भोपाल/जबलपुर: मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने हाल ही में एक पॉक्सो मामले में सत्र न्यायालय के फैसले को पलट दिया है। न्यायालय ने कहा कि अभियोजन पक्ष असली अपराधी को बचाने के लिए आरोपी को झूठा फंसाने की कोशिश कर रहा था। हो सकता है कि असली अपराधी पीड़िता का कोई करीबी रिश्तेदार हो। हाई कोर्ट ने आरोपी को 'दुर्भावनापूर्ण अभियोजन' का मामला दर्ज करने और मुआवजे की मांग करने की अनुमति दी है। आरोपी को छह साल की बच्ची के साथ गलत काम करने के आरोप में 20 साल की कठोर कारावास की सजा सुनाई गई थी। जस्टिस विवेक अग्रवाल और डी एन मिश्रा की बेंच ने प्रमुख गवाहों पीड़िता, उसकी मां और चाचा, और उसकी जांच करने वाले डॉक्टर के बयानों में विरोधाभासों को उजागर किया। हाई कोर्ट ने यह भी कहा कि डीएनए रिपोर्ट जिसे अदालत में 'सकारात्मक' बताया गया था, वास्तव में सकारात्मक नहीं थी। वकीलों की दलीलेंआरोपी के वकील ने कहा कि लड़की की मां ने अदालत में बताया था कि उसके जेठ और सास ने आरोपी को जेल भेजने में मदद की थी। वकील ने यह भी कहा कि जेठ ने बच्ची के प्राइवेट पार्ट से खून निकाला था ताकि वे यौन शोषण की शिकायत दर्ज करा सकें। डॉक्टर ने कहा कि बच्ची के प्राइवेट पार्ट में जो चोट थी, वह दो-तीन घंटे से ज्यादा पुरानी नहीं हो सकती थी। वकील ने बताया कि लड़की ने कहा था कि उसने कपड़े बदले थे और नहाया था। उसने यह भी कहा कि उसे 'कोई निश्चित राय नहीं' है कि उसके साथ दुर्व्यवहार हुआ था। डॉक्टर की रिपोर्टवकील ने यह भी कहा कि डॉक्टर ने 23 जून 2020 को दोपहर 3:30 बजे पीड़िता की जांच की थी। जबकि गलत काम कथित तौर पर पिछली रात हुआ था। इसलिए डॉक्टर की रिपोर्ट से भी यह साबित नहीं होता है कि लड़की के साथ गलत काम हुआ था। सरकार के वकील ने कहा कि पीड़िता ने अभियोजन पक्ष का समर्थन किया है। इसलिए, निचली अदालत के फैसले को बरकरार रखा जाना चाहिए। छत पर हुई सारी घटनाउच्च न्यायालय ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद कहा कि लड़की अपनी चाची के घर की छत पर खेल रही थी और उसकी मां खाना बना रही थी। तभी लड़की रोते हुए अपनी मां के पास गई और कहा कि आरोपी ने उसके कपड़े उतार दिए और उसके साथ गलत किया। लेकिन एफआईआर में कहा गया है कि लड़की के चाचा ने उसकी मां को बताया कि आरोपी ने लड़की के साथ यौन शोषण किया है। इसके बाद मां ने लड़की को बुलाकर पूछा कि क्या हुआ था। प्राइवेट पार्ट में उंगली डालकर खून निकालाउच्च न्यायालय ने यह भी कहा कि पीड़िता की मां ने अदालत में स्वीकार किया कि बच्ची के चाचा की आरोपी के साथ पुरानी दुश्मनी थी। उसने यह भी कहा कि चाचा ने 'एफआईआर दर्ज कराने से पहले लड़की के प्राइवेट पार्ट में उंगली डालकर खून निकाला था'। उच्च न्यायालय ने पीड़िता के बयान का हवाला देते हुए कहा कि उसने स्वीकार किया कि आरोपी 'फुल्की' बेचने गया था जब कथित अपराध हुआ था। एक सवाल के जवाब में उसने यह भी कहा कि 'छत पर कुछ नहीं हुआ।' कोर्ट का फैसलाकोर्ट ने कहा कि पीड़िता और उसकी मां के बयानों से यह साफ है कि लड़की को चोट पहुंचाने के लिए उसका चाचा ही जिम्मेदार था। चाचा ने ऐसा इसलिए किया ताकि वह आरोपी से बदला ले सके। इसलिए, कोर्ट ने निचली अदालत के फैसले को रद्द कर दिया। कोर्ट ने आरोपी को झूठे आरोप में फंसाने के लिए अभियोजन पक्ष की आलोचना की। कोर्ट ने कहा कि ऐसा लगता है कि अभियोजन पक्ष असली अपराधी को बचाने की कोशिश कर रहा है।
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