–कोर्ट ने कहा, संदेह से परे नहीं साबित हुआ अपराध
प्रयागराज, 26 जून (Udaipur Kiran) । इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हत्या के आरोपित पंकज को 14 साल की लम्बी लड़ाई के बाद उम्रकैद की सजा रद्द करते हुए आरोपों से बरी कर दिया है।
यह आदेश न्यायमूर्ति राजीव गुप्ता और न्यायमूर्ति हरवीर सिंह की खंडपीठ ने सजा के खिलाफ अपील को स्वीकार करते हुए दिया है। सत्र अदालत मेरठ ने 9 मार्च 2015 को हत्या का दोषी करार देते हुए सजा सुनाई थी।
वर्ष 2009 में मेरठ के सरूरपुर थाने में पंकज के खिलाफ हत्या और आर्म्स एक्ट के तहत एफआईआर दर्ज कराई गई थी। अभियोजन पक्ष का आरोप था कि 24 नवम्बर 2009 की शाम पारुल नामक महिला पर दो अज्ञात हमलावरों ने चाकू से हमला किया था, जिससे उसकी मृत्यु हो गई थी। पंकज पर आरोप था कि युवती ने शादी से इन्कार किया तो उसने सह आरोपी के साथ मिलकर चाकू से हमला कर हत्या कर दी। ट्रायल कोर्ट ने दोषी ठहराकर सजा सुनाई थी, जिसके खिलाफ उसने हाईकोर्ट में अपील की।
हाईकोर्ट ने प्रस्तुत साक्ष्यों की गहन समीक्षा की और पाया कि अभियोजन द्वारा दी गई गवाही व चाकू की बरामदगी संदेहास्पद हैं। अदालत ने विशेष रूप से भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 27 के तहत दिए गए बयान और गन्ने के खेत से हुई बरामदगी की वैधता पर सवाल उठाए। अदालत ने यह भी पाया कि बरामदगी के समय पुलिस के अलावा कोई स्वतंत्र गवाह मौजूद नहीं था, जिससे साक्ष्य की विश्वसनीयता और कमजोर हो गई।
कोर्ट ने माना कि पंकज के खिलाफ आरोप संदेह के परे साबित नहीं हो सके। इसके साथ ही अपील स्वीकार करते हुए उसे सभी आरोपों से मुक्त कर दिया गया। सह आरोपी की पहले ही मृत्यु हो चुकी है, इसलिए उसकी अपील समाप्त कर दी गई थी।
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(Udaipur Kiran) / रामानंद पांडे
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