नई दिल्ली: हिंदू होने के कारण 14 भारतीय नागरिकों को पाकिस्तान में एंट्री नहीं दी गई। पाकिस्तानी अधिकारियों ने उन्हें चुन-चुनकर बस से बाहर निकाला और भारत के लिए रवाना कर दिया। इन 14 हिंदुओं ने 95,000 रुपए (पाकिस्तानी करंसी) खर्च करके टिकट खरीदे थे, लेकिन उन्हें टिकट के पैसे भी वापस नहीं दिए गए। ये सभी 14 लोग सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक देव की जयंती मनाने के लिए पाकिस्तान जा रहे थे।
न्यूज एजेंसी के मुताबिक पाकिस्तानी अधिकारियों ने दिल्ली और लखनऊ के 14 हिंदुओं से कहा कि वे सिख ग्रुप के साथ यात्रा नहीं कर सकते, क्योंकि वे उस धर्म का हिस्सा नहीं हैं। अमर चंद नामक एक श्रद्धालु को उनके परिवार के 6 लोगों के साथ वापस भेज दिया गया। उन्होंने बताया कि पाकिस्तानी अधिकारियों ने हमसे कहा कि आप हिंदू हैं और सिख जत्थे के साथ नहीं जा सकते।
1900 श्रद्धालुओं के जत्थे में थे शामिलदरअसल, करीब 1900 सिख श्रद्धालुओं का एक जत्था गुरु नानक देव के प्रकाश पर्व पर अटारी-वाघा बॉर्डर के रास्ते पाकिस्तान पहुंचा। अमर चंद और उनका परिवार भी उस जत्थे में शामिल था। परिवार ने बताया कि वे सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक देव के प्रकाश पर्व के अवसर पर पाकिस्तान के गुरुद्वारों में मत्था टेकना चाहते थे। सात सदस्यों वाले इस परिवार के साथ लखनऊ के सात लोगों को भी वापस भेज दिया गया। यानी कुल 14 लोगों को हिंदू होने के कारण पाकिस्तान ने एंट्री नहीं दी।
300 लोगों को नहीं दी गई अनुमतिएक रिपोर्ट के मुताबिक 300 लोगों ने भी मत्था टेकने के लिए वीजा अप्लाई किया था, लेकिन उन्हें केंद्रीय गृह मंत्रालय से मंजूरी न मिलने के कारण भारत वापस भेज दिया गया। रिपोर्ट के मुताबिक हिंदू श्रद्धालु सिख जत्थे के साथ अटारी-वाघा सड़क मार्ग से पाकिस्तान पहुंचे और वहां सभी औपचारिकताएं पूरी कीं थीं।
पांच पाकिस्तानी अधिकारी वहां आएअमर चंद ने बताया कि उन्हें तीर्थयात्रियों के लिए एक विशेष बस में चढ़ने के लिए कहा गया। उनके परिवार के सभी सात सदस्यों के लिए बस टिकट पर 95,000 रुपये (पाकिस्तानी मुद्रा में) खर्च किए। बाद में पांच पाकिस्तानी अधिकारी आए और उन्हें और लखनऊ से आए सात अन्य लोगों को बस से उतरने के लिए कहा।
टिकट पर खर्च किए पैसे भी नहीं मिलेपाकिस्तानी अधिकारियों ने अमर चंद से कहा कि आप हिंदू हैं, आप सिख जत्थे के साथ नहीं जा सकते। फिर उन्होंने हमें वापस भेज दिया। उन्होंने आगे बताया कि भारतीय अधिकारियों ने पाकिस्तानी अधिकारियों से पूछा कि उन्हें वापस क्यों भेजा गया। बस टिकट पर खर्च किए गए पैसे भी वापस नहीं किए गए।
