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जोधपुर IIT में डायरेक्टर और सहायक प्रोफेसर के बीच विवाद हिंसक हुआ, दोनों पक्षों ने दर्ज कराई FIR

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राजस्थान के जोधपुर स्थित भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT) में बुधवार को एक विवाद ने हिंसक रूप ले लिया। संस्थान के डायरेक्टर अविनाश कुमार अग्रवाल और सहायक प्रोफेसर डॉ. दीपक कुमार अरोड़ा के बीच हुई कहासुनी के बाद मामला हाथापाई तक पहुंच गया। इस घटना में दोनों पक्षों को चोटें आईं और विवाद की सूचना करवड़ पुलिस स्टेशन तक पहुंच गई।

सूत्रों के अनुसार, विवाद के दौरान दोनों पक्षों ने एक-दूसरे पर गंभीर आरोप लगाते हुए परस्पर विरोधी FIR दर्ज कराई है। बताया जा रहा है कि विवाद का आरंभ किसी प्रशासनिक और अकादमिक मामलों को लेकर हुआ, लेकिन किसी बात को लेकर आपसी बहस ने हिंसक रूप ले लिया। पुलिस ने मौके पर पहुंचकर दोनों पक्षों को शांत कराया और मामले की जांच शुरू कर दी है।

IIT जोधपुर प्रशासन ने भी मामले को गंभीरता से लिया है। संस्थान के अधिकारीयों ने बताया कि वे दोनों पक्षों से विवरण ले रहे हैं और जल्द ही मामले की आंतरिक जांच कर रहे हैं। प्रशासन ने कहा कि संस्थान में शांति बनाए रखना और शिक्षण कार्य को प्रभावित न होने देना प्राथमिकता है।

वहीं, शिक्षकों और छात्रों के बीच इस घटना ने चिंता की लकीर खींच दी है। कई छात्रों और कर्मचारियों ने मीडिया को बताया कि IIT जैसे प्रतिष्ठित संस्थान में इस प्रकार की हिंसक घटना दुर्भाग्यपूर्ण है और इससे संस्थान की छवि पर असर पड़ सकता है। छात्रों ने दोनों पक्षों से शांति बनाए रखने और किसी भी तरह की हिंसा से दूर रहने की अपील की है।

विशेषज्ञों का कहना है कि शिक्षा संस्थानों में अकादमिक और प्रशासनिक मतभेद आम हैं, लेकिन उन्हें हल्के-फुल्के विवाद या बातचीत के माध्यम से सुलझाना चाहिए। किसी भी प्रकार की हिंसा न केवल संस्थान की प्रतिष्ठा को प्रभावित करती है, बल्कि शिक्षकों और छात्रों दोनों के मानसिक स्वास्थ्य पर भी नकारात्मक असर डालती है।

पुलिस ने मामले की जांच शुरू कर दी है और आसपास के CCTV फुटेज, गवाहों के बयान और घटना के सभी पहलुओं को ध्यान में रखकर निष्पक्ष रिपोर्ट तैयार करने की बात कही है। FIR दर्ज होने के बाद दोनों पक्षों को समन जारी किया जा सकता है और कानून के तहत आवश्यक कार्रवाई की जाएगी।

राजनीतिक और शैक्षणिक विशेषज्ञों का मानना है कि IIT जैसे संस्थानों में अनुशासन और पेशेवर व्यवहार बनाए रखना बेहद आवश्यक है। इस विवाद ने यह भी उजागर किया है कि शिक्षण संस्थानों में विवादों को प्रभावी रूप से नियंत्रित करने और त्वरित समाधान के लिए ठोस नियम और तंत्र होना जरूरी है।

IIT जोधपुर प्रशासन ने सभी कर्मचारियों और छात्रों से शांति बनाए रखने और विवाद से दूर रहने की अपील की है। मामले की जांच पूरी होने के बाद प्रशासन और पुलिस संयुक्त रूप से आवश्यक कार्रवाई करेंगे, ताकि संस्थान में शिक्षण और अनुसंधान की प्रक्रिया प्रभावित न हो।

इस प्रकार, IIT जोधपुर में हुए इस विवाद ने न केवल संस्थान के प्रशासनिक तंत्र की परीक्षा ली है, बल्कि यह भी स्पष्ट किया कि शैक्षणिक संस्थानों में विवाद सुलझाने के लिए समय पर कार्रवाई और संवाद आवश्यक है।

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