गरियाबंद: नक्सल विरोधी अभियान के तहत सुरक्षाबल के जवानों को लगातार सफलता मिली रही है। छत्तीसगढ़ के बस्तर और नक्सल प्रभावित इलाकों में जवानों ने नक्सलियों के कई टॉप लीडरों को मार गिराया है। जिसके बाद नक्सली संगठन कमजोर हो गए हैं। नक्सलियों के खिलाफ अभियान में गरियाबंद में गुरुवार को सुरक्षाबल के जवानों ने नक्सलियों के एक और टॉप लीडर का एनकाउंटर किया है। इस मुठभेड़ में 10 माओवादी मारे गए हैं। जानकारी के अनुसार, एक गार्ड के इनपुट पर यह ऑपरेशन किया गया है।
1 करोड़ रुपये का था इनाम
दरअसल, मारे गए नक्सली लीडर मोडेम बालकृष्ण पर 1 करोड़ रुपये का इनाम घोषित था। सूत्रों के अनुसार, हाल ही में नक्सली लीडर मोडेम बालकृष्ण का गार्ड रहे एक नक्सली ने सुरक्षाबल के जवानों के सामने सरेंडर किया था। इसी गार्ड ने जवानों को मोडेम बालकृष्ण के बारे में सीक्रेट जानकारी दी थी। उसके सुरक्षाबल के जवानों को उसकी लोकेशन और उसके गतिविधियों के बारे में बताया था।
गॉर्ड के इनपुट पर जवानों का एक्शन
गार्ड से मिले इनपुट के बाद जवानों ने तकनीकी आधार पर उसकी जांच की थी। लोकेशन सही मिलने के बाद जवानों ने ऑपरेशन लांच किया था। सुरक्षाबल के जजवान ऑपरेशन के लिए 10 सितंबर को निकले थे और 11 सिंतबर को मौके पर पहुंचे। यहां पहुंचकर जवानों ने एक बार फिर से लोकेशन कन्फर्म की। लोकेशन कन्फर्म होते ही जवानों की टीम मैनपुर के कुल्हाड़ी घाट में ऑपरेशन को शुरू किया।
इस दौरान कुल्हाड़ी घाट से लगे पहाड़ी इलाके मटाल में जवानों ने संयुक्त ऑपरेशन चलाया। एनकाउंटर में सेंट्रल कमेटी सदस्य मनोज उर्फ बालन्ना उर्फ मोडेम बालकृष्ण अपने 9 साथियों के साथ मारा गया। एसपी निखिल राखेचा ने इसकी पुष्टि की है।
25 सालों से थी तलाश
मोडेम बालकृष्ण 1990 में माओवादी संगठन में शामिल हुआ था। सुरक्षाबल के जवानों के पास उसके जवानी के दिनों की फोटो उपलब्ध थी। बीते 25 सालों से वह अंडरग्राउंड रहकर जवानों के खिलाफ बड़े हमलों को अंजाम देता था। वह कई बड़े अपराधों में शामिल था। सुरक्षाबल के जवान बीते 25 सालों से उसकी तलाश कर रहे थे।
कमेटी का सचिव था बालकृष्ण
गरियाबंद पुलिस के अनुसार, पहाड़ी इलाके मटाल में संयुक्त ऑपरेशन चलाया गया था। एनकाउंटर में सेंट्रल कमेटी सदस्य मनोज उर्फ बालन्ना उर्फ मोडेम बालकृष्ण अपने 9 साथियों के साथ मारा गया। बालकृष्ण के पास ओडिशा राज्य कमेटी के सचिव की भी जिम्मेदारी थी।
1 करोड़ रुपये का था इनाम
दरअसल, मारे गए नक्सली लीडर मोडेम बालकृष्ण पर 1 करोड़ रुपये का इनाम घोषित था। सूत्रों के अनुसार, हाल ही में नक्सली लीडर मोडेम बालकृष्ण का गार्ड रहे एक नक्सली ने सुरक्षाबल के जवानों के सामने सरेंडर किया था। इसी गार्ड ने जवानों को मोडेम बालकृष्ण के बारे में सीक्रेट जानकारी दी थी। उसके सुरक्षाबल के जवानों को उसकी लोकेशन और उसके गतिविधियों के बारे में बताया था।
गॉर्ड के इनपुट पर जवानों का एक्शन
गार्ड से मिले इनपुट के बाद जवानों ने तकनीकी आधार पर उसकी जांच की थी। लोकेशन सही मिलने के बाद जवानों ने ऑपरेशन लांच किया था। सुरक्षाबल के जजवान ऑपरेशन के लिए 10 सितंबर को निकले थे और 11 सिंतबर को मौके पर पहुंचे। यहां पहुंचकर जवानों ने एक बार फिर से लोकेशन कन्फर्म की। लोकेशन कन्फर्म होते ही जवानों की टीम मैनपुर के कुल्हाड़ी घाट में ऑपरेशन को शुरू किया।
इस दौरान कुल्हाड़ी घाट से लगे पहाड़ी इलाके मटाल में जवानों ने संयुक्त ऑपरेशन चलाया। एनकाउंटर में सेंट्रल कमेटी सदस्य मनोज उर्फ बालन्ना उर्फ मोडेम बालकृष्ण अपने 9 साथियों के साथ मारा गया। एसपी निखिल राखेचा ने इसकी पुष्टि की है।
25 सालों से थी तलाश
मोडेम बालकृष्ण 1990 में माओवादी संगठन में शामिल हुआ था। सुरक्षाबल के जवानों के पास उसके जवानी के दिनों की फोटो उपलब्ध थी। बीते 25 सालों से वह अंडरग्राउंड रहकर जवानों के खिलाफ बड़े हमलों को अंजाम देता था। वह कई बड़े अपराधों में शामिल था। सुरक्षाबल के जवान बीते 25 सालों से उसकी तलाश कर रहे थे।
कमेटी का सचिव था बालकृष्ण
गरियाबंद पुलिस के अनुसार, पहाड़ी इलाके मटाल में संयुक्त ऑपरेशन चलाया गया था। एनकाउंटर में सेंट्रल कमेटी सदस्य मनोज उर्फ बालन्ना उर्फ मोडेम बालकृष्ण अपने 9 साथियों के साथ मारा गया। बालकृष्ण के पास ओडिशा राज्य कमेटी के सचिव की भी जिम्मेदारी थी।
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