नागपुर: देश के 52वें प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) बीआर गवई ने दिव्या देशमुख के घर जाकर फिडे शतरंज विश्व कप चैंपियन और ग्रैंडमास्टर बनने पर उन्हें बधाई दी। नागपुर की रहने वाली 19 साल की दिव्या देशमुख ने 28 जुलाई को जॉर्जिया के बातुमी में आयोजित महिला विश्व कप के फाइनल में टाईब्रेकर में हमवतन कोनेरू हम्पी को हराकर सबसे कम उम्र की खिलाड़ी के तौर पर यह खिताब जीता है। दिव्या को इस उपलब्धि ने उन्हें उन्हें ग्रैंडमास्टर भी बना दिया है। सीजेआई गवई ने दिव्या को बधाई देते हुए अपनी पुरानी यादों को ताजा किया और कहा कि उन्हें दिव्य की उपलब्धि पर गर्व है। सीजेआई ने कहा कि दिव्या मेरे घर की बेटी ने इतनी बड़ी उपलब्धि हासिल की है। मैं बहुत खुश हूं। सीजेआई से जब पूछा गया कि कहा कि नागपुर के बाद दिल्ली में भी सम्मान समारोह होगा तो उन्होंने कहा कि पूरे देश में सम्मान समारोह होंगे।
दिव्या की जीत पर खुश हुए सीजेआई
महाराष्ट्र के अमरवती जिले से आने वाले सीजेआई गवई ने मीडिया से बातचीत में दिव्या के परिवार ने अपनी गहरे रिश्ते का खुलासा किया। सीजेआई ने बताया कि दिव्या के दादा दिवंगत डॉ. केजी देशमुख कभी संत गाडगे बाबा अमरावती विश्वविद्यालय के कुलपति थे। उनके पिता और केजी देशमुख दोस्त थे। उन्होंने कहा कि हम एक परिवार की तरह पले-बढ़े हैं। यहां आना मेरे लिए पुरानी यादों को ताजा करने जैसा है। सीजेआई बोले, मैं 50-55 साल पीछे चला गया और मैंने फिर से सभी पुरानी यादों को ताजा किया। यह मेरे लिए लंबे समय के बाद सभी से मिलने का शानदार मौका था।
दिव्या की दादी के छुए पैर
सीजेआई ने कहा कि मैं यहां दिव्या को अपनी शुभकामनाएं देने आया हूं। उसने हम सभी को बहुत गौरवान्वित किया है। इस अवसर पर सीजेआई गवई ने दिव्या की दादी कमल देशमुख के पैर भी छुए। सीजेआई ने कहा कि दिव्या ने शतरंज को नई ऊंचाई दी। दिव्या का परिवार नागपुर में रहता है।सीजेआई दिव्या के घर जाने के अलावा नागपुर में डॉ. आंबेडकर कॉलेज के हीरक जयंती समारोह हुए। शनिवार को नागपुर में दिव्या के लिए महाराष्ट्र सरकार द्वारा आयोजित सम्मान समारोह आयोजित किया गया। इस कार्यक्रम में केंद्रीय नितिन गडकरी नहीं पहुंच पाए। उनका संदेश प्रसारित किया गया है। गडकरी ने दिव्या की जीत पर वीडियो कॉल से बधाई दी थी। गडकरी ने अपने संदेश में कहा कि विश्व चैंपियनों को हराकर दिव्या ने भारतीय शतरंज को एक नई ऊंचाई पर पहुंचाया है. शतरंज केवल बुद्धि का खेल नहीं है, यह साहस, धीरज और भविष्य के बारे में सोचने तथा रणनीति तय करने का खेल है।
दिव्या की जीत पर खुश हुए सीजेआई
महाराष्ट्र के अमरवती जिले से आने वाले सीजेआई गवई ने मीडिया से बातचीत में दिव्या के परिवार ने अपनी गहरे रिश्ते का खुलासा किया। सीजेआई ने बताया कि दिव्या के दादा दिवंगत डॉ. केजी देशमुख कभी संत गाडगे बाबा अमरावती विश्वविद्यालय के कुलपति थे। उनके पिता और केजी देशमुख दोस्त थे। उन्होंने कहा कि हम एक परिवार की तरह पले-बढ़े हैं। यहां आना मेरे लिए पुरानी यादों को ताजा करने जैसा है। सीजेआई बोले, मैं 50-55 साल पीछे चला गया और मैंने फिर से सभी पुरानी यादों को ताजा किया। यह मेरे लिए लंबे समय के बाद सभी से मिलने का शानदार मौका था।
दिव्या की दादी के छुए पैर
सीजेआई ने कहा कि मैं यहां दिव्या को अपनी शुभकामनाएं देने आया हूं। उसने हम सभी को बहुत गौरवान्वित किया है। इस अवसर पर सीजेआई गवई ने दिव्या की दादी कमल देशमुख के पैर भी छुए। सीजेआई ने कहा कि दिव्या ने शतरंज को नई ऊंचाई दी। दिव्या का परिवार नागपुर में रहता है।सीजेआई दिव्या के घर जाने के अलावा नागपुर में डॉ. आंबेडकर कॉलेज के हीरक जयंती समारोह हुए। शनिवार को नागपुर में दिव्या के लिए महाराष्ट्र सरकार द्वारा आयोजित सम्मान समारोह आयोजित किया गया। इस कार्यक्रम में केंद्रीय नितिन गडकरी नहीं पहुंच पाए। उनका संदेश प्रसारित किया गया है। गडकरी ने दिव्या की जीत पर वीडियो कॉल से बधाई दी थी। गडकरी ने अपने संदेश में कहा कि विश्व चैंपियनों को हराकर दिव्या ने भारतीय शतरंज को एक नई ऊंचाई पर पहुंचाया है. शतरंज केवल बुद्धि का खेल नहीं है, यह साहस, धीरज और भविष्य के बारे में सोचने तथा रणनीति तय करने का खेल है।
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