मंदिर परिसर में लाखों रुपये की लागत से स्थापित एलईडी हाल ही में धूल और जर्जर हालत में पाई गई है। सितंबर 2022 में मंदिर प्रशासन ने श्रद्धालुओं के सुविधा और आकर्षण को ध्यान में रखते हुए 10 एलईडी स्क्रीन स्थापित की थीं। इन स्क्रीन के माध्यम से बाहरी दर्शक घर बैठे ही मां के लाइव दर्शन कर सकते थे।
मंदिर के नियमित दर्शनार्थियों का कहना है कि एलईडी की खराब स्थिति से दर्शन अनुभव प्रभावित हो रहा है। “पहले एलईडी के जरिए दूर से भी मां के दर्शन सुखद अनुभव होते थे, लेकिन अब स्क्रीन धूल और गंदगी से ढकी हुई हैं। इसका असर श्रद्धालुओं की भावनाओं पर पड़ रहा है,” उन्होंने बताया।
स्थानीय प्रशासन ने बताया कि एलईडी की देखभाल और सफाई का जिम्मा मंदिर समिति को सौंपा गया था। लेकिन हाल के महीनों में पर्याप्त रखरखाव न होने के कारण ये स्क्रीन जर्जर और धूल भरी स्थिति में पहुँच गई हैं। इसके अलावा, तकनीकी खराबी और वायरिंग की समस्या भी देखी गई है।
विशेषज्ञों का कहना है कि मंदिर जैसी धार्मिक स्थलों में आधुनिक तकनीक का उपयोग श्रद्धालुओं को सुविधा देने और अनुभव को बढ़ाने के लिए किया जाता है। लेकिन देखभाल और समय-समय पर मेंटेनेंस न होने पर यह तकनीक जल्दी ही खराब हो सकती है। एलईडी की सही स्थिति में न होने से मंदिर की छवि पर भी नकारात्मक असर पड़ सकता है।
श्रद्धालुओं ने मंदिर प्रशासन से आग्रह किया है कि जल्द से जल्द स्क्रीन की सफाई, मरम्मत और तकनीकी निरीक्षण किया जाए। उनका कहना है कि इससे न केवल दर्शन की सुविधा बनी रहेगी बल्कि बाहर से आने वाले भक्तों का मनोबल भी ऊँचा रहेगा।
मंदिर समिति के एक अधिकारी ने कहा कि एलईडी की सफाई और तकनीकी रखरखाव के लिए योजना बनाई जा रही है। उन्होंने आश्वासन दिया कि जल्द ही स्क्रीन को पूरी तरह से कार्यशील और साफ-सुथरा किया जाएगा।
मंदिर प्रशासन के अनुसार, एलईडी लगाने का मुख्य उद्देश्य बाहरी दर्शकों को लाइव दर्शन का अनुभव देना था। इसके माध्यम से उन भक्तों को भी सुविधा मिलती थी जो मंदिर परिसर नहीं आ सकते थे। अब स्क्रीन की खराब स्थिति से यह उद्देश्य प्रभावित हो रहा है।
धार्मिक विशेषज्ञों का कहना है कि आधुनिक तकनीक और परंपरा का संतुलन बनाए रखना जरूरी है। मंदिरों में तकनीक का सही उपयोग और समय-समय पर रखरखाव न केवल सुविधा बढ़ाता है, बल्कि श्रद्धालुओं के अनुभव को भी समृद्ध करता है।
इस प्रकार, श्री चामुंडा नंदिकेश्वर धाम मंदिर में एलईडी स्क्रीन की धूल भरी स्थिति ने श्रद्धालुओं के अनुभव को प्रभावित किया है। प्रशासन और मंदिर समिति के लिए यह जरूरी है कि जल्द से जल्द इसे दुरुस्त करवा कर भक्तों को पूरी सुविधा प्रदान की जाए।