रांची, 28 अक्टूबर (Udaipur Kiran) . Jharkhand जनाधिकार महासभा सहित विभिन्न सामाजिक संगठनों ने विगत 27 अक्टूबर को चाईबासा में नो-एंट्री लागू करवाने की मांग पर शांतिपूर्ण आंदोलन कर रहे आदिवासी-मूलवासियों पर पुलिस की बर्बरतापूर्वक लाठीचार्ज करने की घटना कड़ी आपत्ति जताई है. मंगलवार को प्रेस विज्ञप्ति जारी कर महसभा की ओर से घटना के दोषियों पर अविलंब करवाई नहीं करने पर सरकार के खिलाफ आंदोलन की चेतावनी दी गई है. विज्ञप्ति में चाइबासा पुलिस की इस कार्रवाई को अत्यंत निंदनीय बताया बताया गया और दोषी पुलिस अधिकारियों पर सरकार की ओर से तत्काल कार्रवाई करने की मांग की गई है.
महासभा ने कहा कि जब चाइबासा क्षेत्र के लोग लंबे समय से वहां एनएच-220 और एनएच-75 पर दिन में बड़े वाहनों के प्रवेश पर रोक की मांग कर रहे हैं क्योंकि लौह अयस्क से भरे ट्रक और डंपर दिन-रात चलने से हादसे बढ़े हैं. लेकिन स्थानीय विधायक सह परिवहन मंत्री दीपक बिरुआ खामोश रहते हैं. स्थानीय लोगों के विरोध करने पर उल्टा वैसे लोगों निर्दोषों पर लाठी बरसाई जाती है. महासभा ने आरोप लगाया गया कि मंत्री दीपक बिरुआ को आमजनता की समस्याओं से अधिक चिंता खनन और परिवहन कंपनियों का है. इसलिए इस लाठीचार्ज का आमजनों के पक्ष में कोई ठोस पक्ष नहीं लिया.
महासभा ने लाठीचार्ज के बाद चार आंदोलनकारी युवाओं की गिरफ्तारी पर रोष जताते हुए उन्हें तुरंत रिहा करने की मांग की. महासभा ने चेतावनी दी कि यदि राज्य सरकार ने कार्रवाई नहीं की, तो आंदोलन को राज्यव्यापी रूप दिया जाएगा.
महासभा की ओर से विरोध करनेवालों वालों में अजय एक्का, अलोका कुजूर, अमन मरांडी, अफज़ल अनीस, अम्बिका यादव, अम्बिता किस्कू, अपूर्वा, अरुनांशु बनर्जी, अशोक वर्मा, भरत भूषण चौधरी सहित अन्य के नाम शामिल हैं.
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(Udaipur Kiran) / Manoj Kumar
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