News India Live, Digital Desk: गुजरात की राजनीति हमेशा से दिलचस्प रही है, और जब इसमें कुछ जाने-पहचाने चेहरे आते हैं, तो उत्सुकता और बढ़ जाती है. पिछले कुछ समय से दो नाम ऐसे हैं जिनकी खूब चर्चा हो रही है - युवा नेता हार्दिक पटेल और मशहूर क्रिकेटर रवींद्र जडेजा की पत्नी रिवाबा जडेजा. इनके राजनीति में आने और गुजरात कैबिनेट में संभावित भूमिका को लेकर हमेशा से कयास लगाए जाते रहे हैं.अभी हाल ही में गुजरात के मंत्रिमंडल विस्तार की खबरें जोर पकड़ रही हैं, और एक बार फिर हार्दिक पटेल और रिवाबा जडेजा जैसे नामों को लेकर गहमागहमी है. राज्य सरकार में नए चेहरों को मौका मिल सकता है, और अटकलें हैं कि यह बदलाव दिवाली से ठीक पहले, नवंबर 2025 तक हो सकता है. इस फेरबदल को 2027 के विधानसभा चुनावों के लिए बीजेपी की तैयारियों का हिस्सा माना जा रहा हैहार्दिक पटेल: आंदोलन से राजनीति तक का सफरहार्दिक पटेल का नाम गुजरात की राजनीति में तब उभरा, जब उन्होंने पाटीदार आरक्षण आंदोलन की कमान संभाली. एक समय वो कांग्रेस के करीब माने जाते थे, लेकिन बाद में उन्होंने बीजेपी का दामन थाम लिया 2022 के विधानसभा चुनावों में वीरमगाम सीट से जीतकर वे विधायक बने, जो अपने आप में एक महत्वपूर्ण कदम था हालांकि, शुरुआत में कैबिनेट में शामिल न होने पर कुछ हलकों में निराशा भी देखी गई थी, पर उनका कद पार्टी में बना रहा अब, फिर से मंत्रिमंडल विस्तार की चर्चाओं में उनका नाम शामिल हैरिवाबा जडेजा: क्रिकेट के मैदान से राजनीति के अखाड़े मेंवहीं, रिवाबा जडेजा एक अलग तरह की पहचान के साथ राजनीति में आई हैं. भारतीय क्रिकेटर रवींद्र जडेजा की पत्नी होने के नाते, उनका एक बड़ा सोशल प्रोफाइल तो था ही, उन्होंने सक्रिय रूप से बीजेपी जॉइन करके सबको चौंका दिया. 2022 के गुजरात विधानसभा चुनावों में जामनगर उत्तर सीट से उन्होंने शानदार जीत दर्ज की, जिसने उनके राजनीतिक भविष्य को मजबूत कर दिया रिवाबा भी उन संभावित नामों में से हैं, जिनकी चर्चा आगामी मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर चल रही है बताया जा रहा है कि पार्टी सौराष्ट्र में अपनी पकड़ मजबूत करने के लिए नए चेहरों को आगे ला रही है, जिसमें रिवाबा का नाम प्रमुखता से लिया जा रहा हैगुजरात की सियासत में इन दोनों नेताओं का भविष्य काफी अहम माना जा रहा है. यह देखना दिलचस्प होगा कि बीजेपी इन युवा और प्रभावी चेहरों को कैबिनेट में कौन सी जिम्मेदारियां देती है और यह आने वाले चुनावों में क्या असर डालता है. राजनीति के जानकार मानते हैं कि ऐसे कदम न सिर्फ पार्टी को नई ऊर्जा देते हैं, बल्कि मतदाताओं को भी एक नया संदेश देते हैं कि नेतृत्व की दूसरी कतार भी तैयार है.
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