लाइव हिंदी खबर :- राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि जो लोग श्रेष्ठ संस्कृति, ज्ञान और मूल्यों के धारक होते हैं, उन्हें आर्य कहा जाता है। हमारे पूर्वज कैसे यात्रा करते थे, यह पूरी तरह ज्ञात नहीं है, लेकिन इतना निश्चित है कि वे छोटे-छोटे समूहों में पैदल चलते हुए आगे बढ़े। यह भी स्पष्ट है कि वे मैक्सिको से लेकर साइबेरिया तक पूरी दुनिया में फैले।
उन्होंने आगे कहा कि जहां-जहां हमारे पूर्वज गए, उन्होंने न तो किसी का राज्य छीनने की कोशिश की, न ही किसी को धर्म परिवर्तन के लिए मजबूर किया। बल्कि उन्होंने वहां की सभ्यता को समृद्ध किया — गणित, आयुर्वेद और अनेक शास्त्रों का ज्ञान साझा किया।
उन्होंने यह सब अपने स्वयं के विरासत और संस्कारों के माध्यम से दुनिया को मजबूत और प्रकाशित करने के उद्देश्य से किया। भागवत के इस बयान को भारतीय संस्कृति और आर्य सभ्यता के वैश्विक प्रभाव की व्याख्या के रूप में देखा जा रहा है।
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