हरिद्वार। रविवार को मनसा देवी मंदिर में हुई भगदड़ की दुखद घटना के बाद सोमवार को मंदिर एक बार फिर श्रद्धालुओं के लिए खोल दिया गया है। सावन के सोमवार होने के चलते आज भी मंदिर में भारी भीड़ देखी जा रही है, लेकिन प्रशासन की ओर से सुरक्षा और व्यवस्था को लेकर सख्त इंतज़ाम किए गए हैं।
रविवार को हुई भगदड़ में 8 श्रद्धालुओं की मौत हो गई थी और 30 से अधिक घायल हुए थे। इस घटना के बाद प्रशासन ने मंदिर की आवाजाही व्यवस्था में कई अहम बदलाव किए हैं ताकि किसी भी प्रकार की अव्यवस्था दोबारा न हो।
पैदल मार्ग पर पाबंदी और नया ट्रैफिक प्लान
सबसे बड़ा बदलाव सीढ़ियों वाले पारंपरिक पैदल मार्ग को लेकर किया गया है। प्रशासन ने इस रास्ते को फिलहाल श्रद्धालुओं के प्रवेश के लिए बंद कर दिया है। अब मंदिर तक पहुंचने और वापस लौटने के लिए अलग-अलग मार्ग निर्धारित किए गए हैं, जिससे भीड़ एक जगह पर न रुके और अव्यवस्था न फैले।
पुलिस तैनाती और बैरिकेडिंग से व्यवस्था मजबूत
मंदिर के प्रवेश द्वार से लेकर मुख्य गर्भगृह तक अब हर मोड़ पर पुलिस बल तैनात है। रविवार को पुलिस तैनाती सीमित होने के कारण भीड़ को संभालना मुश्किल हुआ था, लेकिन अब हर चप्पे पर निगरानी रखी जा रही है। शुरुआती बैरिकेडिंग से ही श्रद्धालुओं की संख्या को नियंत्रित किया जा रहा है।
श्रद्धालुओं की भीड़ अब भी बेहिसाब
हालांकि प्रशासन के प्रयासों के बावजूद आज भी मंदिर परिसर में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ रही है। जगह-जगह बैरिकेडिंग और कंट्रोल ज़ोन के बावजूद परिसर में पैर रखने तक की जगह नहीं मिल रही है। पुलिस का प्रयास है कि ज्यादा भीड़ होने पर श्रद्धालुओं को पहले ही रोक दिया जाए।
राजनीतिक प्रतिक्रिया और मुआवज़ा
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस घटना पर गहरा शोक जताया है। मुख्यमंत्री धामी ने घटना की मजिस्ट्रेट जांच के आदेश दिए हैं और मृतकों के परिजनों को ₹2 लाख की आर्थिक सहायता देने की घोषणा की है। सोमवार को उन्होंने हरिद्वार और ऋषिकेश के अस्पतालों में घायलों से मुलाकात कर उनकी स्थिति की जानकारी ली।
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