अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत को लेकर ऐसा बयान दिया है जिसने दुनिया भर के ऊर्जा बाजारों में खलबली मचा दी है। ट्रंप ने दावा किया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें आश्वासन दिया है कि भारत जल्द ही रूस से तेल की खरीद बंद करेगा। इस घोषणा के बाद तेल की कीमतों में अचानक उछाल देखने को मिला और अंतरराष्ट्रीय बाजार में नया तनाव पैदा हो गया।
तेल की कीमतों में तेजी
ट्रंप के इस बयान के कुछ ही घंटों के भीतर ब्रेंट क्रूड ऑयल की कीमत बढ़कर 62 डॉलर प्रति बैरल से ऊपर पहुंच गई, जबकि वेस्ट टेक्सास इंटरमीडिएट (WTI) लगभग 59 डॉलर प्रति बैरल पर स्थिर रहा। यह उछाल लगातार दो दिनों तक 2.2% की गिरावट के बाद दर्ज की गई। हालांकि, ट्रंप ने यह नहीं बताया कि भारत रूस से तेल खरीदना कब बंद करेगा। वहीं, भारत सरकार की तरफ से अब तक इस बयान की कोई औपचारिक पुष्टि नहीं की गई है।
रूस से सस्ते तेल का फायदा उठा रहा था भारत
ट्रंप ने व्हाइट हाउस में पत्रकारों से बातचीत के दौरान कहा, “प्रधानमंत्री मोदी ने मुझे आश्वासन दिया है कि भारत रूस से तेल की खरीद बंद कर देगा। यह बहुत बड़ा कदम होगा।” उन्होंने आगे कहा कि अमेरिका जल्द ही चीन पर भी इसी तरह का दबाव बनाएगा, क्योंकि चीन इस समय रूस से सबसे अधिक तेल खरीदने वाला देश है। भारत और चीन दोनों ही रूस से सस्ते दामों पर तेल खरीद कर अपनी ऊर्जा जरूरतों को पूरा कर रहे हैं। यह लेनदेन G7 देशों द्वारा लागू किए गए प्राइस कैप मैकेनिज्म के तहत संभव हुआ था — जिसका उद्देश्य रूस की कमाई पर लगाम लगाना और साथ ही वैश्विक तेल आपूर्ति को बनाए रखना था।
अमेरिका और भारत के बीच तनाव बढ़ा
अमेरिकी अधिकारियों ने बार-बार भारत पर “मुनाफाखोरी” का आरोप लगाया है। उनका कहना है कि भारतीय कंपनियां सस्ते तेल की खरीद कर उसे ऊंचे दामों पर बेचकर भारी लाभ कमा रही हैं। यह मुद्दा फिलहाल दोनों देशों के बीच चल रही व्यापार वार्ताओं में एक बड़ी चुनौती बना हुआ है। इस बीच, भारत के वाणिज्य सचिव ने कहा है कि देश के पास अमेरिका से अतिरिक्त 15 अरब डॉलर मूल्य का तेल खरीदने की क्षमता है।
ब्रिटेन ने भारतीय कंपनी नायरा एनर्जी पर लगाया प्रतिबंध
इसी बीच, ब्रिटेन सरकार ने रूस की सबसे बड़ी तेल उत्पादक कंपनियों, दो चीनी ऊर्जा फर्मों, और भारत की नायरा एनर्जी पर नए प्रतिबंध लगाए हैं। लंदन का कहना है कि ये कंपनियां रूसी ईंधन के कारोबार में सक्रिय हैं, जिससे रूस को आर्थिक लाभ मिल रहा है। पश्चिमी देश लगातार यह कोशिश कर रहे हैं कि रूस की ऊर्जा से होने वाली आय को सीमित कर यूक्रेन युद्ध की फंडिंग को रोका जा सके।
अमेरिका-चीन विवाद ने भी बढ़ाई बाजार की बेचैनी
हाल के हफ्तों में कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट दर्ज की गई थी क्योंकि अमेरिका और चीन के बीच बढ़ते व्यापारिक तनाव ने वैश्विक ऊर्जा मांग को लेकर चिंता बढ़ा दी थी। ट्रंप ने इस पर कहा कि अमेरिका इस समय “चीन के साथ व्यापार युद्ध में फंसा हुआ” है। वहीं, अमेरिकी ट्रेजरी सचिव स्कॉट बेसेंट ने संकेत दिया कि चीनी वस्तुओं पर लगने वाले टैरिफ को लेकर बातचीत कुछ समय के लिए रोकी जा सकती है ताकि क्रिटिकल मिनरल्स (महत्वपूर्ण खनिज) के विवाद को सुलझाया जा सके।
अमेरिकी तेल भंडार में अप्रत्याशित बढ़ोतरी
इसी बीच, एक औद्योगिक रिपोर्ट में खुलासा हुआ कि पिछले सप्ताह अमेरिका के तेल भंडार में 7.4 मिलियन बैरल की वृद्धि दर्ज की गई है। यदि आने वाले सरकारी आंकड़े भी इसे सही ठहराते हैं, तो यह जुलाई के बाद सबसे बड़ी साप्ताहिक बढ़ोतरी मानी जाएगी।
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