पहले पाकिस्तानी नागरिक थे अमर चंददरअसल, अमर चंद जो पहले पाकिस्तानी नागरिक थे, 1999 में भारत आए और 2010 में उन्हें भारतीय नागरिकता मिल गई। वे वर्तमान में दिल्ली में रहते हैं। बता दें कि 4 नवंबर से 13 नवंबर तक पाकिस्तान की यात्रा पर गया यह जत्था गुरुद्वारा ननकाना साहिब, गुरुद्वारा पंजा साहिब, गुरुद्वारा सच्चा सौदा और गुरुद्वारा दरबार साहिब, करतारपुर जाएगा।
न्यूज एजेंसी के मुताबिक पाकिस्तानी अधिकारियों ने दिल्ली और लखनऊ के 14 हिंदुओं से कहा कि वे सिख ग्रुप के साथ यात्रा नहीं कर सकते, क्योंकि वे उस धर्म का हिस्सा नहीं हैं। अमर चंद नामक एक श्रद्धालु को उनके परिवार के 6 लोगों के साथ वापस भेज दिया गया। उन्होंने बताया कि पाकिस्तानी अधिकारियों ने हमसे कहा कि आप हिंदू हैं और सिख जत्थे के साथ नहीं जा सकते।
1900 श्रद्धालुओं के जत्थे में थे शामिलदरअसल, करीब 1900 सिख श्रद्धालुओं का एक जत्था गुरु नानक देव के प्रकाश पर्व पर अटारी-वाघा बॉर्डर के रास्ते पाकिस्तान पहुंचा। अमर चंद और उनका परिवार भी उस जत्थे में शामिल था। परिवार ने बताया कि वे सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक देव के प्रकाश पर्व के अवसर पर पाकिस्तान के गुरुद्वारों में मत्था टेकना चाहते थे। सात सदस्यों वाले इस परिवार के साथ लखनऊ के सात लोगों को भी वापस भेज दिया गया। यानी कुल 14 लोगों को हिंदू होने के कारण पाकिस्तान ने एंट्री नहीं दी।
300 लोगों को नहीं दी गई अनुमतिएक रिपोर्ट के मुताबिक 300 लोगों ने भी मत्था टेकने के लिए वीजा अप्लाई किया था, लेकिन उन्हें केंद्रीय गृह मंत्रालय से मंजूरी न मिलने के कारण भारत वापस भेज दिया गया। रिपोर्ट के मुताबिक हिंदू श्रद्धालु सिख जत्थे के साथ अटारी-वाघा सड़क मार्ग से पाकिस्तान पहुंचे और वहां सभी औपचारिकताएं पूरी कीं थीं।
पांच पाकिस्तानी अधिकारी वहां आएअमर चंद ने बताया कि उन्हें तीर्थयात्रियों के लिए एक विशेष बस में चढ़ने के लिए कहा गया। उनके परिवार के सभी सात सदस्यों के लिए बस टिकट पर 95,000 रुपये (पाकिस्तानी मुद्रा में) खर्च किए। बाद में पांच पाकिस्तानी अधिकारी आए और उन्हें और लखनऊ से आए सात अन्य लोगों को बस से उतरने के लिए कहा।
टिकट पर खर्च किए पैसे भी नहीं मिलेपाकिस्तानी अधिकारियों ने अमर चंद से कहा कि आप हिंदू हैं, आप सिख जत्थे के साथ नहीं जा सकते। फिर उन्होंने हमें वापस भेज दिया। उन्होंने आगे बताया कि भारतीय अधिकारियों ने पाकिस्तानी अधिकारियों से पूछा कि उन्हें वापस क्यों भेजा गया। बस टिकट पर खर्च किए गए पैसे भी वापस नहीं किए गए।
पहले पाकिस्तानी नागरिक थे अमर चंददरअसल, अमर चंद जो पहले पाकिस्तानी नागरिक थे, 1999 में भारत आए और 2010 में उन्हें भारतीय नागरिकता मिल गई। वे वर्तमान में दिल्ली में रहते हैं। बता दें कि 4 नवंबर से 13 नवंबर तक पाकिस्तान की यात्रा पर गया यह जत्था गुरुद्वारा ननकाना साहिब, गुरुद्वारा पंजा साहिब, गुरुद्वारा सच्चा सौदा और गुरुद्वारा दरबार साहिब, करतारपुर जाएगा।
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