हाल ही में आई एक रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में 72% स्मार्टफोन यूजर्स सिर्फ एंटरटेनमेंट के लिए गेम खेलते हैं। यानी उनका इस क्षेत्र में करियर को लेकर कोई नजरिया नहीं है। रिपोर्ट में बताया गया कि ज्यादातर गेमर्स के पसंदीदा मोबाइल गेम्स एक्शन-एडवंचर गेम्स ही हैं। वहीं, हम लगातार ऐसे केस भी देख रहे हैं, जहां गेम्स बच्चों की मानसिक सेहत पर हावी हो रहे हैं। कई बच्चे गेमिंग की लत के चक्कर में अपनी जान भी गंवा चुके हैं।
इसकी सबसे बड़ी वजह है कि हमारे देश में माता-पिता गेमिंग इंडस्ट्री में करियर को लेकर जागरूक नहीं हैं। इसी वजह से जो बच्चे गेम खेलते भी हैं, उन्हें सही दिशा ना मिलने की वजह से या तो वो अवसाद में आ जाते हैं, या जान गंवा बैठते हैं या फिर गेमर बनने को ही करियर मानते हैं। ऐसे में हमने एक्सपर्ट्स से जाना कि क्यों बच्चे सिर्फ गेमर बनने को ही अपना करियर समझते हैं। इस क्षेत्र में बच्चों के लिए और कौन-सी संभावनाएं हैं?
सिर्फ गेमर ही क्यों बनना है? 'मम्मी-पापा आपको पता है, ये इंस्टाग्राम वाले जो भैया हैं ना इनके पास BMW कार है। पता है ये गेमर हैं और 3-4 सालों में ही उन्होंने इतना नाम और पैसा कमा लिया है कि उनके लाखों फॉलोअर्स हैं। पापा मुझे भी गेमर बनना है....'
आप में से कई पैरंट्स अपने बच्चों से गेमर बनने की इन चमचमाती वजहों के बारे में कभी न कभी सुनते रहते हैं। हालांकि इस इंडस्ट्री में बतौर गेमर बच्चे का करियर उम्र और आपके दिमाग की तेजी पर निर्भर करता है। ऐसे में लंबे समय तक वे गेमर के तौर पर करियर भी नहीं चला सकते। लेकिन सवाल उठता है कि गेमर बनने के अलावा युवा गेमिंग इंडस्ट्री में कुछ और बनने के बारे में क्यों नहीं सोचते।
इस बारे में गेमिंग कंपनी क्राफ्टन इंडिया के हेड (पीपल ऑपरेशन) सौरभ शाह कहते हैं- 'हमने देखा है कि युवा आमतौर पर गेमिंग के उन प्रोफेशंस में ज्यादा रुचि दिखाते हैं, जो ज्यादा फेमस और पसंद किए जाते हैं। इसलिए वे टूर्नामेंट से जुड़े हुए गेम्स और कॉन्टेंट क्रिएटर की तरफ ज्यादा आकर्षित होते हैं। वे गेमर बनना इसलिए भी ज्यादा पसंद करते हैं, क्योंकि इसके जरिए उन्हें लाइव स्ट्रीमिंग, टूर्नामेंट्स और सोशल मीडिया पर सबसे ज्यादा दिखने का मौका मिलता है। हालांकि आजकल कंपनियां नए टैलेंट को इस फील्ड से जुड़े दूसरे प्रोफेशंस के बारे में भी जागरूक कर रही हैं।'
वहीं, नोडविन गेमिंग के को-फाउंडर और मैनेजिंग डायरेक्टर अक्षत राठी बताते हैं- 'भारत में गेमिंग इंडस्ट्री की जब शुरूआत हो रही थी तब युवाओं का ध्यान स्ट्रीमर्स और गेमर्स पर था। क्योंकि सोशल मीडिया पर उनके सामने वे ही होते थे। इससे ये धारणा बनी कि गेमिंग में प्लेयर बनना ही करियर है। लेकिन आज का दौर बिल्कुल अलग है। गेमिंग और ई-स्पोर्ट्स एक बड़ी इंडस्ट्री बन चुकी है, जिसमें सिर्फ खिलाड़ी ही नहीं बल्कि पूरा ईको सिस्टम है।'
