पटना: अंजुमन इस्लामिया हॉल शुक्रवार को लड़कियों से गुलजार हो गया। ऐसा नजारा देखने को मिला, जो न किसी सेलिब्रिटी के शो में दिखता है और न ही किसी राजनेता की रैली में। ये दृश्य था देश के लोकप्रिय शिक्षक खान सर के स्वागत का, जिनकी एक झलक पाने और उनके साथ सेल्फी लेने के लिए छात्राओं की जबरदस्त भीड़ उमड़ पड़ी। खान सर ने अपनी शादी के बाद छात्राओं के लिए एक विशेष भोज का आयोजन किया था, लेकिन यह भोज कब 'सेल्फी महोत्सव' में बदल गया, किसी को पता भी नहीं चला। हालांकि, इस भोज में मोबाइल कैमरे 'मिसेज खान' को ढूंढते रहे।
खान सर की एक झलक पाने को बेताब छात्राएंशुक्रवार सुबह से ही अशोक राजपथ स्थित अंजुमन इस्लामिया हॉल के बाहर छात्राओं की भीड़ जुटने लगी थी। हर किसी के हाथ में गुलदस्ता, फोन का कैमरा ऑन और चेहरे पर अपने प्रिय शिक्षक के साथ एक तस्वीर लेने की ख्वाहिश साफ झलक रही थी। कोई अपनी मेहंदी लगे हाथों से फोन थामे थी, तो कोई अपनी सहेलियों के साथ सही एंगल सेट करने में जुटी थी। कुछ छात्राएं चुपचाप स्टेज पर लगे कैमरे पर टकटकी लगाए बैठी थीं, मानो खान सर के आने का इंतजार कर रही हों।
जैसे ही खान सर मंच पर पहुंचे, तालियों की गड़गड़ाहट से पूरा हॉल गूंज उठा। लेकिन असली नजारा तब देखने को मिला जब खान सर मंच से नीचे आए। सेल्फी लेने के लिए हुजूम पूरी तरह बेकाबू हो गया। भीड़ को देखकर खुद खान सर भी भावुक हो उठे और वॉकी-टॉकी माइक लेकर भीड़ को संभालने का प्रयास करते नजर आए।
खान सर ने छात्राओं के मोबाइल से भी ली सेल्फीकई बार ऐसा भी हुआ जब उत्साह में बच्चियों के हाथ कांप रहे थे, तस्वीरें धुंधली हो रही थीं या वे पीछे रह जा रहे थे। ऐसे में खान सर ने खुद उनके फोन लेकर तस्वीरें खींचीं। किसी को विक्ट्री साइन में फोटो चाहिए थी, तो कोई अपने टॉपर बैच की पूरी टीम के साथ तस्वीर ले रहा था। एक छात्रा ने तो यहां तक कहा कि सर आप कंधे पर हाथ रख दो, बस ये वाली फोटो जिंदगी भर रखूंगी।
हजारों लड़कियों की भीड़ के बावजूद, हर कोई शांति से अपनी बारी का इंतजार कर रहा था। उन्हें भरोसा था कि अगर खान सर ने वादा किया है, तो मौका जरूर मिलेगा। खान सर ने न केवल हर किसी को सेल्फी दी, बल्कि हर छात्रा को यह एहसास भी दिलाया कि वे उनके लिए सिर्फ एक स्टूडेंट नहीं, बल्कि उनकी जिम्मेदारी हैं।
सेल्फी नहीं, गुरु-शिष्य के स्नेह का ऐतिहासिक पलपटना में जो हुआ, वो केवल एक सेल्फी महोत्सव नहीं था। ये एक ऐसा ऐतिहासिक पल था जब एक सेल्फी सिर्फ एक फोटो नहीं, बल्कि एक छात्र को अपने गुरु के प्रति स्नेह, गर्व और सपनों की मुहर बन गई। खान सर के साथ ली गई ये तस्वीरें केवल मोबाइल गैलरी में नहीं रहेंगी, बल्कि ये बचपन का गौरव, संघर्ष की प्रेरणा और गुरु के सानिध्य की छवि बनकर हर छात्रा के जीवन में बस जाएंगी।
जब कोई शिक्षक खुद आगे बढ़कर स्टूडेंट को गले लगाता है, तो शिक्षा सिर्फ ज्ञान नहीं रह जाती, वो एक भाव बन जाती है। आज खान सर ने एक बार फिर साबित कर दिया कि उस भाव का नाम है स्नेह और अपनापन।
