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US Congo Deal: टैरिफ वॉर के बाद अमेरिका-चीन में छिड़ सकती है नई जंग, ये अफ्रीकी देश बनेगा मैदान, जानें वजह

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किंशासा: चीन और अमेरिका की बीच हालिया वर्षों में कई मोर्चों पर प्रतिद्वंदिता देखने को मिली है। बीते कुछ समय से टैरिफ के मुद्दे पर दोनों देश आमने-सामने हैं। विश्व की इन दो बड़ी ताकतों के बीच एब एक और नया मोर्चा खुल सकता है। इस नए मोर्चे की जमीन खनिद संपदा से भरे अफ्रीकी देश कांगों में तैयार हो रही है। दरअसल डेमोक्रेटिक रिपबल्किक कांगो (DRC) और अमेरिका के बीच खनिज सुरक्षा समझौते (मिनरल्स फॉर सिक्योरिटी) पर बातचीत चल रही है। यह समझौता मध्य अफ्रीकी देश के खनन उद्योग में चीन के लंबे समय से चले आ रहे प्रभुत्व को खतरे में डालता है। ऐसे में अमेरिका और चीन में यहां तनातनी दिख सकती है।फर्स्टपोस्ट की रिपोर्ट के मुताबिक, प्रस्तावित समझौते में अमेरिका को कांगो की विशाल खनिज संपदा तक पहुंच मिल रही है। इसके बदले में वह कांगो के पूर्वी हिस्से में हिंसा को समाप्त करने के लिए सुरक्षा गारंटी और सैन्य समर्थन देगा। प्रस्ताव के तहत अमेरिका शांति स्थापित करने के लिए राजनयिक और आर्थिक उपायों का इस्तेमाल करेगा। यह कदम चीन के साथ अमेरिका की प्रतिस्पर्धा को नया रूप दे सकता है, जो वर्तमान में DRC के खनन क्षेत्र पर वर्चस्व रखता है। कांगों के सामने सुरक्षा बड़ा मुद्दाकांगो के पूर्वी क्षेत्र मे इस साल रवांडा समर्थित M23 विद्रोही समूह ने कई शहरों पर कब्जा कर लिया है। ऐसे में वह सुरक्षा के लिए अमेरिका की ओर देख रहा है। डोनाल्ड ट्रंप के अफ्रीका मामलों के सलाहकार मासड बौलोस ने बताया है कि उन्होंने कांगो के राष्ट्रपति से खनिज समझौते पर चर्चा करते हुए आगे का रास्ता तय करने का फैसला लिया है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह समझौता 2007 में DRC के साथ चीन के 'खनिज के बदले बुनियादी ढांचा' समझौते के जैसा हो सकता है। उस समझौते में चीनी कंपनियों ने तांबा और कोबाल्ट जैसे संसाधनों के बदले में बुनियादी ढांचे को विकसित करने पर सहमति जताई थी।किंशासा विश्वविद्यालय में कानून के प्रोफेसर और सदर्न अफ्रीका रिसोर्स वॉच में परियोजना अधिकारी जोसेफ सिहुंडा ने US-DRC समझौते में सैन्य उद्योगों, उपकरणों और प्रशिक्षण का हस्तांतरण शामिल होने की बात कही है। हालांकि अमेरिका के लिए यह आसान नहीं है क्योंकि चीनी कंपनियों ने अधिग्रहण और अनुबंधों के माध्यम से इस क्षेत्र पर अपना दबदबा बना लिया है। साल 2007 के समझौते के बाद चीन ने कांगो में अपना प्रभाव तेजी से बढ़ाया है। अमेरिका स्थित कमोडिटीज सलाहकार फर्म हाउस माउंटेन पार्टनर्स के प्रमुख क्रिस बेरी का कहना है कि ट्रंप प्रशासन का दृष्टिकोण विशुद्ध रूप से लेन-देन पर है। एक ओर अमेरिका कागो में शांति बनाए रखने' में मदद करेगा और बदले में महत्वपूर्ण खनिजों तक उसे पहुंच मिलेगी। हालांकि ट्रंप प्रशासन के सामने एक अहम चुनौती चीन के साथ तालमेल बैठाने की होगी, जो उसकी उपस्थिति को पसंद नहीं करेगा।
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