एक्सपर्ट बताते हैं कि क्योंकि गेम खेलने की शुरूआत बच्चे छोटी ही उम्र में कर देते हैं, इस वजह से उन्हें गेमर बनने के बारे में ही पता होता है। जबकि इस इंडस्ट्री के दूसरे प्रोफेशंस में आने के लिए आपको कोर्सेज भी करने होते हैं और उसके लिए नियम भी तय हैं। जबकि गेमर बनने के लिए आपको कोई कोर्स नहीं करना पड़ता।
गेम डेवलपिंग सेक्टर में करियर इसके अलावा गेमिंग इंडस्ट्री में युवा UX/UI एक्सपर्टस, प्रॉडक्ट मैनेजमेंट और गेमिंग मार्केटिंग एंड पब्लिशिंग जैसे क्षेत्र में भी करियर बना सकते हैं।
ई-स्पोर्ट्स में करियर
कितने समय के कोर्सबाकी क्षेत्रों की तरह ही गेमिंग इंडस्ट्री में भी सभी तरह के कोर्स होते हैं, जिनकी अलग-अलग अवधि होती है। इस बारे में साइबर पावर पीसी इंडिया के चीफ ऑपरेटिंग ऑफिसर विशाल पारिख कहते हैं, 'इस क्षेत्र में सर्टिफिकेट कोर्स, डिप्लोमा कोर्स और डिग्री कोर्स तीनों ही विकल्प आज मौजूद हैं। बच्चे की जिस क्षेत्र में रुचि हो वो वैसा कोर्स कर सकता है। सर्टिफिकेट कोर्स कुछ हफ्ते से लेकर कुछ महीनों तक के हो सकते हैं, डिप्लोमा कोर्स 6 महीने से 1 वर्ष तक के होते हैं, और अंडर ग्रेजुएट और पोस्ट ग्रेजुएट कोर्स अपनी तय सीमा के हिसाब से ही होते हैं।'
कहां से कर सकते हैं गेमिंग का कोर्स
कैसे आएगा बदलाव?जहां एक तरफ आज भी ज्यादातर बच्चे गेमर बनना ही गेमिंग इंडस्ट्री का एक बड़ा काम मानते हैं, वहीं जैसे-जैसे इंडस्ट्री आगे बढ़ रही है, वैसे-वैसे गेमिंग इंडस्ट्री में नए प्रोफेशन भी तैयार हो रहे हैं। तो गेमिंग इंडस्ट्री में करियर को लेकर बच्चों और पैरंट्स के व्यवहार में बदलाव कैसे आएगा?
इस बारे में डर्ट्यूब इंट्रेक्टिव एलएलपी (Dirtcube Interactive LLP) के को-फाउंडर प्रवन पारिख बताते हैं- 'मुझे लगता है कि ये बदलाव तब आएगा जब ज्यादा से ज्यादा युवा यह समझेंगे कि आज के दौर में गेमिंग सिर्फ एक शौक या प्रतियोगिता का जरिया नहीं हैं। बल्कि यह एक तकनीक से बनी इंडस्ट्री है, जहां आपके लिए कोडिंग, डिजाइन, राइटर, साउंड, इवेंट जैसे तमाम क्षेत्र हैं। जिसमें युवा काम कर सकते हैं।'
एक्सपर्ट्स का कहना है कि माता-पिता को भी गेमिंग को अब गलत आदत ना समझकर इस क्षेत्र के बारे में रिसर्च करके और बच्चे के शौक को समझते हुए, उन्हें किसी एक प्रोफेशन में आगे बढ़ने में मदद करनी चाहिए। जैसे बच्चे दूसरे प्रोफेशन के लिए पढ़ाई करते हैं। उसके लिए एक समय निर्धारित करते हैं। वैसे ही अगर गेमिंग इंडस्ट्री में करियर के लिए तैयारी करें, तो उन्हें न ही इसकी लत लगेगी, न ही वो मानसिक समस्याओं से गुजरेंगे। हालांकि इसमें माता-पिता को पहले इस इंडस्ट्री में करियर की संभावनाओं के बारे अपने बच्चे से बात करके, पूरी रिसर्च करके, उसे सही दिशा देनी होगी।
इसकी सबसे बड़ी वजह है कि हमारे देश में माता-पिता गेमिंग इंडस्ट्री में करियर को लेकर जागरूक नहीं हैं। इसी वजह से जो बच्चे गेम खेलते भी हैं, उन्हें सही दिशा ना मिलने की वजह से या तो वो अवसाद में आ जाते हैं, या जान गंवा बैठते हैं या फिर गेमर बनने को ही करियर मानते हैं। ऐसे में हमने एक्सपर्ट्स से जाना कि क्यों बच्चे सिर्फ गेमर बनने को ही अपना करियर समझते हैं। इस क्षेत्र में बच्चों के लिए और कौन-सी संभावनाएं हैं?
