माननीय भागवत जी
अब तो आपने सबके सामने इशारे-इशारे में कह दिया है कि अगले 17 सितंबर को अपने 75वें जन्मदिन पर मुझे झोला लेकर चल देना है। 75 की शाल ओढ़कर मुझे दरकिनार हो जाना है, दूसरों को मौका देना है। बहुत खूब कहा। बहुत ऊंची सोच है आपकी। लगता है आपकी पतंग आजकल काफी ऊपर उड़ रही है, उसे नीचे लाने का समय आ चुका है। बीजेपी का अध्यक्ष भी आपकी इच्छा से बने और प्रधानमंत्री भी आप ही बनाएंगे! धन्य हैं आप। सामने होते तो चरण छू लेता!
आप सोचते हैं कि मैं इतना सीधा-सरल प्राणी हूं कि आप कहोगे और मैं झोला लेकर चल दूंगा? इतना कमजोर हूं कि अगले दिन बोरिया-बिस्तर बांधकर ट्रेन से अहमदाबाद रवाना हो जाऊंगा? इतना गया-बीता हुआ हूं कि संघ प्रमुख के अनुशासन में रहूंगा? जिसने लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी को मार्गदर्शक मंडल नामक अमंडल में पठाया है, वह खुद इनकी बगल में कमंडल लेकर बैठ जाएगा? कभी नहीं भागवत जी, कभी नहीं। भूल जाइए ये बातें। मुझसे पंगा लेने की कोशिश मत कीजिए।
शुक्र है कि आप मेरी मातृसंस्था के हैं और उसके प्रमुख हैं, इसलिए मैं अंदर से उबलकर भी ऊपर से ठंडा ज्वालामुखी बना बैठा हूं वरना आपकी जगह बीजेपी का कोई और होता तो फिर लट्ठ से लट्ठ बजा देता। छठी का दूध याद दिला देता! आप ही क्या अब पूरे देश का बच्चा-बच्चा जानता है कि मोदी जहां बैठ गया, बैठ गया। उर्दू का एक शेर है न, हज़रते दाग़, जहां बैठ गए, बैठ गए। हम मोदी हैं, जहां बैठ गए, बैठ गए। हमें उठाने वाले को बैठाना भी हम जानते हैं।
हम आपकी तरफ इशारा नहीं कर रहे हैं। बस जानकारी के लिए बता रहे हैं वरना लोग कहते हैं कि अपनों को भी नहीं बताया! हम चुपचाप बैठनेवालों में नहीं हैं! हम तो वो हैं जो या तो खेलेंगे या खेल बिगाड़ेंगे। खेल बिगड़वाना हो तो आपकी इच्छा वरना नागपुर के बढ़िया संतरे खाकर मौज से रहिए! अभी आम का मौसम चल रहा है। चाहिए हो तो बढ़िया से बढ़िया जितना कहोगे, जहां से भी कहोगे, टोकरे भर-भरकर भिजवा दूंगा। आप पचास मांगोगे, तो सौ भिजवा दूंगा पर गड़बड़ नहीं करने का। चैन से रहने का और दूसरों को भी रहने देने का! सबका साथ,सबका विकास करने का! जास्ती शेखी नहीं बघारने का!
आप सपने में भी मत सोचना कि नरेन्द्र दामोदरदास मोदी पद छोड़कर चल देगा। झोला उठाकर चल देने की बात जनता के साथ किया गया मजाक था, आपके साथ मेरा रिश्ता मजाक का नहीं है। तो भागवत जी, यह समझ लीजिए कि नरेन्दर जाएगा तो फिर सरकार को भी अपने साथ ले जाएगा। हम ट्रंप के सामने सरेंडर कर सकते हैं, आपके सामने नहीं। क्या समझे? हिंदी में समझाया है। हिंदी आपको अच्छी तरह आती है। फिर भी कहो तो मराठी में समझा दूं। और इंग्लिश तो मुझे गुजराती से भी भोत अच्छी आती है, चाहो तो उसमें समझ लो। कोई वांदा नहीं।
अपन समझाने की आर्ट के विश्वगुरु हैं। बहुतों को बहुत अच्छी तरह समझा चुके हैं और उन्हें समझ में आ भी चुका है और जिन्हें अभी भी समझ में नहीं आया है, उन्हें भी समझाकर ही मानेंगे। अगर हम गए भी तो 97 साल की उम्र में 2047 में भारत को विकसित करके ही जाएंगे और तब भी भारत विकसित नहीं हुआ तो 50 साल अवधि और बढ़ा लेंगे मगर विकास का संकल्प लिया है तो सारे पुलों, सारी सड़कों, सारी नदियों को बर्बाद करके ही जाएंगे।
अपने को मालूम है कि अपन सौ की उम्र तक तो ऐसा ही रहने वाले हैं! आपको अपने बारे में यह मालूम है क्या? नहीं मालूम है तो चुप बैठने का! सरेआम इस तरह की बात नहीं करने का! सबको मालूम है कि अपने को सेठों का 101 पर्सेंट समर्थन हासिल है। अपने को सेठों ने बनाया है और अपन भी सेठों को बनाते हैं, बिगाड़ते नहीं। मुझे सेठ ही मिटा सकते हैं और सेठों ने ही बनाया है। अभी उनका ऐसा मूड मुझे हटाने का नहीं है। जिसके साथ सेठ है, उसके पास भारत के सारे तालों की मास्टर की है। उससे कोई भी समझदार आदमी पंगा नहीं लेता। सेठ जानते हैं कि मोदी जिधर है, लूट का धंधा भी उधर है!
