अभय सिंह राठौड़, लखनऊ: भारत में मिनी स्विट्जरलैंड कहे जाने वाले जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले से सभी दहशत में हैं। 22 अप्रैल की घटना ने देशवासियों को झंकझोर कर रख दिया है। इस हमले के बाद पूरा देश एकजुट हो चुका है और आतंकवाद के साथ ही पाकिस्तान को भी मुंहतोड़ जवाब देने की मांग लगातार उठ रही है। इसी क्रम में मोदी सरकार ने कई कड़े कदम उठाए हैं। इसमें से एक भारत में ठहरे पाकिस्तानी नागरिकों को वापस भेजना भी है। मोदी सरकार के इस आदेश का योगी सरकार ने पूरी तरह से पालन किया है। पाकिस्तानियों को वापस भेजने के साथ ही अब योगी सरकार रोहिंग्या और बांग्लादेशियों का भी खाका तैयार करने में जुट गई है। दरअसल पहलगाम की घटना के बाद केंद्र सरकार ने सभी राज्यों को अपने वहां से पाकिस्तानी नागरिकों को चिन्हित कर उन्हें अपने देश भेजने के लिए कहा था। केंद्र सरकार के इस आदेश का पालन करते हुए यूपी सरकार ने यूपी में ठहरे पाकिस्तानी नागरिकों को वापस भेजने का काम किया है। हालांकि अभी एक पाकिस्तानी नागरिक बचा है, जिसे 30 अप्रैल तक वापस पाकिस्तान भेज दिया जाएगा। वहीं विश्वस्त सूत्रों की माने तो योगी सरकार का अब अगला टारगेट रोहिंग्या और बांग्लादेशी नागरिक है, जो प्रदेश में चोरी-छिपे अवैध तरीके से रह रहे हैं। प्रदेश सरकार ने रोहिंग्या और बांग्लादेशियों की पहचान करने के लिए जिम्मेदार अधिकारियों को जरूरी दिशा निर्देश भी दे दिए हैं। बताते चलें कि लखनऊ की मेयर से लेकर बीजेपी विधायक तक अवैध रूप से रह रहे बांग्लादेशी नागरिकों का मुद्दा उठा चुके हैं। इसी साल जनवरी महीने लखनऊ पूर्वी से बीजेपी विधायक ओपी श्रीवास्तव ने बांग्लादेशी नागरिकों के मुद्दे को लेकर सीएम योगी आदित्यनाथ से मुलाकात भी की थी। उस मुलाकात के दौरान बीजेपी विधायक ने मुख्यमंत्री से पूर्वी विधानसभा को अप्रवासी बांग्लादेशियों के अवैध कब्जों से मुक्त कराने की मांग की थी। बीजेपी विधायक ने तब कहा था कि कई इलाकों में बांग्लादेशियों ने अवैध रूप से झुग्गी-झोपड़ियां और बस्तियां बना ली है। और उनके द्वारा तरह-तरह के आपराधिक कृत्य किए जाते हैं। बीजेपी विधायक ने आरोप लगाया था कि ये बस्तियां नशाखोरी का केंद्र बनी हुई है। इसके चलते युवा वर्ग पर गलत असर पड़ रहा है।बांग्लादेशियों का मुद्दा सिर्फ लखनऊ में ही नहीं बल्कि प्रदेश के अन्य जिलों से भी उठता रहा है। ताज नगरी आगरा में 300 से ज्यादा बांग्लादेशी वोटर बन गए हैं। इस मामले की शिकायत पूर्व मंत्री जीएस धर्मेश ने रक्षामंत्री राजनाथ सिंह से की है। पूर्व मंत्री ने सीबीआई जांच की मांग की है। उधर सीबीआई भी ऐक्टिव हो गई है। प्रयागराज में भी कई इलाकों में पहचान बदलकर रोहिंग्या और बांग्लादेशियों के रहने की बात सामने आ रही है। खुफिया विभाग के इन लोगों की कुंडली तैयार करने के बाद पुलिस विभाग इनके खिलाफ कार्रवाई कर सकता है। प्रयागराज में फिलहाल इन संदिग्धों की तलाश शुरू कर दी गई है। हालांकि यह कोई पहला मौका नहीं है जब सरकार ने रोहिंग्या और बांग्लादेशियों की पहचान करने के निर्देश दिए हो। सूत्रों की माने तो इससे पहले भी साल 2019 में योगी सरकार ने अवैध रूप से रह रहे रोहिंग्या और बांग्लादेशियों की पहचान करने के निर्देश दिए थे। डीजीपी कार्यालय की ओर से सभी जिम्मेदार अधिकारियों को पत्र भी भेजा गया था। पत्र के जरिये निर्देश दिया गया था कि अपने इलाकों में बसी ऐसी बस्तियों की पहचान करें, जहां बांग्लादेशी या अन्य नागरिक अवैध रूप से बस गए हैं। उस समय तत्कालीन डीजीपी ओपी सिंह ने अपने एक बयान में कहा था कि सिर्फ ऐसे बांग्लादेशी और रोहिंग्या लोगों की पहचान की जा रही है जो यहां पर गैर-कानूनी तरीके से रह रहे हैं। पुलिस ऐसे लोगों के दस्तावेजों का सत्यापन करेगी और अगर किसी के दस्तावेज फर्जी पाए जाते हैं तो उनके खिलाफ कार्रवाई होगी। पहलगाम की घटना के बाद एक बार फिर रोहिंग्या और बांग्लादेशियों की पहचान शुरू कर दी गई है।
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