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चीन को अखरने लगी है भारत की तरक्की! फर्टिलाइजर के लिए अब इन देशों से करेगा डील

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चीन ने भारत के विशेष उर्वरक के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया है, वह भी ऐसे मौसम में जब खेती के लिए विशेष उर्वरक की ज़रूरत ज़्यादा थी। चीन ने बिना आधिकारिक घोषणा किए सिर्फ़ शिपमेंट रोक दिए हैं। ऐसे में, भारत अब यूरोपीय संघ (ईयू) और पश्चिम एशिया के कुछ देशों समेत कुछ अन्य देशों से उर्वरक आयात करने पर विचार कर रहा है।

भारतीय कंपनियाँ विशेष उर्वरकों के लिए कच्चा माल आयात करने के लिए यूरोप, रूस और पश्चिम एशिया का रुख कर रही हैं। हालाँकि, इससे उर्वरक की उत्पादन लागत बढ़ जाएगी। इकोनॉमिक टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, उच्च उपलब्धता, कम समय और किफायती कीमतों के कारण चीन इन आयातों के लिए पसंदीदा स्रोत रहा है।

अन्य देशों से आ रहा उर्वरक कुछ कंपनियों का कहना है कि अन्य देशों से उर्वरक का आयात चीन की तुलना में 10 से 20 प्रतिशत महंगा हो सकता है। अनुमान है कि चीनी बंदरगाहों पर फंसे 1,50,000-1,60,000 टन विशेष उर्वरकों की जगह लेने के लिए लगभग 80,000-1,00,000 टन कच्चा माल वैकल्पिक स्रोतों से भारत पहुँच सकता है। इससे उर्वरकों के लिए चीन पर निर्भरता कम होगी, जिससे चीन को निर्यात में नुकसान होगा।

चीन ने प्रतिबंध क्यों लगाया? चीन ने उर्वरकों के निर्यात को लेकर कोई आधिकारिक घोषणा नहीं की है। चीनी अधिकारियों ने भारत को भेजे जाने वाले शिपमेंट की जाँच बंद कर दी है, जो निर्यात मंज़ूरी के लिए अनिवार्य है। चीन विशेष उर्वरकों का सबसे बड़ा निर्यातक है और वैश्विक बाजार में इसकी हिस्सेदारी 32 प्रतिशत है। भारत चीन से 80 प्रतिशत तक आयात करता है। चीन भारत के अलावा अन्य देशों को निर्यात करता रहता है।

यह उर्वरक इतना खास क्यों है? दरअसल, विशेष उर्वरकों के इस्तेमाल से फसलों की पैदावार में बढ़ोतरी देखी गई है। फलों, सब्जियों से लेकर अन्य फसलों तक, विशेष उर्वरकों का इस्तेमाल किया गया है। ऐसे में विशेष उर्वरक का इस्तेमाल और भी ज़रूरी हो जाता है। अब चीन द्वारा शिपमेंट रोकने के बाद भारत दूसरे देशों की ओर देख रहा है, जिससे उर्वरक की कीमत बढ़ेगी।

दुर्लभ खनिजों पर भी लगा है प्रतिबंध गौरतलब है कि चीन ने दुर्लभ खनिजों की शिपमेंट भी रोक दी है, जिससे भारत के इलेक्ट्रॉनिक और ऑटो उद्योग पर खतरा मंडरा रहा है। हालाँकि, इसके लिए भी भारत ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों से बात कर रहा है, ताकि दुर्लभ मृदा खनिजों की आपूर्ति की जा सके। दुर्लभ मृदा खनिजों के 90 प्रतिशत निर्यात पर चीन का नियंत्रण है।

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