वडोदरा: गुजरात के वडोदरा जिले में बुधवार को एक दुखद घटना घटी। यहां पादरा और आणंद ज़िलों को जोड़ने वाला महिसागर नदी पर बना गंभीरा पुल दो हिस्सों में टूट गया। इस हादसे में 15 लोगों की जान चली गई और पांच लोग घायल हो गए। पुल के टूटने से दो ट्रक और एक बोलेरो जीप समेत चार गाड़ियां माहीसागर नदी में गिर गईं। बताया जा रहा है कि पुल की खराब हालत के बारे में अधिकारियों को पहले से पता था, लेकिन उन्होंने कोई कार्रवाई नहीं की। अब अगस्त 2022 में वडोदरा के एक सामाजिक कार्यकर्ता लखन दरबार और सड़क और भवन विभाग के एक अधिकारी के बीच फोन पर हुई बातचीत का एक रिकॉर्डिंग वायरल हो रहा है। इस बातचीत में अधिकारी यह स्वीकार करते हुए सुनाई दे रहे हैं कि पुल की संरचना कमजोर है और यह ज्यादा दिन नहीं चलेगा। इसके बावजूद, कोई कार्रवाई नहीं की गई। अब सवाल उठ रहे हैं कि ये पुल कब बना था और कितना पुराना था जो दो हिस्सों में टूट गया।
कब बना था पुल
जानकारी के अनुसार, गंभीरा पुल 1985 में बना था। इसकी पुल की उम्र अभी 40 साल थी। जब ये पुल बनाया गया था तो बताया गया था कि इस पुल को 100 साल तक कुछ नहीं होगा। लेकिन अब जो इस पुल के साथ हुआ है उसने सवाल खड़े कर दिया है। हालांकि कार्यकारी अभियंता एनएम नायकवाला का कहना है कि यह पुल जर्जर हालत में नहीं था। पिछले साल इसकी मरम्मत का काम किया गया था और इस साल भी गड्ढे भरे गए थे। हमारी निरीक्षण रिपोर्ट में कोई बड़ी संरचनात्मक क्षति नहीं दिखाई दी। पुल को असुरक्षित नहीं माना गया था। पुल के गिरने का सही कारण विस्तृत रिपोर्ट आने के बाद ही पता चलेगा।
पुल टूटने से कई गांव कटे
गंभीरा पुल के टूटने से वडोदरा और आणंद जिलों के गांव के अलावा भी यात्रियों का संपर्क टूट गया है। ये ब्रिज बोरसद और उसके आसपास के लोगों के लिए यात्रा का बड़ा जरिया था। निवासियों के अलावा यहां पर कमर्शियल गाड़ियों का भी आना-जाना रहता है, जिसके टूटने से स्थानीय लोगों के अलावा बिजनेस पर भी असर पड़ने की संभावना है। हादसे के बाद करीब 100 गांवों के लोग प्रभावित होंगे। गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने इस घटना पर दुख जताया है। उन्होंने राज्य के सड़क और भवन विभाग को पुल के टूटने की जांच करने और रिपोर्ट सौंपने का आदेश दिया है।
क्या बोले सीएम
सीएम पटेल ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा कि राज्य के सड़क और भवन विभाग और पुल निर्माण में विशेषज्ञता रखने वाले निजी इंजीनियरों की टीमों को तुरंत मौके पर पहुंचने और पुल के टूटने के कारणों और अन्य तकनीकी मामलों की प्रारंभिक जांच करने और रिपोर्ट सौंपने के निर्देश दिए गए हैं। गुजरात के मंत्री ऋषिकेश पटेल ने कहा कि पुल 1985 में बनाया गया था। इसकी समय-समय पर आवश्यकतानुसार मरम्मत की जाती थी। उन्होंने कहा कि घटना के पीछे का सही कारण पता लगाया जाएगा।
कब बना था पुल
जानकारी के अनुसार, गंभीरा पुल 1985 में बना था। इसकी पुल की उम्र अभी 40 साल थी। जब ये पुल बनाया गया था तो बताया गया था कि इस पुल को 100 साल तक कुछ नहीं होगा। लेकिन अब जो इस पुल के साथ हुआ है उसने सवाल खड़े कर दिया है। हालांकि कार्यकारी अभियंता एनएम नायकवाला का कहना है कि यह पुल जर्जर हालत में नहीं था। पिछले साल इसकी मरम्मत का काम किया गया था और इस साल भी गड्ढे भरे गए थे। हमारी निरीक्षण रिपोर्ट में कोई बड़ी संरचनात्मक क्षति नहीं दिखाई दी। पुल को असुरक्षित नहीं माना गया था। पुल के गिरने का सही कारण विस्तृत रिपोर्ट आने के बाद ही पता चलेगा।
पुल टूटने से कई गांव कटे
गंभीरा पुल के टूटने से वडोदरा और आणंद जिलों के गांव के अलावा भी यात्रियों का संपर्क टूट गया है। ये ब्रिज बोरसद और उसके आसपास के लोगों के लिए यात्रा का बड़ा जरिया था। निवासियों के अलावा यहां पर कमर्शियल गाड़ियों का भी आना-जाना रहता है, जिसके टूटने से स्थानीय लोगों के अलावा बिजनेस पर भी असर पड़ने की संभावना है। हादसे के बाद करीब 100 गांवों के लोग प्रभावित होंगे। गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने इस घटना पर दुख जताया है। उन्होंने राज्य के सड़क और भवन विभाग को पुल के टूटने की जांच करने और रिपोर्ट सौंपने का आदेश दिया है।
क्या बोले सीएम
सीएम पटेल ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा कि राज्य के सड़क और भवन विभाग और पुल निर्माण में विशेषज्ञता रखने वाले निजी इंजीनियरों की टीमों को तुरंत मौके पर पहुंचने और पुल के टूटने के कारणों और अन्य तकनीकी मामलों की प्रारंभिक जांच करने और रिपोर्ट सौंपने के निर्देश दिए गए हैं। गुजरात के मंत्री ऋषिकेश पटेल ने कहा कि पुल 1985 में बनाया गया था। इसकी समय-समय पर आवश्यकतानुसार मरम्मत की जाती थी। उन्होंने कहा कि घटना के पीछे का सही कारण पता लगाया जाएगा।
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