नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को बीजेपी की तेलंगाना इकाई द्वारा दायर उस याचिका को ख़ारिज कर दिया जिसमें मुख्यमंत्री ए. रेवंत रेड्डी के ख़िलाफ़ मानहानि मामले को रद्द करने वाले हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती दी गई थी। यह मामला रेड्डी के 2024 लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान दिए गए एक भाषण से जुड़ा था।
मामले में दखल देने को तैयार नहीं पीठ
चीफ जस्टिस (CJI) बी. आर. गवई की अगुवाई वाली बेंच ने कहा कि वह इस मामले में दखल देने को तैयार नहीं है। एक अगस्त को तेलंगाना हाईकोर्ट ने रेड्डी की उस याचिका पर सुनवाई की थी जिसमें उन्होंने हैदराबाद की ट्रायल कोर्ट में लंबित कार्यवाही को रद्द करने की मांग की थी। बीजेपी की तेलंगाना इकाई के महासचिव ने मई 2024 में रेड्डी के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी।
कांग्रेस साथ मिलकर गढ़ी झूठी कहानी
इसमें आरोप लगाया गया था कि रेड्डी ने पार्टी के खिलाफ उकसाने वाला और मानहानिकारक भाषण दिया। आरोप यह भी लगाया गया कि उन्होंने कांग्रेस के साथ मिलकर एक झूठी और भ्रामक राजनीतिक कहानी गढ़ी, जिसमें कहा गया कि बीजेपी सत्ता में आई तो आरक्षण खत्म कर देगी।
ट्रायल कोर्ट के आदेश को हाईकोर्ट में दी चुनौती
शिकायतकर्ता का दावा था कि इस भाषण से बीजेपी की राजनीतिक पार्टी के रूप में प्रतिष्ठा को ठेस पहुँची। अगस्त 2023 में ट्रायल कोर्ट ने कहा था कि रेड्डी के खिलाफ मानहानि के अपराध और जन प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 125 (जो चुनाव से जुड़ी वर्गों के बीच दुश्मनी फैलाने पर रोक लगाती है) के तहत पहली नजर मामला बनता है। रेड्डी ने ट्रायल कोर्ट के आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी।
इस कारण मान्य नहीं शिकायत
उनका तर्क था कि शिकायत में लगाए गए आरोप पहली नजर में मामला नहीं बनाते और राजनीतिक भाषणों को मानहानि का विषय नहीं बनाया जा सकता। हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा थाभले ही यह अदालत यह माने कि शिकायतकर्ता भारतीय जनता पार्टी की राष्ट्रीय इकाई का हिस्सा है और उसे भाजपा का सदस्य माना जा सकता है, फिर भी राष्ट्रीय इकाई द्वारा अधिकृत न होने के कारण शिकायत मान्य नहीं है। रेड्डी की याचिका स्वीकार करते हुए, हाईकोर्ट ने ट्रायल कोर्ट के आदेश और उससे उत्पन्न कार्यवाही को रद्द कर दिया।
मामले में दखल देने को तैयार नहीं पीठ
चीफ जस्टिस (CJI) बी. आर. गवई की अगुवाई वाली बेंच ने कहा कि वह इस मामले में दखल देने को तैयार नहीं है। एक अगस्त को तेलंगाना हाईकोर्ट ने रेड्डी की उस याचिका पर सुनवाई की थी जिसमें उन्होंने हैदराबाद की ट्रायल कोर्ट में लंबित कार्यवाही को रद्द करने की मांग की थी। बीजेपी की तेलंगाना इकाई के महासचिव ने मई 2024 में रेड्डी के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी।
कांग्रेस साथ मिलकर गढ़ी झूठी कहानी
इसमें आरोप लगाया गया था कि रेड्डी ने पार्टी के खिलाफ उकसाने वाला और मानहानिकारक भाषण दिया। आरोप यह भी लगाया गया कि उन्होंने कांग्रेस के साथ मिलकर एक झूठी और भ्रामक राजनीतिक कहानी गढ़ी, जिसमें कहा गया कि बीजेपी सत्ता में आई तो आरक्षण खत्म कर देगी।
ट्रायल कोर्ट के आदेश को हाईकोर्ट में दी चुनौती
शिकायतकर्ता का दावा था कि इस भाषण से बीजेपी की राजनीतिक पार्टी के रूप में प्रतिष्ठा को ठेस पहुँची। अगस्त 2023 में ट्रायल कोर्ट ने कहा था कि रेड्डी के खिलाफ मानहानि के अपराध और जन प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 125 (जो चुनाव से जुड़ी वर्गों के बीच दुश्मनी फैलाने पर रोक लगाती है) के तहत पहली नजर मामला बनता है। रेड्डी ने ट्रायल कोर्ट के आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी।
इस कारण मान्य नहीं शिकायत
उनका तर्क था कि शिकायत में लगाए गए आरोप पहली नजर में मामला नहीं बनाते और राजनीतिक भाषणों को मानहानि का विषय नहीं बनाया जा सकता। हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा थाभले ही यह अदालत यह माने कि शिकायतकर्ता भारतीय जनता पार्टी की राष्ट्रीय इकाई का हिस्सा है और उसे भाजपा का सदस्य माना जा सकता है, फिर भी राष्ट्रीय इकाई द्वारा अधिकृत न होने के कारण शिकायत मान्य नहीं है। रेड्डी की याचिका स्वीकार करते हुए, हाईकोर्ट ने ट्रायल कोर्ट के आदेश और उससे उत्पन्न कार्यवाही को रद्द कर दिया।
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