राजस्थान विश्वविद्यालय का 34वां दीक्षांत समारोह गुरुवार को भव्य रूप से आयोजित किया गया। इस ऐतिहासिक अवसर पर समारोह की अध्यक्षता राज्यपाल एवं कुलाधिपति श्री हरिभाऊ बागडे ने की। समारोह में विभिन्न संकायों के विद्यार्थियों को उपाधियाँ प्रदान की गईं और उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले विद्यार्थियों को गोल्ड मेडल से सम्मानित किया गया।
समारोह में विश्वविद्यालय के 124 विद्यार्थियों को उनकी शैक्षणिक उत्कृष्टता के लिए स्वर्ण पदक (गोल्ड मेडल) प्रदान किए गए। ये विद्यार्थी विश्वविद्यालय की विभिन्न स्नातक व स्नातकोत्तर परीक्षाओं में प्रथम स्थान प्राप्त करने वाले थे। इसके अतिरिक्त, कुल 309 विद्यार्थियों को पीएच.डी. की उपाधियाँ प्रदान की गईं, जिन्होंने अपने-अपने विषयों में गहन शोध कर विद्वत्ता प्राप्त की है।
राज्यपाल हरिभाऊ बागडे ने विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए कहा, "यह दीक्षांत समारोह केवल उपाधियाँ प्राप्त करने का ही नहीं, बल्कि भविष्य की जिम्मेदारियों को समझने और राष्ट्र निर्माण में सक्रिय भागीदारी निभाने का भी प्रतीक है।" उन्होंने विद्यार्थियों को सतत अध्ययन, नैतिक मूल्यों और समाजसेवा के मार्ग पर चलने का आह्वान किया।
इस अवसर पर विश्वविद्यालय प्रशासन ने वर्ष 2023 की वार्षिक एवं सेमेस्टर परीक्षाओं में उत्तीर्ण हुए 1,50,287 विद्यार्थियों को उपाधियाँ प्रदान करने की औपचारिक घोषणा की। इन विद्यार्थियों को उनके संबंधित कॉलेजों और विभागों के माध्यम से डिग्रियाँ प्रदान की जाएंगी। यह आंकड़ा राज्य में उच्च शिक्षा की बढ़ती पहुँच और विद्यार्थियों की अकादमिक प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
समारोह में कुलपति प्रो. आलोक शर्मा ने विश्वविद्यालय की उपलब्धियों पर प्रकाश डाला और बताया कि पिछले एक वर्ष में विश्वविद्यालय ने अकादमिक, अनुसंधान और नवाचार के क्षेत्र में कई नए कीर्तिमान स्थापित किए हैं। उन्होंने बताया कि विश्वविद्यालय अब राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अनुरूप अपने पाठ्यक्रमों में बदलाव कर रहा है ताकि विद्यार्थियों को वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाया जा सके।
समारोह में राज्य सरकार के प्रतिनिधियों, विश्वविद्यालय के प्रोफेसर्स, अभिभावकों और बड़ी संख्या में विद्यार्थियों ने हिस्सा लिया। दीक्षांत समारोह के दौरान सांस्कृतिक प्रस्तुतियाँ भी आयोजित की गईं, जिनमें राजस्थान की लोकसंस्कृति की झलक देखने को मिली।
इस समारोह ने विश्वविद्यालय के गौरवशाली इतिहास में एक और सुनहरा अध्याय जोड़ा है और यह विद्यार्थियों के जीवन में एक प्रेरणादायक क्षण बनकर सामने आया। दीक्षांत समारोह के अंत में राष्ट्रगान के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ।
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