सिर्फ गेमर ही क्यों बनना है? 'मम्मी-पापा आपको पता है, ये इंस्टाग्राम वाले जो भैया हैं ना इनके पास BMW कार है। पता है ये गेमर हैं और 3-4 सालों में ही उन्होंने इतना नाम और पैसा कमा लिया है कि उनके लाखों फॉलोअर्स हैं। पापा मुझे भी गेमर बनना है....'
आप में से कई पैरंट्स अपने बच्चों से गेमर बनने की इन चमचमाती वजहों के बारे में कभी न कभी सुनते रहते हैं। हालांकि इस इंडस्ट्री में बतौर गेमर बच्चे का करियर उम्र और आपके दिमाग की तेजी पर निर्भर करता है। ऐसे में लंबे समय तक वे गेमर के तौर पर करियर भी नहीं चला सकते। लेकिन सवाल उठता है कि गेमर बनने के अलावा युवा गेमिंग इंडस्ट्री में कुछ और बनने के बारे में क्यों नहीं सोचते।
इस बारे में गेमिंग कंपनी क्राफ्टन इंडिया के हेड (पीपल ऑपरेशन) सौरभ शाह कहते हैं- 'हमने देखा है कि युवा आमतौर पर गेमिंग के उन प्रोफेशंस में ज्यादा रुचि दिखाते हैं, जो ज्यादा फेमस और पसंद किए जाते हैं। इसलिए वे टूर्नामेंट से जुड़े हुए गेम्स और कॉन्टेंट क्रिएटर की तरफ ज्यादा आकर्षित होते हैं। वे गेमर बनना इसलिए भी ज्यादा पसंद करते हैं, क्योंकि इसके जरिए उन्हें लाइव स्ट्रीमिंग, टूर्नामेंट्स और सोशल मीडिया पर सबसे ज्यादा दिखने का मौका मिलता है। हालांकि आजकल कंपनियां नए टैलेंट को इस फील्ड से जुड़े दूसरे प्रोफेशंस के बारे में भी जागरूक कर रही हैं।'
वहीं, नोडविन गेमिंग के को-फाउंडर और मैनेजिंग डायरेक्टर अक्षत राठी बताते हैं- 'भारत में गेमिंग इंडस्ट्री की जब शुरूआत हो रही थी तब युवाओं का ध्यान स्ट्रीमर्स और गेमर्स पर था। क्योंकि सोशल मीडिया पर उनके सामने वे ही होते थे। इससे ये धारणा बनी कि गेमिंग में प्लेयर बनना ही करियर है। लेकिन आज का दौर बिल्कुल अलग है। गेमिंग और ई-स्पोर्ट्स एक बड़ी इंडस्ट्री बन चुकी है, जिसमें सिर्फ खिलाड़ी ही नहीं बल्कि पूरा ईको सिस्टम है।'
एक्सपर्ट बताते हैं कि क्योंकि गेम खेलने की शुरूआत बच्चे छोटी ही उम्र में कर देते हैं, इस वजह से उन्हें गेमर बनने के बारे में ही पता होता है। जबकि इस इंडस्ट्री के दूसरे प्रोफेशंस में आने के लिए आपको कोर्सेज भी करने होते हैं और उसके लिए नियम भी तय हैं। जबकि गेमर बनने के लिए आपको कोई कोर्स नहीं करना पड़ता।
गेम डेवलपिंग सेक्टर में करियर इसके अलावा गेमिंग इंडस्ट्री में युवा UX/UI एक्सपर्टस, प्रॉडक्ट मैनेजमेंट और गेमिंग मार्केटिंग एंड पब्लिशिंग जैसे क्षेत्र में भी करियर बना सकते हैं।
ई-स्पोर्ट्स में करियर
- इवेंट मैनेजमेंट
- ब्रॉडकास्ट प्रॉडक्शन
- कास्टिंग और कॉमेंट्री
