केंद्र के लोग, एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटीज के लोग राज्य और केंद्र सरकार के अधिकारी साथ है। उन्होंने स्टैयरिंग थामकर ट्रैक्टर चलाया और किसानों के प्रति अपनी प्रतिबद्धता जताई। इस दौरान ट्रैक्टर पर उनके साथ सांसद शंकर लालवानी और विधायक मनोज पटेल भी साथ बैठे थे। इस कार्यक्रम में मंत्री कैलाश विजयवर्गीय भी पहुंचे। उन्होंने केन्द्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान से अकेले में लगभग 15 मिनट तक चर्चा भी की।
केंद्रीय कृषि मंत्री चौहान ने भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद परिसर में आयोजित कार्यक्रम में फार्म रिसोर्स हब का शिलान्यास किया और कृषि वैज्ञानिकों से खेती की उन्नत तकनीकों पर चर्चा की। शिवराज सिंह का यह दौरा सिर्फ एक औपचारिक यात्रा नहीं, बल्कि किसानों के साथ जुड़ने और खेती को बेहतर बनाने का प्रयोगात्मक प्रयास था। इंदौर में ट्रैक्टर चलाने से लेकर उच्चस्तरीय बैठकों तक, शिवराज ने यह साबित किया कि वे ‘कागज पर नहीं, खेत में उतरकर फैसले करना जानते हैं।
कार्यक्रम के दौरान शिवराज सिंह चौहान ने मध्य प्रदेश, राजस्थान और महाराष्ट्र के कृषि मंत्रियों एवं सोयाबीन उत्पादक राज्यों के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ सोयाबीन की घटती उत्पादकता पर गंभीर चर्चा की। बैठक में ‘खाद्य तेलों पर राष्ट्रीय मिशन-तिलहन’ के अंतर्गत प्रस्तुति दी गई, जिसमें सोयाबीन की खेती से जुड़े इतिहास, वर्तमान परिदृश्य, चुनौतियां और समाधान पर विमर्श हुआ।
शिवराज ने कहा कि “तिलहन फसलों में देश में 34% योगदान सोयाबीन का है, लेकिन इसके बावजूद इसका उत्पादन लगातार घट रहा है। एलोमोजिक बीमारी जैसी समस्याएं किसानों की मेहनत को बर्बाद कर रही हैं। किसान बार-बार कीटनाशक डाल रहे हैं, लेकिन फसल नहीं बच पा रही।
उन्होंने यह भी कहा कि भारत को हर साल लगभग 1.32 लाख करोड़ का खाद्य तेल आयात करना पड़ता है। ऐसे में यह जरूरी हो गया है कि हम देश में तेल उत्पादन बढ़ाने के उपाय करें। इसी उद्देश्य से यह बैठक आयोजित की गई थी ताकि किसानों से मिलकर उनके अनुभवों से नीतियां बनाई जा सकें।
उन्होंने स्पष्ट किया कि “किसानों के साथ बैठकर ही समाधान निकलेगा। हम सिर्फ मंत्रालय में बैठकर फैसले नहीं करना चाहते, बल्कि किसानों की बात सुनकर ही नई योजनाएं बनाना चाहते हैं।” कार्यक्रम में किसानों ने भी अपनी समस्याएं खुलकर साझा कीं और वैज्ञानिकों ने समाधान सुझाए। माना जा रहा है कि जल्द ही केंद्र सरकार सोयाबीन और अन्य तिलहन फसलों के लिए नई रणनीति की घोषणा कर सकती है।
उन्होंने बताया कि सोयाबीन किसानों की समृद्धि के लिए आज राष्ट्रीय सोयाबीन अनुसंधान संस्थान, इंदौर में वैज्ञानिकों और कृषि विशेषज्ञों के साथ व्यापक विचार-विमर्श किया। दिनभर चली चर्चा से कई उपयोगी सुझाव प्राप्त हुए हैं। इन सुझावों के आधार पर आगामी कार्ययोजना तैयार की जाएगी। मैंने वैज्ञानिकों को ऐसे बीज विकसित करने के लिए निर्देशित किया है जो अधिक उत्पादन देने वाले हों और रोगों का प्रभावी ढंग से सामना कर सकें, ताकि किसानों की आय बढ़ सके। यह संवाद किसानों की वास्तविक ज़रूरतों को समझने और उसके अनुरूप अनुसंधान की दिशा तय करने में अत्यंत उपयोगी सिद्ध होगा।
(Udaipur Kiran) तोमर
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