जीएसटी काउंसिल की 56वीं बैठक में जीएसटी में कई सुधार किए गए। स्वास्थ्य और जीवन बीमा पर अब जीएसटी नहीं लगेगा। हालांकि, विपक्ष लगातार जीएसटी को लेकर सवाल उठा रहा है। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने भी जीएसटी सुधार को लेकर केंद्र सरकार पर हमला बोला है। उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि देश में पहली बार किसानों पर टैक्स लगाया गया है। सरकार ने कृषि क्षेत्र की कम से कम 36 वस्तुओं पर जीएसटी लगाया था। इसलिए हमने भाजपा के इस जीएसटी को गब्बर सिंह टैक्स का नाम दिया है। इसके अलावा, आइए जानते हैं उन्होंने क्या कहा।
भाजपा ने किया था विरोध
खड़गे ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर पोस्ट करके लिखा, "कांग्रेस पार्टी ने अपने 2019 और 2024 के घोषणापत्रों में सरल और तर्कसंगत कर प्रणाली के साथ GST 2.0 की माँग की थी। हमने भी GST के जटिल अनुपालन को सरल बनाने की माँग की थी, जिससे MSME और छोटे व्यवसाय बुरी तरह प्रभावित हुए। 28 फ़रवरी 2005 को कांग्रेस-UPA सरकार ने लोकसभा में GST की औपचारिक घोषणा की थी। 2011 में जब तत्कालीन वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी GST विधेयक लेकर आए, तो भाजपा ने इसका विरोध किया था। उस समय नरेंद्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे। उन्होंने भी GST का विरोध किया था। आज वही भाजपा सरकार रिकॉर्ड GST संग्रह का जश्न मना रही है, मानो आम लोगों से कर वसूलकर उसने कोई बड़ा काम कर दिया हो।"
GST को दिया गया नया नाम
इसके अलावा, लिखा था कि "देश के इतिहास में पहली बार किसानों पर कर लगाया गया है। इस मोदी सरकार ने कृषि क्षेत्र की कम से कम 36 वस्तुओं पर GST लगाया है।" दूध, दही, आटा, अनाज जैसी दैनिक उपयोग की वस्तुओं, यहाँ तक कि बच्चों की पेंसिल, किताबें, ऑक्सीजन, बीमा और अस्पताल के खर्चों पर भी जीएसटी लगा दिया गया। इसीलिए हमने भाजपा के इस जीएसटी को 'गब्बर सिंह टैक्स' नाम दिया। कुल जीएसटी का दो-तिहाई यानी 64 प्रतिशत हिस्सा गरीबों और मध्यम वर्ग की जेब से आता है, लेकिन अरबपतियों से केवल 3 प्रतिशत जीएसटी लिया जाता है, जबकि कॉर्पोरेट टैक्स की दर 30 प्रतिशत से घटाकर 22 प्रतिशत कर दी गई है।
उन्होंने यह भी कहा
वहीं, पिछले 5 वर्षों में आयकर संग्रह में 240 प्रतिशत और जीएसटी संग्रह में 177 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने अंत में लिखा, "यह अच्छा है कि सरकार 8 साल बाद भी जीएसटी पर अपनी कुंभकर्णी नींद से जागी और उन्होंने दरों को तर्कसंगत बनाने की बात की है। सभी राज्यों को 2024-25 को आधार वर्ष मानकर 5 वर्षों की अवधि के लिए क्षतिपूर्ति दी जानी चाहिए, क्योंकि दरों में कमी से उनके राजस्व पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ना तय है।"
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