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वोट चोरी विवाद पर गरमााई सियासत, संसद से चुनाव आयोग तक विपक्ष का पैदल मार्च, पुलिस से भिड़ंत और बैरिकेड कूदते अखिलेश यादव

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देश की राजनीति इन दिनों मतदाता सूची में कथित हेरफेर के आरोपों पर उबाल पर है। नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी द्वारा “वोट चोरी” के गंभीर आरोप लगाने के बाद मामला और तूल पकड़ चुका है। इसी मुद्दे पर सोमवार को विपक्षी दलों के सांसदों ने संसद के मकर द्वार से चुनाव आयोग कार्यालय तक पैदल मार्च की योजना बनाई।

लेकिन दिल्ली पुलिस ने इस मार्च को आगे बढ़ने की अनुमति नहीं दी। आयोग के दफ्तर के बाहर पैरा मिलिट्री फोर्स और पुलिस के जवानों की भारी तैनाती कर दी गई और जगह-जगह बैरिकेड लगाकर रास्ता रोक दिया गया।

अखिलेश यादव ने बैरिकेड कूदकर दी चुनौती

पुलिस की रोक के बावजूद कई सांसद बैरिकेड पर चढ़ गए। समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने तो सीधे बैरिकेड लांघकर अपना विरोध जताया। वहीं, टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा और सागरिका घोष भी बैरिकेड्स पर चढ़ गईं। कुछ ही देर में अखिलेश वहीं धरने पर बैठ गए और कहा, “हम शांतिपूर्वक चलना चाहते हैं, लेकिन हमें रोका जा रहा है।”


कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने साफ कहा कि केवल 30 लोगों को चुनाव आयोग भेजने का प्रस्ताव विपक्ष को मंजूर नहीं है। उन्होंने कहा, “पूरा विपक्ष जाएगा, या फिर कोई नहीं जाएगा।” इस पर अखिलेश यादव ने भी समर्थन जताते हुए कहा, “जितनों को जाने देंगे, हम तैयार हैं, लेकिन रोकना लोकतांत्रिक परंपराओं के खिलाफ है।”

चुनाव आयोग की बैठक और प्रतिनिधिमंडल की सीमा

इससे पहले, भारत निर्वाचन आयोग ने विपक्षी दलों के 30 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल को दोपहर 12 बजे बैठक के लिए बुलाया था। आयोग की ओर से कांग्रेस सांसद जयराम रमेश को लिखे गए पत्र में कहा गया कि बैठक के लिए जगह सीमित है, इसलिए 30 से अधिक लोग शामिल नहीं हो सकते।

विपक्षी दलों का आरोप है कि उन्होंने आयोग को सामूहिक रूप से एक ज्ञापन सौंपने का समय मांगा था, न कि केवल एक सीमित प्रतिनिधिमंडल भेजने का। उनका कहना है कि यह मुद्दा पूरे विपक्ष से जुड़ा है, इसलिए सभी सांसदों को मिलने का मौका मिलना चाहिए। वोटर लिस्ट विवाद की पृष्ठभूमि

मतदाता सूची में गड़बड़ी को लेकर यह राजनीतिक संघर्ष पिछले कई दिनों से जारी है। राहुल गांधी ने सीधे चुनाव आयोग पर लोकतांत्रिक प्रक्रिया को प्रभावित करने का आरोप लगाया है और इसको “वोट चोरी” की साज़िश बताया है। उन्होंने इस मुद्दे पर एक राष्ट्रव्यापी अभियान शुरू किया है, जिसके तहत उन्होंने एक वेबसाइट लॉन्च कर नागरिकों से अपने अनुभव साझा करने और आंदोलन से जुड़ने की अपील की है।
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