बीजापुर: छत्तीसगढ़-तेलंगाना सीमा पर कर्रेगुट्टा पहाड़ियों पर माओवादियों के खिलाफ लड़ाई में जवानों को बड़ी सफलता मिली है। इस साल चलाए गए सबसे बड़े अभियान के तहत सुरक्षा बलों ने अब तक कुल 26 माओवादियों को मार गिराया है। आधिकारिक सूत्रों ने बुधवार को यह जानकारी दी। छत्तीसगढ़ में नक्सलवाद के खात्मे के लिए इस अभियान में 24 हजार से अधिक जवान शामिल हैं। सुरक्षाबल के जवानों ने इस ऑपरेशन का नाम मिशन संकल्प दिया है। इस मिशन का नेतृत्व छत्तीसगढ़ पुलिस की इकाइयों के साथ केन्द्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) कर रहा है। एक अधिकारी ने बताया कि इस अभियान के तहत अब तक चार महिलाओं समेत कुल 26 नक्सली मारे गए हैं। भारी मात्रा में विस्फोटक, हथियार बनाने वाले अवैध कारखाने और उग्रवादियों का सामान जब्त किया गया है।’’ उन्होंने बताया कि सीआरपीएफ की कोबरा और छत्तीसगढ़ पुलिस की डीआरजी और एसटीएफ इकाइयों के 12 से अधिक जवान अब तक घायल हो चुके हैं। इनमें कोबरा अधिकारी सहायक कमांडेंट सागर बोराडे और कोबरा की 206वीं बटालियन का एक अन्य कमांडो भी शामिल है। सीआरपीएफ के डीजी ने संभाली कमानअधिकारियों ने बताया कि इस नक्सल विरोधी अभियान के महत्व का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि सीआरपीएफ के महानिदेशक (डीजी) जीपी सिंह 19 अप्रैल से लगातार राज्य में डेरा डाले हुए हैं और कभी रायपुर तो कभी जगदलपुर में जा रहे हैं तथा अब तक तीन बार कर्रेगुट्टा पहाड़ियों समेत अभियान क्षेत्र का दौरा कर चुके हैं। उन्होंने बताया कि हर दिन सीआरपीएफ और राज्य पुलिस प्रमुख रायपुर स्थित पुलिस मुख्यालय में दो बार मिलते हैं, ताकि अभियान की समीक्षा की जा सके और यह सुनिश्चित किया जा सके कि भोजन, पानी और गोला-बारूद की आपूर्ति बनी रहे।एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘‘सीआरपीएफ और छत्तीसगढ़ पुलिस के बीच समन्वय बहुत अच्छा है और यही कारण है कि सुरक्षा बल पहाड़ी पर कब्जा करने और वहां मौजूद अंतिम माओवादी को पकड़ लेने तक क्षेत्र पर कब्जा बनाए रखने में सफल रहे।’’ अधिकारियों ने बताया कि संयुक्त बलों ने अब तक लगभग 135 आईईडी बरामद कर इन्हें निष्क्रिय कर दिया है। उन्होंने कहा कि ‘‘अंतिम अभियान’’ शुरू कर दिया गया है।अधिकारियों ने बताया कि पीएलजीए बटालियन नंबर एक के शीर्ष कमांडर हिडमा और साथ ही देवा जैसे नक्सलियों पर नजर रखने के लिए लगभग चार हेलीकॉप्टर, 20 बड़े और छोटे मानव रहित हवाई यानों (यूएवी) वाले दो ड्रोन स्क्वाड्रन, एनटीआरओ द्वारा उपलब्ध कराए गए उपग्रह चित्रों और मानचित्रों की मदद ली गई। जानकारी के अनुसार हिडमा को हथियारबंद दस्ते के साथ कर्रेगुट्टा पहाड़ियों में बने एक बंकर के आसपास देखा गया था और इसी सूचना के आधार पर अभियान शुरू किया गया था। कैसे टारगेट तक पहुंचे जवाननक्सलियों के टॉप लीडर के एक जगह होने का इनपुट मिलने के बाद 21 अप्रैल को जवानों ने ऑपरेशन लांच किया। यह अभियान अंतरराज्यीय सीमा पर बीजापुर (छत्तीसगढ़) और मुलुगु तथा भद्राद्री-कोठागुडेम (तेलंगाना) के दोनों ओर लगभग आठ सौ वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैले दुर्गम इलाके और घने जंगल में शुरू किया गया। कठिन भौगोलिक परिस्थितियों और अनेक चुनौतियों के बावजूद, सुरक्षाबल के जवान नक्सलवाद के खिलाफ इस निर्णायक अभियान को अंजाम दे रहे हैं।टारगेट तक पहुंचने के लिए 24 हजार से ज्यादा जवानों ने 15 दिन तक चढ़ाई चढ़ी। उसके बाद वह नक्सलियों के ठिकाने में पहुंचे। इस दौरान जवानों को कई तरह की मुश्किलों का सामना करना पड़ा। भीषण गर्मी, जगह-जगह पर नक्सलियों के लगाए गए आईईडी, विस्फोटक को सर्च करते हुए जवान अभियान तक पहुंचे। अब इस इलाके में मुठभेड़ जारी है।
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