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Premanand ji Maharaj : अकाल मृत्यु और एक्सीडेंट से बचने के लिए प्रेमानंद जी महाराज ने बताए 5 बेहद सरल उपाय

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प्रेमानंद जी महाराज अपने प्रवचनों से भक्तों को सदाचार और भक्ति का मार्ग दिखाते हैं। प्रेमानंद जी अपने सत्संग से अपने भक्तों का मार्गदर्शन करते हैं और उन्हें जीवन जीने का सरल और सही तरीका सीखते हैं। आए दिन प्रेमानंद जी महाराज के सत्संग के कई वीडियो वायरल होते रहते हैं। इन दिनों प्रेमानंद महाराज के एक वीडियो खूब वायरल हो रहा है जिसमें उन्होंने अकाल मृत्यु और सड़क दुर्घटना से बचने के लिए 5 उपाय बताए हैं। मान्यताओं को अनुसार, कई बार व्यक्ति के जीवन में अकाल मृत्यु जैसे योग बन जाते हैं। आइए जानते हैं अकाल मृत्यु से बचने के लिए कौन से उपाय करना लाभकारी साबित होगा।



प्रेमानंद जी महाराज ने बताया अकात मृत्यु से बचने के सरल उपाय


1) रोजाना भगवान कृष्ण का चरणामृत पीएं


प्रेमानंद जी महाराज कहते हैं कि यदि आप अपना मंगल चाहते हैं तो कुछ नियमों को धारण कर लें। प्रेमानंद जी महाराज कहते हैं रोजाना सभी को ठाकुर जी का शालिग्राम जी चरणामृत पीना चाहिए। जो व्यक्ति रोजाना भगवान का चरणामृत पीता है इसका पुनर्जन्म नहीं होता है। साथ ही अकाल मृत्यु के योग भी नहीं बनते हैं। साथ ही चरणामृत में इतना ताकत है कि वह व्यक्ति के समस्त रोगों का नाश कर देता है।

2) रोजाना करें चरणामृत का सेवन

दूसरा नियम जब भी आप अपने घर से निकले तो कृष्णाय वासुदेवाय हरये परमात्मने प्रणतः क्लेशनाशाय गोविंदाय नमो नमः इस मंत्र का कम से कम 11 बार जप करें। कभी भी आप दुर्घटना में नहीं फंसेंगे अगर फसंगे तो आप उससे बाहर निकल पाएंगे। रोजाना सुबह चरणामृत पीने के बाद इस मंत्र का कम से कम 11 बार इसका जप करने के बाद ही घर से निकलें।

3) भगवान के सामने नाम जप करो

रोजाना अपनी दिनचर्या में से 20 से 30 मिनट ऐसे निकाले की आप अपने भगवान के सामने बैठकर नाम जप कर सको। जो भी नाम आपको प्रिय हो उसका स्मरण करें।

4) रोजाना करें 11 बार दंड़वत प्रणाम

रोजाना 11 बार दंडवत करें। आपके घर में विराजमान ठाकुर के सामने कम से कम 11 बार दंडवत प्रणाम करना चाहिए। प्रेमानंद जी महाराज आगे कहते हैं कि भगवान कृष्ण को 11 बार दंडवत प्रणाम करने का फल 10 अश्वमेध यज्ञ के समान होता है। प्रेमानंद जी बताते हैं कि जो व्यक्ति अश्वमेध यज्ञ करता है उसका पुनर्जन्म होगा वह अपने यज्ञ का फल पाएगा लेकिन, जो भी भगवान कृष्ण को प्रणाम करता है उसका पुनर्जन्म कभी भी नहीं होता है।

5) वृंदावन की रज लगाएं

प्रेमानंद जी महाराज कहते हैं कि वृंदावन की रज लेकर जाओ और उसे अपने सिर पर बीच में थोड़ी सी डाल लें । जो व्यक्ति इन 5 नियमों को धारण करता है उस व्यक्ति का जीवन मंगलमय हो जाता है।



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