महेश पांडे , देहरादून। बर्फ से ढ़के पहाड़ों के बीच चुपके से झांकते स्नो लेपर्ड्स (हिम तेंदुए) के दीदार के बारे में सोचकर ही दिल रोमांच से भर जाता है। इस बेहद खूबसूरत जानवर को देखना बहुत ही मुश्किल रहता है। आमतौर पर सफेद बर्फ में छिपे ये हिम तेंदुए कम ही बाहर निकलते हैं। जब बहुत ज्यादा बर्फ पड़ जाए तो ये जरूर निचले इलाकों का रुख करते हैं, लेकिन उस समय बर्फ की वजह से इन इलाकों में आवाजाही बंद हो जाती है।
मगर अब उत्तराखंड के पर्यटन विभाग ने एक बड़ी पहल की तैयारी की है। अब सर्दियों में भी पर्यटक गंगोत्री नेशनल पार्क घूम सकेंगे और बर्फीले इलाकों में दिखने वाले दुर्लभ स्नो लेपर्ड्स (हिम तेंदुआ) को करीब से देख सकेंगे। यह आइडिया लद्दाख के हेमिस नेशनल पार्क से इंस्पायर है, जो साल भर खुले रहने के कारण दुनिया भर से वाइल्डलाइफ टूरिस्ट्स को अपनी ओर खींचता है। अभी तक गंगोत्री नेशनल पार्क सर्दियों में बंद कर दिया जाता था, लेकिन उसी मौसम में स्नो लेपर्ड्स निचले इलाकों में आ जाते हैं और उन्हें देखने का सबसे सही समय होता है।
50 से ज्यादा हिम तेंदुए उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में भैरों घाटी क्षेत्र के लंका की हरी-भरी पहाड़ियों, घाटियों और जंगलों को स्नो लेपर्ड्स संरक्षण केंद्र के रूप में संरक्षित किया गया है । यह गंगोत्री नेशनल पार्क का हिस्सा है । गंगोत्री नेशनल पार्क के इस क्षेत्र में करीब 50 हिम तेंदुए हैं। इस योजना पर आखिरी मुहर केंद्र सरकार को लगानी है। वन्यजीव विशेषज्ञों के अनुसार, यह कदम सर्दियों के वक्त भी पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए एक बड़ी पहल साबित हो सकती है।
काम आएगा लद्दाख का अनुभव लद्दाख का अनुभव इसमें काम आ सकता है। लद्दाख के हेमिस पार्क में स्नो लेपर्ड्स इको-टूरिज्म के लिए एक ग्लोबल सेंटर के रूप में उभरा है, जहां जीरो से नीचे के तापमान में भी टूरिस्ट इन्हें देखने आते हैं। अधिकारी मानते हैं कि पर्यटन की यह पहल स्थानीय लोगों के लिए रोजगार के मौके भी पैदा कर सकती है। उत्तराखंड का वन विभाग और संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (यूएनडीपी) मिलकर सेंटर को डिवेलप कर रहे हैं। उत्तराखंड के आंकड़ों के अनुसार स्नो लेपर्ड्स की संख्या 86 है। ये आमतौर पर समुद्र तल से 2000 मीटर ऊपर हिमालयी और अल्पाइन एरिया में रहते हैं।
मगर अब उत्तराखंड के पर्यटन विभाग ने एक बड़ी पहल की तैयारी की है। अब सर्दियों में भी पर्यटक गंगोत्री नेशनल पार्क घूम सकेंगे और बर्फीले इलाकों में दिखने वाले दुर्लभ स्नो लेपर्ड्स (हिम तेंदुआ) को करीब से देख सकेंगे। यह आइडिया लद्दाख के हेमिस नेशनल पार्क से इंस्पायर है, जो साल भर खुले रहने के कारण दुनिया भर से वाइल्डलाइफ टूरिस्ट्स को अपनी ओर खींचता है। अभी तक गंगोत्री नेशनल पार्क सर्दियों में बंद कर दिया जाता था, लेकिन उसी मौसम में स्नो लेपर्ड्स निचले इलाकों में आ जाते हैं और उन्हें देखने का सबसे सही समय होता है।
50 से ज्यादा हिम तेंदुए उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में भैरों घाटी क्षेत्र के लंका की हरी-भरी पहाड़ियों, घाटियों और जंगलों को स्नो लेपर्ड्स संरक्षण केंद्र के रूप में संरक्षित किया गया है । यह गंगोत्री नेशनल पार्क का हिस्सा है । गंगोत्री नेशनल पार्क के इस क्षेत्र में करीब 50 हिम तेंदुए हैं। इस योजना पर आखिरी मुहर केंद्र सरकार को लगानी है। वन्यजीव विशेषज्ञों के अनुसार, यह कदम सर्दियों के वक्त भी पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए एक बड़ी पहल साबित हो सकती है।
काम आएगा लद्दाख का अनुभव लद्दाख का अनुभव इसमें काम आ सकता है। लद्दाख के हेमिस पार्क में स्नो लेपर्ड्स इको-टूरिज्म के लिए एक ग्लोबल सेंटर के रूप में उभरा है, जहां जीरो से नीचे के तापमान में भी टूरिस्ट इन्हें देखने आते हैं। अधिकारी मानते हैं कि पर्यटन की यह पहल स्थानीय लोगों के लिए रोजगार के मौके भी पैदा कर सकती है। उत्तराखंड का वन विभाग और संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (यूएनडीपी) मिलकर सेंटर को डिवेलप कर रहे हैं। उत्तराखंड के आंकड़ों के अनुसार स्नो लेपर्ड्स की संख्या 86 है। ये आमतौर पर समुद्र तल से 2000 मीटर ऊपर हिमालयी और अल्पाइन एरिया में रहते हैं।
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