रांची, 23 मई . राज्य भर में सुहागिन महिलाएं 26 मई को वट सावित्री का व्रत करेंगी. वट सावित्री पर्व का सनातन धर्म में विशेष महत्व है. यह पर्व हर वर्ष के ज्येष्ठ महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी अमावस्या तिथि मनाया जाता है. इस बार कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी अमावस्या की तिथि 26 मई को 12 बजकर 11 मिनट से शुरू होगी और अगले दिन 27 मई को सुबह 8 बजकर 31 मिनट पर तिथि को समाप्त होगी.
इसी दिन सोमवती अमावस्या भी मनाई जाएगी. वट सावित्री व्रत भारतीय संस्कृति में विवाहित महिलाओं के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण पर्व है, जो पति की लंबी उम्र और सुखमय दांपत्य जीवन की कामना से जुड़ा हुआ है. यह व्रत विशेष रूप से सावित्री के अपने पति सत्यवान के प्राण यमराज से वापस लाने की पौराणिक कथा से प्रेरित है.
वट सावित्री व्रत का धार्मिक महत्व अत्यधिक है.
मान्यता है कि इस दिन वट वृक्ष की पूजा करने से त्रिदेव ब्रह्मा, विष्णु और महेश की कृपा प्राप्त होती है. इससे जीवन में सुख, समृद्धि और सौभाग्य का वास होता है. इसके अतिरिक्त, इस दिन किए गए व्रत से पापों का नाश होता है और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है.
विश्व हिंदू परिषद, सेवा विभाग और प्रणामी ट्रस्ट के प्रांतीय प्रवक्ता संजय सर्राफ ने शुक्रवार को कहा कि वट सावित्री व्रत न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि यह महिलाओं के साहस, समर्पण और प्रेम का भी प्रतीक है. इस दिन विवाहित महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र और सुखमय जीवन की कामना करती हैं. यह पर्व भारतीय समाज में महिलाओं की शक्ति और उनके परिवार के प्रति समर्पण को दर्शाता है. वहीं यह अवसर महिलाओं के लिए अपने परिवार की सुख-शांति और समृद्धि की कामना करने का है.
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/ Vinod Pathak
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