- लीग ऑपरेशन
- मार्केटिंग एंड ब्रैंडिंग
- सोशल मीडिया एनालिस्टिक
- कम्युनिटी मैनेजमेंट
कितने समय के कोर्सबाकी क्षेत्रों की तरह ही गेमिंग इंडस्ट्री में भी सभी तरह के कोर्स होते हैं, जिनकी अलग-अलग अवधि होती है। इस बारे में साइबर पावर पीसी इंडिया के चीफ ऑपरेटिंग ऑफिसर विशाल पारिख कहते हैं, 'इस क्षेत्र में सर्टिफिकेट कोर्स, डिप्लोमा कोर्स और डिग्री कोर्स तीनों ही विकल्प आज मौजूद हैं। बच्चे की जिस क्षेत्र में रुचि हो वो वैसा कोर्स कर सकता है। सर्टिफिकेट कोर्स कुछ हफ्ते से लेकर कुछ महीनों तक के हो सकते हैं, डिप्लोमा कोर्स 6 महीने से 1 वर्ष तक के होते हैं, और अंडर ग्रेजुएट और पोस्ट ग्रेजुएट कोर्स अपनी तय सीमा के हिसाब से ही होते हैं।'
कहां से कर सकते हैं गेमिंग का कोर्स
- नेशनल स्कूल ऑफ डिजाइन (NID)
- डीआईसीई एकेडमी (DICE Academy)
- विस्लिंग वुड्स इंटरनेशनल जैन विश्वविद्यालय
- आईआईटी (IITs)
- आईआईएम रोहतक
- एरेना एनिमेशन (Arena Animation)
- MAAC
कैसे आएगा बदलाव?जहां एक तरफ आज भी ज्यादातर बच्चे गेमर बनना ही गेमिंग इंडस्ट्री का एक बड़ा काम मानते हैं, वहीं जैसे-जैसे इंडस्ट्री आगे बढ़ रही है, वैसे-वैसे गेमिंग इंडस्ट्री में नए प्रोफेशन भी तैयार हो रहे हैं। तो गेमिंग इंडस्ट्री में करियर को लेकर बच्चों और पैरंट्स के व्यवहार में बदलाव कैसे आएगा?
इस बारे में डर्ट्यूब इंट्रेक्टिव एलएलपी (Dirtcube Interactive LLP) के को-फाउंडर प्रवन पारिख बताते हैं- 'मुझे लगता है कि ये बदलाव तब आएगा जब ज्यादा से ज्यादा युवा यह समझेंगे कि आज के दौर में गेमिंग सिर्फ एक शौक या प्रतियोगिता का जरिया नहीं हैं। बल्कि यह एक तकनीक से बनी इंडस्ट्री है, जहां आपके लिए कोडिंग, डिजाइन, राइटर, साउंड, इवेंट जैसे तमाम क्षेत्र हैं। जिसमें युवा काम कर सकते हैं।'
एक्सपर्ट्स का कहना है कि माता-पिता को भी गेमिंग को अब गलत आदत ना समझकर इस क्षेत्र के बारे में रिसर्च करके और बच्चे के शौक को समझते हुए, उन्हें किसी एक प्रोफेशन में आगे बढ़ने में मदद करनी चाहिए। जैसे बच्चे दूसरे प्रोफेशन के लिए पढ़ाई करते हैं। उसके लिए एक समय निर्धारित करते हैं। वैसे ही अगर गेमिंग इंडस्ट्री में करियर के लिए तैयारी करें, तो उन्हें न ही इसकी लत लगेगी, न ही वो मानसिक समस्याओं से गुजरेंगे। हालांकि इसमें माता-पिता को पहले इस इंडस्ट्री में करियर की संभावनाओं के बारे अपने बच्चे से बात करके, पूरी रिसर्च करके, उसे सही दिशा देनी होगी।
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