ईरान और इजरायल के बीच बीते कई दिनों से हालात युद्ध जैसे बने हुए थे, लेकिन अब इस संघर्ष में अमेरिका की एंट्री ने इसे और अधिक गंभीर मोड़ पर पहुंचा दिया है। ताजा घटनाक्रम में अमेरिका ने अपने बी-2 बॉम्बर्स विमानों के ज़रिए ईरान के तीन रणनीतिक और खुफिया परमाणु ठिकानों पर बमबारी की है, जिससे वैश्विक स्तर पर एक नई चिंता खड़ी हो गई है। ये तीन ठिकाने हैं – फोर्दो, नातांज और इस्फहान, और इनमें से फोर्दो को सबसे मजबूत, सुरक्षित और अभेद्य माना जाता था। लेकिन अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के अनुसार, फोर्दो पर विमानों ने बमों का पूरा पेलोड गिराया, जिससे यह ठिकाना बुरी तरह क्षतिग्रस्त हुआ है। इस कार्रवाई को ईरान की बढ़ती परमाणु क्षमताओं के खिलाफ एक स्पष्ट संदेश के रूप में देखा जा रहा है।
फोर्दो: वह दुर्ग, जिसे अमेरिका ने भेद डाला
तेहरान से करीब 100 किलोमीटर दक्षिण-पश्चिम की ओर स्थित ‘फोर्दो’, ईरान की सबसे गुप्त और सख्त सुरक्षा वाली परमाणु साइट मानी जाती थी। यह स्थान एक पहाड़ के नीचे छिपा हुआ है, लगभग आधा मील गहराई में – जहां पहुंचना भी असंभव समझा जाता था। ईरान ने इस जगह को इस तरह से बनाया था कि साधारण हमलों से कोई खास क्षति न हो, लेकिन अमेरिका ने यहां सिर्फ हमला नहीं किया, बल्कि बमों का पूरा पेलोड गिराकर इसे पूरी तरह ध्वस्त करने की कोशिश की। हमले के बाद ट्रंप ने बयान जारी कर कहा, "फोर्दो तबाह हो गया।" हालांकि ईरान की ओर से अब तक आधिकारिक पुष्टि नहीं आई है कि कितनी क्षति हुई है। हमले से पहले, यहां करीब 2,000 सेंट्रीफ्यूज काम कर रहे थे, जिनमें से ज़्यादातर उन्नत IR-6 तकनीक पर आधारित थे। 350 सेंट्रीफ्यूज तो 60% तक यूरेनियम संवर्धन में लगे हुए थे। साल 2009 में अमेरिका, फ्रांस और ब्रिटेन ने दुनिया को बताया था कि ईरान लंबे समय से इस साइट को गुप्त रूप से विकसित कर रहा था, जिसकी जानकारी IAEA को नहीं दी गई थी। तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने कहा था, "इस साइट का आकार और डिज़ाइन किसी शांतिपूर्ण उद्देश्य से मेल नहीं खाता।" हाल ही में आईं सैटेलाइट तस्वीरों में इस जगह की संरचना का खुलासा हुआ था – पहाड़ों की गोद में बनी पांच सुरंगें, एक विशाल सहायक ढांचा और चारों ओर गहराई से बिछाया गया सुरक्षा घेरा। यह साइट ईरान के पवित्र शहर कोम के पास स्थित है। इतिहासिक तस्वीरों से पता चलता है कि 2002 से 2004 के बीच यहां निर्माण कार्य शुरू हुआ था। IAEA के पास 2002 की अतिरिक्त इमेजरी भी है, जो दर्शाती है कि यह ठिकाना वर्षों से धीरे-धीरे और चुपचाप तैयार किया गया था।
नातांज: ईरान की परमाणु महत्वाकांक्षा का सबसे बड़ा केंद्र
तेहरान के दक्षिण में, शिया मुसलमानों के पवित्र शहर कोम के पास एक शांत दिखने वाले मैदान के नीचे, एक विशालकाय रहस्य छिपा हुआ है — नातांज न्यूक्लियर साइट, जो ईरान के संवर्धन कार्यक्रम का दिल मानी जाती है। यहां दो अहम संयंत्र मौजूद हैं — एक भूमिगत विशाल ईंधन संवर्धन संयंत्र और दूसरा सतह पर स्थित पायलट प्लांट। इन दोनों की भूमिका बेहद रणनीतिक है, क्योंकि यहीं से ईरान का यूरेनियम संवर्धन का असली खेल शुरू होता है। 2002 में निर्वासित ईरानी विपक्षी समूह ने दुनिया को चौंका दिया था, जब उन्होंने इस गुप्त साइट के अस्तित्व का खुलासा किया। इस एक खुलासे ने पश्चिम और ईरान के बीच कूटनीतिक तनाव को जन्म दे दिया — एक ऐसा गतिरोध जो आज भी बना हुआ है। इस संयंत्र को पूरी तरह व्यावसायिक पैमाने पर यूरेनियम संवर्धन के लिए डिज़ाइन किया गया था, जिसमें करीब 50,000 सेंट्रीफ्यूज लग सकते थे। हालिया हमलों से पहले यहां लगभग 16,000 सेंट्रीफ्यूज सक्रिय थे, जिनमें से 13,000 पूरी क्षमता से काम कर रहे थे। यह आंकड़ा और इसकी गहराई, दुनिया भर के नीति-निर्माताओं के लिए लंबे समय से चिंता का कारण रही है।
इस्फहान: जहां परमाणु तकनीक आकार लेती है
ईरान का ऐतिहासिक और सांस्कृतिक रूप से समृद्ध शहर इस्फहान, अब सिर्फ अपनी वास्तुकला के लिए नहीं, बल्कि एक और कारण से दुनिया की निगाहों में है — यहां स्थित है एक विशाल परमाणु प्रौद्योगिकी केंद्र, जो ईरान की संवेदनशील तकनीकी तैयारी का प्रतीक बन चुका है। इस केंद्र में कई अत्याधुनिक सुविधाएं मौजूद हैं, जैसे फ्यूल प्लेट फैब्रिकेशन प्लांट और यूरेनियम कन्वर्जन यूनिट, जहां यूरेनियम को यूरेनियम हेक्साफ्लोराइड में बदलकर सेंट्रीफ्यूज में भेजा जाता है। विशेषज्ञों का कहना है कि इस्फहान में न सिर्फ संवर्धित यूरेनियम रखा जाता है, बल्कि यहां ऐसे उपकरण भी मौजूद हैं जो यूरेनियम धातु तैयार कर सकते हैं — एक ऐसा स्टेज जो परमाणु हथियारों के कोर निर्माण की दिशा में एक अहम कदम माना जाता है। IAEA के मुताबिक, यह साइट साल 2022 में 'नया स्थान' घोषित की गई थी, क्योंकि यहां अब सेंट्रीफ्यूज पार्ट्स बनाने के लिए मशीनें भी लगाई जा चुकी हैं। इसका मतलब यह है कि इस्फहान अब सिर्फ एक प्रोसेसिंग सेंटर नहीं,बल्कि एक संभावित निर्माण यूनिट भी बन चुका है — जो वैश्विक सुरक्षा एजेंसियों के लिए बड़ा सिरदर्द बन सकता है।
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