राजन शाही ने हाल ही में अपने शो 'अनुपमा' की एक्ट्रेस की तारीफ की है और उनका सपोर्ट भी किया है। राजन साही ने कहा कि रूपाली गांगुली एक ऐसी अभिनेत्री हैं, जिनके बारे में सही या गलत कुछ भी कह देने से उनके सह-कलाकारों को मीडिया कवरेज मिल जाती है। हाल ही में दिए गए एक इंटरव्यू में राजन शाही रूपाली गांगुली के समर्थन में खड़े नजर आए। उन्होंने बताया कि रूपाली को उनके ही को-एक्टर्स शो की विलेन की तरह पेश करने की कोशिश करते हैं।
टीवी जगत में ‘ये रिश्ता क्या कहलाता है’, ‘अनुपमा’ और ‘बिदाई’ जैसे हिट शो देने वाले निर्माता राजन शाही ने इंटरव्यू में कहा कि उनकी और रूपाली गांगुली की दोस्ती 21 साल पुरानी है। इस दौरान उन्होंने रूपाली और उनके सह-कलाकारों के बीच हुए मतभेदों पर भी चर्चा की और अपने पुराने शो ‘दिल है कि मानता नहीं’ के दिनों को भी याद किया।
रूपाली गांगुली और राजन शाही की दोस्तीराजन शाही पहली बार 1999 में रूपाली गांगुली से मिले थे। उस समय रूपाली आर्थिक रूप से संघर्ष कर रही थीं और वर्ली से जुहू उनके ऑफिस तक पैदल चलकर ऑडिशन देने आया करती थीं। शुरुआत में राजन शाही ने रूपाली पर ध्यान नहीं दिया, लेकिन रूपाली इस रोल को लेकर बेहद उत्साहित थीं। उन्होंने एक मौका मांगा और राजन शाही ने उन्हें कास्ट कर लिया। आज भी रूपाली मजाक में उन्हें याद दिलाती हैं कि किस तरह उन्होंने कई बार रिजेक्ट करने के बावजूद हार नहीं मानी और उनके ऑफिस के बाहर खड़ी रहती थीं। ‘दिल है कि मानता नहीं’ के बाद 21 साल बाद दोनों फिर ‘अनुपमा’ के लिए साथ आए।
रूपाली के साथ मतभेद हुएराजन शाही ने बताया कि ‘दिल है कि मानता नहीं’ के दौरान उनके और रूपाली के बीच विचारों में मतभेद हो गए थे। हालांकि यह कोई झगड़ा नहीं था। इसके बाद ‘बिदाई’ की सफलता की पार्टी में दोनों मिले। तब तक रूपाली की शादी हो चुकी थी और बेटा रुद्रांश भी हो गया था। इसी कारण दोनों का संपर्क टूट गया था।जब ‘अनुपमा’ की चर्चा शुरू हुई तो रूपाली का नाम सामने आया। उस समय वह गोवा में थीं। वापसी के बाद वह सीधे राजन शाही के ऑफिस पहुंचीं और कहा, 'आपको मुझे ही इस रोल के लिए कास्ट करना पड़ेगा।' इस पर राजन शाही ने भी हामी भरते हुए कहा, 'रूपाली, आप इस रोल के लिए बिल्कुल परफेक्ट मैच हैं।'
अनुपमा' तक का सफर और चुनौतियांराजन ने आगे बताया कि उस समय रूपाली पूरी तरह से परिवार में रम चुकी थीं, उनका वजन भी बढ़ गया था, लेकिन आज भी उनमें बच्चों जैसी ऊर्जा है। उन्होंने पति आशीविन और बेटे रुद्रांश की तारीफ करते हुए कहा कि यदि परिवार का सहयोग न होता तो यह सफर आसान नहीं होता। रूपाली ने सुबह 4 बजे उठना, घर संभालना और शूटिंग करना, सबका संतुलन बखूबी किया। उन्होंने राजन शाही से कहा था, 'मैं अब बहुत बदल चुकी हूं, इस बार आपको परेशान नहीं करूंगी।'
कुछ एक्टर्स सिर्फ मीडिया अटेंशन के लिए बोलते हैंहालांकि, इस सफर में रूपाली को कई सह-कलाकारों की आलोचनाओं का सामना भी करना पड़ा। इस पर राजन शाही ने बड़ा खुलासा किया, 'मैं एक ऐसे अभिनेता को जानता हूं, जो पत्रकारों को घर बुलाकर शो के बारे में गलत बातें करता था। मैंने उसे दोपहर 2:30 बजे सेट से बाहर निकाल दिया था। इसके बाद उसने शो के खिलाफ दुष्प्रचार शुरू किया। जब तुम शो का हिस्सा थे, तब क्यों नहीं बोले? रूपाली बहुत ही सॉफ्ट टार्गेट हैं। उनके बारे में बोलोगे तो मीडिया अटेंशन मिल जाएगा।'
हम सब उनपर हंसते हैं....उन्होंने आगे कहा 'कोई भी परफेक्ट नहीं होता, रूपाली से भी गलती हो सकती है। जब लोग साथ काम करते हैं तो इश्यू आते ही हैं। मैं हमेशा उससे कहता हूं कि इन बातों से प्रभावित मत हो और केवल अपने काम पर ध्यान दो। कुछ लोग उसके बारे में बुरा बोलकर सिर्फ मजा लेते हैं। जिन 5-6 एक्टर्स ने उसके खिलाफ बोला, उनके आर्टिकल्स कुछ दिनों में ही खत्म हो जाएंगे। तब वे क्या करेंगे? कुछ लोग इतने इमैच्योर तरीके से व्यवहार करते हैं कि कभी-कभी हम सब मिलकर उनकी हरकतों पर हंसते हैं, खासकर जब उनके पास बताने के लिए कोई उपलब्धि नहीं होती।'
