नई दिल्ली: आर्मेनिया भारत के साथ अब तक की सबसे बड़ी डिफेंस डील करने जा रहा है। इस रक्षा समझौता के तहत आर्मेनिया भारत से सुखोई-30MKI लड़ाकू विमान खरीदेगा। भारत की सरकारी कंपनी एचएएल इन विमानों को बनाएगी। यह सौदा करीब 2.5 से तीन अरब डॉलर का हो सकता है, जो कि आर्मेनिया के इतिहास की सबसे बड़ी डिफेंस डील होगी। यह डील के 2027 तक शुरू होने की उम्मीद है।
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, भारत के साथ यह डिफेंस डील आर्मेनिया के लिए काफी खास है। इस डील से भारत और आर्मेनिया के बीच सैन्य रिश्ते मजबूत होंगे। साथ ही इस डील को अजरबैजान के पाकिस्तान से 40 JF-17C Block-III लड़ाकू विमान खरीदने के जवाब में मानी जा रही है।
HAL तैयार करेगा विमान
HAL इन विमानों को खास तौर पर आर्मेनिया के लिए तैयार करेगी। इसमें भारत का बनाया हुआ उत्तम AESA रडार, जो कि हवा में उड़ते हुए विमान को पता करने में माहिर है। साथ ही इसमें अस्त्र मिसाइलें जो कि बहुत दूर से ही दुश्मन के विमानों को मार गिरा सकती है लगाई जाएंगी। साथ ही, इसमें इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर सिस्टम भी होगा। इन सब खूबियों के साथ, आर्मेनिया को मिलने वाले सुखोई Su-30MKI दुनिया के सबसे एडवांस एक्सपोर्ट वर्जन में से एक होंगे।
भारत का सुखोई SU-30MKI भारतीय वायुसेना का सबसे भरोसेमंद और ताकतवर मल्टी रोल लड़ाकू विमानों में से एक है। इसे रूस और भारत की हिंदुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड कंपनी ने संयुक्त रूप से तैयार किया है।
भारतीय वायुसेना की शान है SU-30MKI
यह 2002 से भारतीय वायु सेना की शान है, इसे HAL द्वारा लगातार और ताकतवर बनाया जा रहा है। इस लड़ाकू विमान को खास AL-31FP इंजन मिले हैं, जो इसे हवा में हैरतअंगेज करतब दिखाने की ताकत देते हैं। यह आठ टन से ज्यादा हथियार ले जा सकता है, यह ब्रह्मोस मिसाइल से लैस है।
ब्रह्मोस-अस्त्र जैसी मिसाइलों से है लैस
पिछले पांच सालों में, HAL और भारतीय वायु सेना ने मिलकर इस विमान को कई बड़े अपग्रेड दिए हैं। इसमें स्वदेशी मिशन कंप्यूटर, रडार वार्निंग रिसीवर और इन्फ्रारेड सर्च-एंड-ट्रैक सिस्टम जैसी नई तकनीकें जोड़ी गई हैं। 2023 में शुरू हुए 'सुपर सुखोई' आधुनिकीकरण कार्यक्रम का लक्ष्य 150 से ज्यादा विमानों को डिजिटल कॉकपिट, नई पीढ़ी के सेंसर से लैस करना है। साथ ही, इन्हें अस्त्र मार्क-2 और मार्क-3 मिसाइलों के साथ इस्तेमाल के लिए तैयार किया जा रहा है।
भारत अब इस विमान को दूसरे देशों को बेचने की तैयारी में है। HAL सक्रिय रूप से मिस्र, मलेशिया और हाल ही में आर्मेनिया जैसे देशों को इसके निर्यात के लिए प्रचार कर रहा है।
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, भारत के साथ यह डिफेंस डील आर्मेनिया के लिए काफी खास है। इस डील से भारत और आर्मेनिया के बीच सैन्य रिश्ते मजबूत होंगे। साथ ही इस डील को अजरबैजान के पाकिस्तान से 40 JF-17C Block-III लड़ाकू विमान खरीदने के जवाब में मानी जा रही है।
HAL तैयार करेगा विमान
HAL इन विमानों को खास तौर पर आर्मेनिया के लिए तैयार करेगी। इसमें भारत का बनाया हुआ उत्तम AESA रडार, जो कि हवा में उड़ते हुए विमान को पता करने में माहिर है। साथ ही इसमें अस्त्र मिसाइलें जो कि बहुत दूर से ही दुश्मन के विमानों को मार गिरा सकती है लगाई जाएंगी। साथ ही, इसमें इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर सिस्टम भी होगा। इन सब खूबियों के साथ, आर्मेनिया को मिलने वाले सुखोई Su-30MKI दुनिया के सबसे एडवांस एक्सपोर्ट वर्जन में से एक होंगे।
भारत का सुखोई SU-30MKI भारतीय वायुसेना का सबसे भरोसेमंद और ताकतवर मल्टी रोल लड़ाकू विमानों में से एक है। इसे रूस और भारत की हिंदुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड कंपनी ने संयुक्त रूप से तैयार किया है।
भारतीय वायुसेना की शान है SU-30MKI
यह 2002 से भारतीय वायु सेना की शान है, इसे HAL द्वारा लगातार और ताकतवर बनाया जा रहा है। इस लड़ाकू विमान को खास AL-31FP इंजन मिले हैं, जो इसे हवा में हैरतअंगेज करतब दिखाने की ताकत देते हैं। यह आठ टन से ज्यादा हथियार ले जा सकता है, यह ब्रह्मोस मिसाइल से लैस है।
ब्रह्मोस-अस्त्र जैसी मिसाइलों से है लैस
पिछले पांच सालों में, HAL और भारतीय वायु सेना ने मिलकर इस विमान को कई बड़े अपग्रेड दिए हैं। इसमें स्वदेशी मिशन कंप्यूटर, रडार वार्निंग रिसीवर और इन्फ्रारेड सर्च-एंड-ट्रैक सिस्टम जैसी नई तकनीकें जोड़ी गई हैं। 2023 में शुरू हुए 'सुपर सुखोई' आधुनिकीकरण कार्यक्रम का लक्ष्य 150 से ज्यादा विमानों को डिजिटल कॉकपिट, नई पीढ़ी के सेंसर से लैस करना है। साथ ही, इन्हें अस्त्र मार्क-2 और मार्क-3 मिसाइलों के साथ इस्तेमाल के लिए तैयार किया जा रहा है।
भारत अब इस विमान को दूसरे देशों को बेचने की तैयारी में है। HAL सक्रिय रूप से मिस्र, मलेशिया और हाल ही में आर्मेनिया जैसे देशों को इसके निर्यात के लिए प्रचार कर रहा है।
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