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राहु ग्रह की ज्योतिषीय स्थिति और भारत की कुंडली

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राहु ग्रह का महत्व

लाइव हिंदी खबर :- वैदिक ज्योतिष में राहु को एक दैत्य ग्रह माना जाता है। इसे कठोर वाणी, जुआ, यात्रा, चोरी, दुष्ट कर्म, त्वचा रोग और धार्मिक यात्रा का कारक माना जाता है। राहु के प्रभाव से व्यक्ति को शनि के गुण भी मिलते हैं।


यदि किसी व्यक्ति की जन्म पत्रिका में राहु अशुभ स्थान पर हो, तो उसे नकारात्मक परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं। हालांकि, जब राहु शुभ फल देता है, तो उसके समान कोई अन्य ग्रह नहीं होता।


ज्योतिष में राहु का किसी राशि पर स्वामित्व नहीं है, लेकिन यह मिथुन राशि में उच्च और धनु राशि में नीच होता है। राहु आद्रा, स्वाति और शतभिषा नक्षत्रों का स्वामी है।


भारत की कुंडली में राहु की स्थिति

भारत की कुंडली: राहु की स्थिति को समझें
भारत की कुंडली में सभी 9 ग्रह केवल 5 भावों में स्थित हैं। वृषभ लग्न की कुंडली में राहु लग्न में है, जबकि मंगल द्वितीय भाव में है। चंद्र, शुक्र, बुध, शनि और सूर्य तीसरे घर में हैं, जबकि गुरु छठे और केतु सातवें भाव में हैं।


इस स्थिति के कारण कालसर्प योग बना हुआ है। कई ज्योतिषियों का मानना है कि यह योग कठिनाई देता है, लेकिन यह लोगों को आगे बढ़ने की प्रेरणा भी देता है।


यदि कुंडली में शुक्र की स्थिति अच्छी हो, तो कालसर्प योग सकारात्मक प्रभाव डाल सकता है। लेकिन भारत की कुंडली में चंद्र की राशि कर्क में शुक्र है, जो अच्छे संबंध नहीं दर्शाता।


राहु की विशेषताएँ

राहु हमेशा उल्टी गति से चलता है, जिससे यह मिथुन राशि से कर्क की बजाय वृषभ राशि में प्रवेश कर गया। राहु का दैत्य गुरु शुक्र की राशि वृषभ में होना इसे बलवान बनाता है।


राहु की मदमस्ती
वृषभ में स्थित होने पर राहु की स्थिति उसे मदमस्त बना देती है। राहु जहां बैठता है, उस स्थान को संभालता है, लेकिन यह आलसी और नशे की प्रवृत्तियों को भी जन्म देता है।


राहु को ज्योतिष में क्रूर ग्रह माना जाता है। जब राहु की दशा आती है, तो जातक को मानसिक और शारीरिक परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है।


2021 में संभावित घटनाएँ

2021 में क्या होने वाला है
इस वर्ष कृषि में सुधार होगा और सितंबर-अक्टूबर में स्कूल और कॉलेज खुल सकते हैं। हालांकि, पड़ोसी देशों के साथ संबंधों में तनाव बढ़ सकता है।


2021 में भारत की आर्थिक स्थिति में सुधार की संभावना है। ज्योतिषियों के अनुसार, 2021 और 2022 में कई परिवर्तन होंगे, जिसमें नए कानून और बिल भी शामिल होंगे।


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