अपना ये जो हिंदुत्व है न- जिसे आजकल हम सनातन कहने लगे हैं- वह भी टिका हुआ इसलिए है कि हिंदुस्तान के सेठ मेरे साथ हैं वरना कभी का उड़ जाता! उन्होंने अपने सारे न्यूज चैनल मुझे सौंप रखे हैं कि मोदी तुझे जो करना है, जिसके खिलाफ करना है, तू जमकर कर। तू भूल जा हम इनके मालिक हैं, समझ कि ये सब चैनल तेरे हैं और तेरे ही लिए हैं। 'तेरा तुझको अर्पण, क्या लागे मेरा' गाते हुए आजकल सब मोदी शरणम् हैं। किसी और के बस में है यह? नहीं है। मैं गया तो ये सारा खेल बिखर जाएगा, हिंदुत्व ठंडा हो जाएगा।
झूठ की दुंदुभी बजती हुई इसलिए सुनाई दे रही है कि ये चैनल मेरे अपने हैं। इनके नाम जो भी हों, सब के सब दूरदर्शन हैं। मोदी किधर भी कुछ भी बोलता है, झंडी-झंडा-डंडा जो भी दिखाता है, सब का सब उधर उसी समय, वैसे का वैसा प्रकट हो जाता है। सुबह से टीवी पर क्या खबर चलाना है, क्या बहस करना है, ये मेरा ख़ास बंदा तय करता है। मेरे और उसके इशारे के बगैर पत्ता इधर से उधर नहीं हिलता है। समझे न! क्या समझे?
मोदी है तो चांद-सूरज को छोड़कर सब उसकी इच्छा से चलता है। सीबीआई, ईडी, चुनाव आयोग, सूचना आयोग, कोई भी नाम लो। स्कूल-कालेज-विश्वविद्यालय सब उसके इशारे पर चलते हैं। सबका कबाड़ा करने में उसने बहुत मेहनत की है। अदालत को बस में किया है। पुलिस को दंड-बैठक करवाई है। गवर्नर हो या चीफ़ मिनिस्टर सबको अपनी धुन पर नचा रखा है। आप इस सबको बर्बाद करना चाहते हैं? सनातन का सत्यानाश करना चाहते हैं? इतना सब बर्बाद हो जाए और मैं देखता रहूं? यह नहीं होगा। क्या समझे आप?
इसलिए सोचिए और खूब सोचिए और आगे से सोच समझकर ही बोला कीजिए। तुरंत स्पष्टीकरण जारी कीजिए कि मुझे हिंदू विरोधी पत्रकारों ने साजिशन गलत उदृत किया है। मेरी बात को तोड़ा-मरोड़ा गया है वगैरह। इस तरह का डायलॉग मार कर सब ठीक कीजिए। हमने सच बोलने की ठेकेदारी तो कभी ली नहीं थी और झूठ की ठेकेदारी हमें बिना बोली लगाए मिली है तो उसका फायदा उठाते रहना है। आप भी रोज उठाइए, मैं तो रोज उठा रहा हूं। झूठ की संस्कृति की रक्षा कीजिए श्रीमन। मुझे हटाने से बचिए। कम लिखा है, ज्यादा समझना। हिंदी में लिखा है तो हिंदी में ही समझना। आपका पुराना स्वयंसेवक।
पुनश्च: यह नहीं भूलें कि मोदी है तो दिल्ली में संघ के 150 करोड़ रुपए के तीन टावर बने हैं, मैं नहीं होता तो बन पाते क्या? और मैंने इसलिए तो नहीं ये बनवाए थे कि आप मुझे हटाने की तैयारी करें। जरा समझा करें बात को! ठीक है न! मस्त रहें!
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