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हाई कोर्ट ने यौन उत्पीड़न एवं पॉक्सो एक्ट से किया दोषमुक्त

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– छात्राओं का पीछा करने और छेड़छाड़ का दोषी- निचली अदालत की सजा में आंशिक संशोधन

नैनीताल, 22 जुलाई (Udaipur Kiran) । हाई कोर्ट ने यौन उत्पीड़न एंव पॉक्सो एक्ट में निचली अदालत से दोषसिद्ध आरोपित उजैब की सजा में आंशिक संशोधन करते हुए उसे यौन उत्पीड़न एवं पॉक्सो एक्ट की गम्भीर धाराओं से दोषमुक्त करार दिया है, लेकिन बालिकाओं का पीछा करने और छेड़छाड़ करने की धाराओं में दोषी माना है।

न्यायमूर्ति रवीन्द्र मैठाणी की एकलपीठ के समक्ष मामले की सुनवाई हुई। विशेष सत्र न्यायालय की ओर से 15 जनवरी 2025 को अभियुक्त उजैब को धारा 354 आईपीसी तथा पॉक्सो एक्ट के तहत दोषी मानते हुए चार वर्ष के कठोर कारावास और जुर्माने की सजा दी गई थी। अभियोजन पक्ष के अनुसार अभियुक्त दो छात्राओं का लगातार पीछा करता था। 14 फरवरी 2023 को जब दोनों बालिकाएं स्कूल से लौट रही थीं तो अभियुक्त ने फिर से पीछा किया और कथित रूप से एक पीड़िता से छेड़छाड़ का प्रयास किया। पीड़िताओं के शोर मचाने पर स्थानीय लोगों ने अभियुक्त को पकड़कर पुलिस को सौंपा। प्राथमिकी पीड़ित की माता द्वारा दर्ज कराई गई थी। हाई कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि रिकॉर्ड पर मौजूद दोनों पीड़िताओं के साक्ष्य स्वाभाविक एवं विश्वसनीय हैं, जिससे यह स्पष्ट होता है कि अभियुक्त ने बार-बार पीछा किया जबकि उसे ऐसा न करने की चेतावनी दी गई थी। हालांकि पीड़िताओं ने किसी भी प्रकार की शारीरिक छेड़छाड़ या बल प्रयोग का उल्लेख नहीं किया। इस आधार पर न्यायालय ने स्पष्ट किया कि स्त्री की लज्जा भंग करने हेतु हमला व बल प्रयोग तथा पॉक्सो एक्ट की धाराओं की शर्तें पूरी नहीं होतीं। वहीं आईपीसी की स्टॉकिंग संबंधी और पॉक्सो एक्ट यौन उत्पीड़न संबंधी धारा के तहत अपराध सिद्ध पाया गया और उसे पहले से जेल में बिताई गई अवधि को सजा मानते हुए 10 हजार रुपये जुर्माना लगाया गया। जुर्माने का भुगतान न करने की दशा में एक माह का साधारण कारावास भुगतना होगा।

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(Udaipur Kiran) / लता

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