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वाराणसी का चमत्कारी धन्वंतरि कूप: 'अमृत के कुंए' का रहस्य और रोगों से मुक्ति का वरदान

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वाराणसी का चमत्कारी धन्वंतरि कूप: ‘अमृत के कुंए’ का रहस्य और रोगों से मुक्ति का वरदान

काशी यानी वाराणसी (बनारस) को सनातन धर्म में अत्यंत पवित्र और मोक्ष का स्थल माना जाता है। माना जाता है कि काशी में मृत्यु होने पर व्यक्ति को जीवन-मरण के चक्र से मुक्ति मिल जाती है। लेकिन बहुत कम लोग जानते हैं कि वाराणसी में एक ऐसा कूप भी मौजूद है जिसका जल पीने से न सिर्फ मोक्ष मिलता है, बल्कि हर तरह के रोगों से भी छुटकारा पाया जा सकता है। इस रहस्यमयी कूप को ‘धन्वंतरि कूप’ या ‘अमृत का कुंआ’ कहा जाता है।

क्या है धन्वंतरि कूप का महत्व?

वाराणसी के प्रसिद्ध मृत्युंजय महादेव मंदिर परिसर में स्थित यह कूप सदियों से आस्था का केंद्र रहा है। धार्मिक ग्रंथों में इस कूप के जल को अमृततुल्य बताया गया है, जिसे पीने से गंभीर बीमारियों से मुक्ति मिलती है।

कैसे होता है चमत्कार?

मान्यता है कि इस कूप का जल शरीर के सारे विषैले तत्व बाहर निकालता है, जिससे आत्मा शुद्ध होती है और शरीर बीमारियों से मुक्त होता है। यह कूप कभी सूखता नहीं, वर्षभर इसका जल भक्तों के लिए उपलब्ध रहता है।

धन्वंतरि कूप का नाम क्यों पड़ा?

धन्वंतरि को आयुर्वेद का देवता माना जाता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, समुद्र मंथन के दौरान भगवान धन्वंतरि अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे। मान्यता है कि इसी दौरान अमृत की कुछ बूंदें इस कूप में गिर गईं, जिससे इसका जल अमृत समान हो गया।

भक्तों की आस्था और अनुभव

श्रद्धालु मानते हैं कि इस कूप का जल पीने से भगवान धन्वंतरि का आशीर्वाद मिलता है। पूरी श्रद्धा और विश्वास के साथ इस जल का सेवन करने से बड़े से बड़ा रोग भी ठीक हो जाता है। यही कारण है कि लोग यहां दूर-दूर से आते हैं और जल को अपने साथ लेकर जाते हैं।

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