प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने जल जीवन मिशन घोटाले की जांच के सिलसिले में एक 315 पेज की विस्तृत चार्जशीट दाखिल की है, जिसमें राजस्थान के पूर्व जलदाय मंत्री महेश जोशी पर धनशोधन निवारण अधिनियम (PMLA) के तहत गंभीर आरोप लगाए गए हैं। जयपुर की विशेष सीबीआई अदालत (कोर्ट नंबर-3) में दाखिल इस चार्जशीट में 5.40 करोड़ रुपये की रिश्वत लेने और उसका इस्तेमाल संपत्तियों में निवेश के रूप में करने के साक्ष्य दिए गए हैं।
चार्जशीट में क्या है मुख्य आरोप?- महेश जोशी ने कथित तौर पर श्री श्याम ट्यूबवेल कम्पनी (पदम चंद जैन) और श्री गणपति ट्यूबवेल कम्पनी (महेश मित्तल) से संजय बड़ाया के माध्यम से रिश्वत ली।
- रिश्वत की रकम किस्तों में नकद और चेक से दी गई।
- 1 करोड़ रुपये का भुगतान चेक के जरिए हरी नारायण बड़ाया (संजय के पिता) को किया गया था, जिसे बाद में ब्याज सहित नकद में लौटाया गया।
- 3.30 करोड़ रुपये से संजय बड़ाया ने अपने माता-पिता के नाम जमीन खरीदी जो ईडी द्वारा जब्त की जा चुकी है।
- 2.10 करोड़ रुपये महेश जोशी ने प्रॉपर्टी में निवेश किया, जिसमें 50 लाख रुपये उनके बेटे रोहित जोशी की फर्म सुमंगलम लैंडमार्क LLP में निवेश किया गया।
चार्जशीट के अनुसार:
- दोनों कंपनियों ने फर्जी अनुभव प्रमाणपत्रों के आधार पर 488.52 करोड़ रुपये के टेंडर हासिल किए।
- जलदाय विभाग द्वारा शुरुआती आपत्तियों के बावजूद संजय बड़ाया के दबाव में टेंडर मंजूर किए गए।
- अधिकारियों को कमीशन भी निर्धारित था – 0.5% भुगतान पर।
- कार्यों में देरी पर लगाया गया जुर्माना भी बाद में राजनीतिक दबाव के चलते हटा लिया गया।
श्री श्याम ट्यूबवेल कम्पनी | ₹4.26 करोड़ |
श्री गणपति ट्यूबवेल कम्पनी | ₹26.14 करोड़ |
पदम चंद जैन व राजदुलारी जैन | ₹5.88 करोड़ |
महेश मित्तल के परिजन | ₹86 लाख |
संजय बड़ाया व परिवार | ₹5.27 करोड़ |
महेश जोशी और सुमंगलम एलएलपी | ₹2.10 करोड़ |
विशाल सक्सेना व दीप्ति सक्सेना | ₹19.38 लाख |
चार्जशीट में लगाए गए आरोपों को महेश जोशी ने सिरे से खारिज किया है। उन्होंने ईडी को दिए बयान में कहा:
- उनका संजय बड़ाया से कोई व्यावसायिक संबंध नहीं है।
- विभागीय कार्यों में उनकी सीमित भूमिका होती है।
- बड़ाया ने अगर उनके नाम का दुरुपयोग किया हो, तो इसकी जानकारी उन्हें नहीं है।
- विभाग से इस संबंध में कभी कोई शिकायत उन्हें नहीं मिली।
ईडी के वकील अजातशत्रु मीना ने चार्जशीट में सभी आरोपों के दस्तावेजी प्रमाण और अन्य आरोपियों के बयान संलग्न किए हैं। हालांकि, अदालत में इन आरोपों को साबित करना अब प्रवर्तन निदेशालय की जिम्मेदारी होगी। महेश जोशी सहित अन्य आरोपी जांच में सहयोग न करने और साक्ष्य मिटाने की कोशिश करने के भी आरोपों का सामना कर सकते हैं।
जल जीवन मिशन घोटाला, राजस्थान की सरकारी व्यवस्था में राजनीतिक हस्तक्षेप, टेंडर प्रक्रिया में अनियमितता और धनशोधन का एक बड़ा उदाहरण बनकर उभरा है। चार्जशीट में किए गए खुलासों के बाद अब महेश जोशी की मुश्किलें बढ़ती दिख रही हैं, और अदालत की निगरानी में आगे की कार्यवाही इस मामले की सच्चाई को उजागर करेगी।
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