पहलगाम आतंकवादी हमले के बाद सुरक्षा मामलों की कैबिनेट समिति (सीसीएस) के फैसले से देशभर में रह रहे पाकिस्तान से आए हिंदू शरणार्थियों के लिए बड़ा संकट पैदा हो गया है। राजस्थान के सीमावर्ती क्षेत्रों और अन्य शहरों में 40,000 से अधिक पाकिस्तानी शरणार्थी रहते हैं।
हालांकि, इस मामले के प्रकाश में आते ही गृह मंत्रालय ने कहा कि जिनके पास दीर्घकालिक वीजा है, वे भारत में रह सकेंगे, लेकिन प्राप्त जानकारी के अनुसार गृह मंत्रालय ने पिछले 2 वर्षों से राजस्थान में किसी भी पाकिस्तानी शरणार्थी को एलटीए जारी नहीं किया है।
इसके बाद शुक्रवार शाम को गृह मंत्री अमित शाह ने राज्यों के साथ बैठक कर इस मामले पर एक और स्पष्टीकरण जारी किया, जिसमें कहा गया कि जिन लोगों ने एलटीए के लिए आवेदन किया है, उन पर भी विचार किया जाएगा, लेकिन इसके बाद भी 3 हजार से अधिक पाक विस्थापित शरणार्थियों के सामने देश छोड़ने का संकट मंडरा रहा है। राजस्थान में पाकिस्तानी शरणार्थियों के लिए काम करने वाले फ्रंटियर ऑर्गनाइजेशन के अध्यक्ष हिंदू सिंह सोढ़ा ने कहा कि उन्होंने इस संबंध में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा है। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान से कई ऐसे लोग हैं जो धार्मिक उत्पीड़न का सामना करने के बाद भारत आए हैं, जो हाल ही में यहां आए हैं और जिन्होंने एलटीए के लिए आवेदन भी नहीं किया है, लेकिन उनकी पत्नियां, बच्चे और अन्य रिश्तेदार यहां रहते हैं।
ऐसे में इन लोगों की मुश्किलें दोगुनी हो गई हैं। एक तरफ पहलगाम में धर्म पूछकर लोगों की गोली मारकर हत्या कर दी गई तो दूसरी तरफ यहां धार्मिक उत्पीड़न के शिकार हिंदुओं को सरकार के आदेश के बाद परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। उन्होंने बताया कि राजस्थान में करीब 10 पाकिस्तानी शरणार्थी विचाराधीन हैं, जिन्होंने एलटीए के लिए आवेदन किया है। लगभग 25 हजार लोगों को एलटीए मिल चुका है, लेकिन 3 हजार से अधिक शरणार्थी ऐसे हैं जो हाल ही में यहां पहुंचे हैं और उन्होंने एलटीए के लिए आवेदन भी नहीं किया है।
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