नई दिल्लीः विदेश जाने वाले सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल में शशि थरूर के शामिल होने की घोषणा के बाद कांग्रेस में मतभेद बढ़ गए हैं। उन पर परोक्ष रूप से कटाक्ष करते हुए कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा कि कांग्रेस में होने और कांग्रेस का होने में जमीन-आसमान का फर्क है। जयराम रमेश ने आरोप लगाया कि सरकार ने इस मामले में ईमानदारी नहीं, सिर्फ शरारत दिखाई है और वह ध्यान भटकाने का खेल खेल रही है क्योंकि उसका नैरिटव ‘पंचर’ हो गया है। उन्होंने यह भी कहा कि यह अच्छी लोकतांत्रिक परंपरा रही है कि आधिकारिक प्रतिनिधिमंडल में शामिल होने वाले सांसद अपनी पार्टी नेतृत्व से अनुमति लेते हैं। शशि थरूर को दरकिनार करना मुश्किलकांग्रेस वर्किंग कमेटी की मीटिंग में कुछ लोगों ने शिकायत की थी कि थरूर पार्टी लाइन से भटक रहे हैं। इन सब बातों को देखते हुए थरूर का सरकार का प्रस्ताव स्वीकार करना, पार्टी को चुनौती देने जैसा लग रहा है। लेकिन इन सब शिकवा-शिकायतों के बावजूद कांग्रेस शशि थरूर के खिलाफ कोई कदम नहीं उठा रही है। कांग्रेस पार्टी थरूर के बारे में फैसला लेने से पहले कई बातों पर विचार करेगी। सबसे जरूरी बात यह है कि केरल में आने वाले चुनाव में पार्टी को लेफ्ट फ्रंट और BJP से कड़ी टक्कर मिल रही है। बीजेपी कांग्रेस के वोट बैंक में सेंध लगाने की कोशिश कर रही है। लिहाजा, कांग्रेस को पता है कि बीजेपी थरूर के कंधे पर रखकर बंदूक चला रही है, ऐसे में कोई फैसला लेने से पहले कांग्रेस हाई कमान विभिन्न पहलुओं पर विचार करेगा। दूसरा, शशि थरूर की छवि जेंटलमैन की है, पार्टी नहीं चाहेगी कि उसकी पार्टी से एक भद्रजन चला जाए। शशि थरूर से जलन हो रही, अमित मालवीय क्यों बोले?बीजेपी ने कांग्रेस से पूछा है कि क्या थरूर से जलन हो रही है? बीजेपी पूछ रही है कि कांग्रेस ने थरूर को क्यों नहीं चुना। वहीं कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा कि जब किसी MP को आधिकारिक प्रतिनिधिमंडल में भेजा जाता है, तो उसे पार्टी से सलाह लेनी चाहिए। उन्होंने सरकार पर आरोप लगाया कि सरकार ने पहले अपने हिसाब से नाम तय कर लिए और बाद में औपचारिक रूप से नाम मांगे। रमेश ने इसे 'बेईमान' और 'शरारतपूर्ण' बताया।
कांग्रेस का विरोध कमजोर पड़ाथरूर ने ऑपरेशन सिंदूर पर भारत की राय रखने के लिए गठित प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा बनने का प्रस्ताव खुशी-खुशी प्रस्ताव स्वीकार कर लिया, जिससे कांग्रेस का विरोध कमजोर पड़ गया। थरूर ने कहा कि यह उनके लिए सम्मान की बात है। उन्होंने यह भी कहा कि यह मामला राष्ट्रीय हित से जुड़ा है और इसे राजनीतिक नजरिए से नहीं देखा जाना चाहिए। थरूर पहले UN में बड़े पद पर काम कर चुके हैं। वे विदेश मंत्रालय में जूनियर मंत्री भी रह चुके हैं। पिछले साल कांग्रेस ने उन्हें विदेश मामलों की स्थायी समिति का अध्यक्ष बनाने की सिफारिश की थी। विपक्षी दलों ने विरोध नहीं जतायाखास बात यह है कि INDIA गठबंधन में कांग्रेस के सहयोगी DMK की कनिमोझी और NCP की सुप्रिया सुले ने प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा बनने के प्रस्ताव को ठुकराया नहीं। अन्य प्रतिनिधिमंडलों का नेतृत्व रविशंकर प्रसाद (BJP), संजय झा (JDU), श्रीकांत शिंदे (शिवसेना) और बैजयंत पांडा (BJP) करेंगे। सरकार ने कांग्रेस के इस दावे को खारिज कर दिया है कि पार्टी को यह तय करने का पूरा अधिकार है कि प्रतिनिधिमंडल में कौन शामिल होगा। सूत्रों के मुताबिक, संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने कांग्रेस नेतृत्व से कहा कि इसका पार्टी की राजनीति से कोई लेना-देना नहीं है। शशि थरूर की मुरीद बीजेपीकांग्रेस के रुख पर BJP ने कड़ी प्रतिक्रिया दी। BJP IT सेल के प्रमुख अमित मालवीय ने X पर लिखा कि शशि थरूर की वाक्पटुता, UN में उनके लंबे अनुभव और विदेश नीति पर उनकी गहरी समझ से कोई इनकार नहीं कर सकता, तो फिर कांग्रेस पार्टी और खासकर राहुल गांधी ने उन्हें क्यों नहीं चुना? क्या यह असुरक्षा है? जलन है? या सिर्फ उन लोगों के प्रति असहिष्णुता है जो 'हाई कमान'से आगे निकल जाते हैं?
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