भोपाल: 1984 के भोपाल गैस त्रासदी से जुड़े एक आपराधिक मामले की सुनवाई भोपाल की अदालत में जारी रहेगी। अदालत ने डॉव केमिकल की कार्रवाई को इंदौर की सीबीआई अदालत में स्थानांतरित करने की याचिका को खारिज कर दिया है। न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी यानी जेएमएफसी हेमलता अहिरवार ने बुधवार को फैसला सुनाया कि उनकी अदालत का इस मामले पर अधिकार है। अगली सुनवाई 23 अगस्त को होगी।
डॉव केमिकल ने साल 2000 में यूनियन कार्बाइड कॉर्पोरेशन यानी यूसीसी का अधिग्रहण किया था। अदालत ने डॉव केमिकल को छह बार समन भेजने के बाद भी जवाब नहीं देने पर भगोड़ा घोषित कर दिया था। कंपनी ने सातवां नोटिस मिलने के बाद ही जवाब दिया, जो उसके अमेरिकी मुख्यालय को भेजा गया था।
तीन मुख्य मुद्दों पर विचार करेगी अदालत
भोपाल अदालत तीन बिंदुओं पर विचार करेगी, जिनमें पहला डॉव केमिकल का यह दावा कि भारत में उसके खिलाफ कोई कानूनी कार्रवाई नहीं की जा सकती, दूसरा यूसीसी के अधिग्रहण के बाद भोपाल आपदा के लिए कंपनी की जवाबदेही, और तीसरा बीजीआईए का 2024 का आवेदन जिसमें यूसीसी के अधिग्रहण के दौरान डॉव की व्यावसायिक एकीकरण योजना की मांग की गई है।
क्या बोले कंपनी के वकील
डॉव केमिकल के वकील सिद्धार्थ लूथरा और रवींद्र श्रीवास्तव ने कहा कि जेएमएफसी भोपाल सहित भारतीय अदालतों का अमेरिका स्थित कंपनी पर कोई अधिकार नहीं है। उन्होंने कहा कि केवल इंदौर की सीबीआई अदालत ही इस मामले की सुनवाई कर सकती है। यह तर्क डॉव के पहले के रुख से अलग था, जिसमें उसने कहा था कि कोई भी भारतीय अदालत उसके खिलाफ कार्रवाई नहीं कर सकती है।
सीबीआई के वकील की सफाई
सीबीआई के वकील मनफूल विश्नोई और एनजीओ भोपाल ग्रुप फॉर इंफॉर्मेशन एंड एक्शन (बीजीआईए) के वकील अवि सिंह और प्रसन्ना बी ने इस चुनौती का विरोध किया। उन्होंने कहा कि आपदा भोपाल में हुई और मामला पूरी तरह से भोपाल की अदालतों के अधिकार क्षेत्र में आता है, भले ही सीबीआई अभियोजन एजेंसी की भूमिका निभा रही हो।
भोपाल अदालत करेगी कार्रवाई
बीजीआईए ने पहले सीजेएम अदालत से डॉव को औपचारिक रूप से मामले में पक्षकार बनाने का आग्रह किया था। अदालत अब इस मामले में आगे की कार्रवाई करेगी।
डॉव केमिकल ने साल 2000 में यूनियन कार्बाइड कॉर्पोरेशन यानी यूसीसी का अधिग्रहण किया था। अदालत ने डॉव केमिकल को छह बार समन भेजने के बाद भी जवाब नहीं देने पर भगोड़ा घोषित कर दिया था। कंपनी ने सातवां नोटिस मिलने के बाद ही जवाब दिया, जो उसके अमेरिकी मुख्यालय को भेजा गया था।
तीन मुख्य मुद्दों पर विचार करेगी अदालत
भोपाल अदालत तीन बिंदुओं पर विचार करेगी, जिनमें पहला डॉव केमिकल का यह दावा कि भारत में उसके खिलाफ कोई कानूनी कार्रवाई नहीं की जा सकती, दूसरा यूसीसी के अधिग्रहण के बाद भोपाल आपदा के लिए कंपनी की जवाबदेही, और तीसरा बीजीआईए का 2024 का आवेदन जिसमें यूसीसी के अधिग्रहण के दौरान डॉव की व्यावसायिक एकीकरण योजना की मांग की गई है।
क्या बोले कंपनी के वकील
डॉव केमिकल के वकील सिद्धार्थ लूथरा और रवींद्र श्रीवास्तव ने कहा कि जेएमएफसी भोपाल सहित भारतीय अदालतों का अमेरिका स्थित कंपनी पर कोई अधिकार नहीं है। उन्होंने कहा कि केवल इंदौर की सीबीआई अदालत ही इस मामले की सुनवाई कर सकती है। यह तर्क डॉव के पहले के रुख से अलग था, जिसमें उसने कहा था कि कोई भी भारतीय अदालत उसके खिलाफ कार्रवाई नहीं कर सकती है।
सीबीआई के वकील की सफाई
सीबीआई के वकील मनफूल विश्नोई और एनजीओ भोपाल ग्रुप फॉर इंफॉर्मेशन एंड एक्शन (बीजीआईए) के वकील अवि सिंह और प्रसन्ना बी ने इस चुनौती का विरोध किया। उन्होंने कहा कि आपदा भोपाल में हुई और मामला पूरी तरह से भोपाल की अदालतों के अधिकार क्षेत्र में आता है, भले ही सीबीआई अभियोजन एजेंसी की भूमिका निभा रही हो।
भोपाल अदालत करेगी कार्रवाई
बीजीआईए ने पहले सीजेएम अदालत से डॉव को औपचारिक रूप से मामले में पक्षकार बनाने का आग्रह किया था। अदालत अब इस मामले में आगे की कार्रवाई करेगी।
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