कांग्रेस सांसद राहुल गांधी पिछले कई महीनों से वोटर लिस्ट में कथित धांधली और अन्य अनियमितताओं को लेकर चुनाव आयोग पर सवाल उठा रहे हैं। इस दौरान अक्सर भाजपा के नेता उनकी टिप्पणियों पर तुरंत प्रतिक्रिया देते नजर आते हैं। इस विषय पर एनसीपी-एसपी के वरिष्ठ नेता शरद पवार ने कहा कि ऐसे हालात में चुनाव आयोग के प्रति आम जनता का भरोसा कमजोर होता है। पवार ने मीडिया से बातचीत में यह भी बताया कि विपक्षी नेताओं के उठाए गए मुद्दों का सही जवाब आयोग की बजाय भाजपा देती है, जिससे लोकतंत्र में अविश्वास की भावना बढ़ती है।
पवार ने कहा, "जब राहुल गांधी जैसे सांसद चुनाव आयोग की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाते हैं, तो संबंधित संस्था को इसका संज्ञान लेना चाहिए। लेकिन हो यह रहा है कि आयोग की तरफ से कोई जवाब नहीं आता और भाजपा और उसके नेता प्रतिक्रिया देने लगते हैं। इसके कारण आम जनता में आयोग के प्रति भरोसा घटता है।" उन्होंने यह भी जोड़ा कि केवल मुख्यमंत्री या अन्य राजनीतिक नेता इस तरह के मामलों में जवाब दे रहे हैं, जबकि इसे आयोग की जिम्मेदारी होनी चाहिए।
हाल ही में राहुल गांधी ने 'वोट चोरी' के मुद्दे को लेकर चुनाव आयोग की आलोचना की थी। उन्होंने मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार पर आरोप लगाया कि वे लोकतंत्र को नुकसान पहुंचाने वालों की रक्षा कर रहे हैं। गांधी ने कर्नाटक और महाराष्ट्र की दो विधानसभा सीटों के आंकड़ों का हवाला देते हुए दावा किया कि वहां मतदाताओं के नाम धोखाधड़ी के माध्यम से हटाए या जोड़े गए हैं।
चुनाव आयोग ने इन आरोपों को निराधार बताते हुए स्पष्ट किया कि कोई भी आम नागरिक ऑनलाइन वोट डिलीट नहीं कर सकता। आयोग ने कहा कि वोटर लिस्ट से नाम हटाने के लिए केवल उसी बूथ के अन्य मतदाता फॉर्म 7 के जरिए आवेदन कर सकते हैं। राहुल गांधी के इन दावों के बाद विपक्षी दलों में एकजुटता देखने को मिली है। शरद पवार समेत अन्य विपक्षी नेताओं ने भी अपने-अपने क्षेत्रों में 'वोट चोरी' के उदाहरण पेश किए हैं।
पवार ने अंत में यह चेतावनी दी कि चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर उठते सवाल लोकतंत्र की मजबूती के लिए खतरनाक हैं और इस तरह की स्थिति में आयोग को खुद सक्रिय होकर जनता में भरोसा बनाए रखना चाहिए।