खान सर की एक झलक पाने को बेताब छात्राएंशुक्रवार सुबह से ही अशोक राजपथ स्थित अंजुमन इस्लामिया हॉल के बाहर छात्राओं की भीड़ जुटने लगी थी। हर किसी के हाथ में गुलदस्ता, फोन का कैमरा ऑन और चेहरे पर अपने प्रिय शिक्षक के साथ एक तस्वीर लेने की ख्वाहिश साफ झलक रही थी। कोई अपनी मेहंदी लगे हाथों से फोन थामे थी, तो कोई अपनी सहेलियों के साथ सही एंगल सेट करने में जुटी थी। कुछ छात्राएं चुपचाप स्टेज पर लगे कैमरे पर टकटकी लगाए बैठी थीं, मानो खान सर के आने का इंतजार कर रही हों।
#पटना के अंजुमन इस्लामिया हॉल में खान सर ने छात्राओं के लिए भोज का आयोजन किया। इस रिसेप्शन पार्टी में लड़कियों की इतनी भीड़ उमड़ी कि ये एक 'सेल्फी महोत्सव' में बदल गया। हर कोई खान सर के साथ सेल्फी लेना चाहता था। हालांकि, छात्राओं ने मिसेज खान को भी इतना ही मिस किया। #KhanSir pic.twitter.com/i7qZTmzmV5
— NBT Bihar (@NBTBihar) June 20, 2025
जैसे ही खान सर मंच पर पहुंचे, तालियों की गड़गड़ाहट से पूरा हॉल गूंज उठा। लेकिन असली नजारा तब देखने को मिला जब खान सर मंच से नीचे आए। सेल्फी लेने के लिए हुजूम पूरी तरह बेकाबू हो गया। भीड़ को देखकर खुद खान सर भी भावुक हो उठे और वॉकी-टॉकी माइक लेकर भीड़ को संभालने का प्रयास करते नजर आए।
खान सर ने छात्राओं के मोबाइल से भी ली सेल्फीकई बार ऐसा भी हुआ जब उत्साह में बच्चियों के हाथ कांप रहे थे, तस्वीरें धुंधली हो रही थीं या वे पीछे रह जा रहे थे। ऐसे में खान सर ने खुद उनके फोन लेकर तस्वीरें खींचीं। किसी को विक्ट्री साइन में फोटो चाहिए थी, तो कोई अपने टॉपर बैच की पूरी टीम के साथ तस्वीर ले रहा था। एक छात्रा ने तो यहां तक कहा कि सर आप कंधे पर हाथ रख दो, बस ये वाली फोटो जिंदगी भर रखूंगी।
हजारों लड़कियों की भीड़ के बावजूद, हर कोई शांति से अपनी बारी का इंतजार कर रहा था। उन्हें भरोसा था कि अगर खान सर ने वादा किया है, तो मौका जरूर मिलेगा। खान सर ने न केवल हर किसी को सेल्फी दी, बल्कि हर छात्रा को यह एहसास भी दिलाया कि वे उनके लिए सिर्फ एक स्टूडेंट नहीं, बल्कि उनकी जिम्मेदारी हैं।
सेल्फी नहीं, गुरु-शिष्य के स्नेह का ऐतिहासिक पलपटना में जो हुआ, वो केवल एक सेल्फी महोत्सव नहीं था। ये एक ऐसा ऐतिहासिक पल था जब एक सेल्फी सिर्फ एक फोटो नहीं, बल्कि एक छात्र को अपने गुरु के प्रति स्नेह, गर्व और सपनों की मुहर बन गई। खान सर के साथ ली गई ये तस्वीरें केवल मोबाइल गैलरी में नहीं रहेंगी, बल्कि ये बचपन का गौरव, संघर्ष की प्रेरणा और गुरु के सानिध्य की छवि बनकर हर छात्रा के जीवन में बस जाएंगी।
जब कोई शिक्षक खुद आगे बढ़कर स्टूडेंट को गले लगाता है, तो शिक्षा सिर्फ ज्ञान नहीं रह जाती, वो एक भाव बन जाती है। आज खान सर ने एक बार फिर साबित कर दिया कि उस भाव का नाम है स्नेह और अपनापन।
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