टीवी जगत में ‘ये रिश्ता क्या कहलाता है’, ‘अनुपमा’ और ‘बिदाई’ जैसे हिट शो देने वाले निर्माता राजन शाही ने इंटरव्यू में कहा कि उनकी और रूपाली गांगुली की दोस्ती 21 साल पुरानी है। इस दौरान उन्होंने रूपाली और उनके सह-कलाकारों के बीच हुए मतभेदों पर भी चर्चा की और अपने पुराने शो ‘दिल है कि मानता नहीं’ के दिनों को भी याद किया।
रूपाली गांगुली और राजन शाही की दोस्तीराजन शाही पहली बार 1999 में रूपाली गांगुली से मिले थे। उस समय रूपाली आर्थिक रूप से संघर्ष कर रही थीं और वर्ली से जुहू उनके ऑफिस तक पैदल चलकर ऑडिशन देने आया करती थीं। शुरुआत में राजन शाही ने रूपाली पर ध्यान नहीं दिया, लेकिन रूपाली इस रोल को लेकर बेहद उत्साहित थीं। उन्होंने एक मौका मांगा और राजन शाही ने उन्हें कास्ट कर लिया। आज भी रूपाली मजाक में उन्हें याद दिलाती हैं कि किस तरह उन्होंने कई बार रिजेक्ट करने के बावजूद हार नहीं मानी और उनके ऑफिस के बाहर खड़ी रहती थीं। ‘दिल है कि मानता नहीं’ के बाद 21 साल बाद दोनों फिर ‘अनुपमा’ के लिए साथ आए।
रूपाली के साथ मतभेद हुएराजन शाही ने बताया कि ‘दिल है कि मानता नहीं’ के दौरान उनके और रूपाली के बीच विचारों में मतभेद हो गए थे। हालांकि यह कोई झगड़ा नहीं था। इसके बाद ‘बिदाई’ की सफलता की पार्टी में दोनों मिले। तब तक रूपाली की शादी हो चुकी थी और बेटा रुद्रांश भी हो गया था। इसी कारण दोनों का संपर्क टूट गया था।जब ‘अनुपमा’ की चर्चा शुरू हुई तो रूपाली का नाम सामने आया। उस समय वह गोवा में थीं। वापसी के बाद वह सीधे राजन शाही के ऑफिस पहुंचीं और कहा, 'आपको मुझे ही इस रोल के लिए कास्ट करना पड़ेगा।' इस पर राजन शाही ने भी हामी भरते हुए कहा, 'रूपाली, आप इस रोल के लिए बिल्कुल परफेक्ट मैच हैं।'
अनुपमा' तक का सफर और चुनौतियांराजन ने आगे बताया कि उस समय रूपाली पूरी तरह से परिवार में रम चुकी थीं, उनका वजन भी बढ़ गया था, लेकिन आज भी उनमें बच्चों जैसी ऊर्जा है। उन्होंने पति आशीविन और बेटे रुद्रांश की तारीफ करते हुए कहा कि यदि परिवार का सहयोग न होता तो यह सफर आसान नहीं होता। रूपाली ने सुबह 4 बजे उठना, घर संभालना और शूटिंग करना, सबका संतुलन बखूबी किया। उन्होंने राजन शाही से कहा था, 'मैं अब बहुत बदल चुकी हूं, इस बार आपको परेशान नहीं करूंगी।'
कुछ एक्टर्स सिर्फ मीडिया अटेंशन के लिए बोलते हैंहालांकि, इस सफर में रूपाली को कई सह-कलाकारों की आलोचनाओं का सामना भी करना पड़ा। इस पर राजन शाही ने बड़ा खुलासा किया, 'मैं एक ऐसे अभिनेता को जानता हूं, जो पत्रकारों को घर बुलाकर शो के बारे में गलत बातें करता था। मैंने उसे दोपहर 2:30 बजे सेट से बाहर निकाल दिया था। इसके बाद उसने शो के खिलाफ दुष्प्रचार शुरू किया। जब तुम शो का हिस्सा थे, तब क्यों नहीं बोले? रूपाली बहुत ही सॉफ्ट टार्गेट हैं। उनके बारे में बोलोगे तो मीडिया अटेंशन मिल जाएगा।'
हम सब उनपर हंसते हैं....उन्होंने आगे कहा 'कोई भी परफेक्ट नहीं होता, रूपाली से भी गलती हो सकती है। जब लोग साथ काम करते हैं तो इश्यू आते ही हैं। मैं हमेशा उससे कहता हूं कि इन बातों से प्रभावित मत हो और केवल अपने काम पर ध्यान दो। कुछ लोग उसके बारे में बुरा बोलकर सिर्फ मजा लेते हैं। जिन 5-6 एक्टर्स ने उसके खिलाफ बोला, उनके आर्टिकल्स कुछ दिनों में ही खत्म हो जाएंगे। तब वे क्या करेंगे? कुछ लोग इतने इमैच्योर तरीके से व्यवहार करते हैं कि कभी-कभी हम सब मिलकर उनकी हरकतों पर हंसते हैं, खासकर जब उनके पास बताने के लिए कोई उपलब्धि नहीं होती।'