Next Story
Newszop

योगी सरकार ने विधानसभा में श्री बांके बिहारी मंदिर न्यास विधेयक पेश किया, SC ने अध्यादेश पर लगा दी थी रोक

Send Push

उत्तर प्रदेश विधानसभा में मानसून सत्र के तीसरे दिन बुधवार को योगी सरकार ने श्री बांके बिहारी मंदिर न्यास विधेयक, 2025 समेत तीन विधेयक पेश किये। खास बात है कि चार दिन पहले सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार के 'श्री बांके बिहारी जी मंदिर न्यास अध्यादेश' पर अंतरिम रोक लगाते हुए अस्थायी रूप से निलंबित करने का आदेश दिया था। इस अध्यादेश के तहत प्रसिद्ध बांके बिहारी मंदिर को सरकार के नियंत्रण में लिया जाने की व्यवस्था थी।

आज विधानसभा में पेश श्री बांके बिहारी मंदिर न्यास विधेयक, 2025 में न्यासी बोर्ड के गठन का प्रावधान किया गया है, जिसके न्यासियों की राज्य सरकार द्वारा नियुक्ति का प्रस्ताव रखा गया है। विधेयक के अनुसार, बोर्ड में 11 मनोनीत और सात पदेन सदस्य शामिल होंगे। विधेयक के अनुसार, नामित सदस्यों में वैष्णव परंपराओं, संप्रदायों या पीठों से संबंधित तीन प्रतिष्ठित व्यक्ति, सनातन धर्म की अन्य परंपराओं, संप्रदायों एवं पीठों से संबंधित तीन प्रतिष्ठित व्यक्ति (संत, मुनि, गुरु, विद्वान, महंत, आचार्य आदि) शामिल हो सकते हैं।

इसके अलावा सनातन धर्म की किसी भी शाखा या संप्रदाय से संबंधित ऐसे तीन व्यक्ति भी इसमें शामिल हो सकते हैं जो शिक्षाविद, विद्वान, उद्यमी, समाजसेवी आदि हों। मंदिर में सेवायत गोस्वामी परंपरा से दो ऐसे सदस्य नामित किए जाएंगे जो स्वामी श्री हरिदास जी के वंशज हों। इसके अलावा, विधेयक के अनुसार, बोर्ड में सात पदेन सदस्य भी शामिल होंगे।

विधेयक में प्रावधान किया गया है कि मथुरा के जिलाधिकारी, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक, नगर आयुक्त, उत्तर प्रदेश ब्रज तीर्थ विकास परिषद के मुख्य कार्यपालक अधिकारी, उत्तर प्रदेश सरकार के धर्मार्थ विभाग का एक अधिकारी, श्री बांके बिहारी जी मंदिर न्यास का मुख्य कार्यपालक अधिकारी और राज्य सरकार द्वारा न्यास के उद्देश्यों की पूर्ति के लिए नियुक्ति किया गया कोई सदस्य इस न्यासी बोर्ड के पदेन सदस्य होंगे।

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की ओर से प्रस्तावित विधेयक के उद्देश्य और कारणों पर प्रकाश डालते हुए कहा गया कि मथुरा जिले के वृंदावन नगर में स्थित श्री बांके बिहारी मंदिर एक प्राचीन और विश्व प्रसिद्ध मंदिर है जहां प्रतिवर्ष बड़ी संख्या में श्रद्धालु और पर्यटक आते हैं। यह मंदिर लगभग 870 वर्ग मीटर में फैला हुआ है जिसमें से लगभग 365 वर्ग मीटर का उपयोग दर्शनीय प्रांगण के रूप में किया जाता है।

इसमें बताया गया कि श्री बांके बिहारी जी मंदिर तक पहुंचने का मार्ग अत्यंत संकरा होने की वजह से श्रद्धालुओं और आगंतुकों को भारी असुविधा का सामना करना पड़ता है। विधेयक के उद्देश्यों का जिक्र करते हुए कहा गया कि 20 अगस्त 2022 को इस मंदिर में अत्यधिक भीड़ के कारण दो श्रद्धालुओं की मौत हो गई थी, जिसके कारण कुशल भीड़ प्रबंधन की तत्काल आवश्यकता पड़ी।

इसमें कहा गया कि तीथयात्रा, धार्मिक, सांस्कृतिक, आध्यात्मिक एवं स्थापना संबंधी पहलुओं सहित मंदिर क्षेत्र के सर्वांगीण विकास के लिए ‘श्री बांके बिहारी जी मंदिर न्यास’ नामक एक न्यास के गठन का निर्णय लिया गया है। यह स्पष्ट किया गया कि राज्य विधानमंडल सत्र में नहीं था और इस कार्य के लिए तुरंत विधायी कदम उठाना जरूरी था इसलिए राज्यपाल ने 26 मई 2025 को उत्तर प्रदेश श्री बांके बिहारी जी मंदिर न्यास अध्यादेश, 2025 जारी किया। यह विधेयक उस अध्यादेश को ही प्रतिस्थापित करने के लिए पेश किया गया है।

गौरतलब है कि पिछले सप्ताह 8अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा लाए गए 'श्री बांके बिहारी जी मंदिर न्यास अध्यादेश–2025' को अस्थायी रूप से निलंबित करने का आदेश दिया था। न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जॉयमल्या बागची की बेंच ने इस मामले को इलाहाबाद हाईकोर्ट में ट्रांसफर करने का भी आदेश देते हुए कहा था कि तब तक, मंदिर के मामलों की देखरेख एक पूर्व न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली समिति करेगी, जिसमें जिला कलेक्टर, अन्य राज्य अधिकारी और हरिदासी संप्रदाय के प्रतिनिधि शामिल होंगे। कोर्ट ने यह भी कहा कि वह 15 मई का वह आदेश, जिसमें सरकार को मंदिर फंड का गलियारा विकास के लिए इस्तेमाल करने की अनुमति दी गई थी, इसे रद्द करेगा।

इसे भी पढ़ेंः बांके बिहारी मंदिर ट्रस्ट: SC ने मामले को हाईकोर्ट को सौंपा, अध्यादेश पर अंतरिम रोक, दिया ये निर्देश

Loving Newspoint? Download the app now