By Jitendra Jangid- दोस्तो हिंदू धर्म में वास्तु शास्त्र का बहुत अधिक महत्व हैं, जो हमें जीने के नए नए नियम बताता हैं, हिंदू संस्कृति में, शुद्धता और स्वच्छता गहराई से निहित है, खासकर जब खाना पकाने और खाने की बात आती है। तो बिना नहाए खाना बनाना न केवल अशुभ माना जाता है, बल्कि आध्यात्मिक, ग्रहों और स्वास्थ्य के स्तर पर भी हानिकारक है। आइए जानते हैं पूरी डिटेल्स-

हिंदू धर्म में पवित्रता सर्वोपरि है
हिंदू परंपरा में, स्नान को शुद्धिकरण का एक मूल रूप माना जाता है। बिना नहाए खाना पकाने सहित किसी भी पवित्र या घरेलू काम को शुरू करना अशुद्ध और अपमानजनक माना जाता है।
देवता अशुद्ध प्रसाद स्वीकार नहीं करते
देवता भी बिना सफाई के बनाए गए भोजन को स्वीकार नहीं करते हैं। यदि कोई व्यक्ति बिना नहाए खाना बनाता है, तो देवताओं को चढ़ाया गया प्रसाद अमान्य हो जाता है।
देवी अन्नपूर्णा का वास रसोई में होता है
रसोई माँ अन्नपूर्णा का निवास स्थान है - जो भोजन की देवी हैं। इसलिए, रसोई स्थान में स्वच्छता और पवित्रता बनाए रखना आवश्यक है।

वास्तु शास्त्र: नकारात्मक ऊर्जा स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकती है
अशुद्ध अवस्था में खाना पकाने से नकारात्मक कंपन आकर्षित हो सकते हैं। यह भोजन की ऊर्जा को प्रभावित कर सकता है।
ग्रहों का प्रभाव: राहु और केतु दोष
बिना स्नान किए भोजन पकाने से राहु और केतु के अशुभ प्रभाव बढ़ सकते हैं, जिससे संभावित रूप से कुंडली में ग्रह दोष (ग्रह दोष) हो सकता है।
तामसिक भोजन और इसके प्रभाव
बिना स्नान किए पकाए गए भोजन को तामसिक माना जाता है, जो मन और शरीर में सुस्ती, नकारात्मकता और अशुद्धियों को बढ़ाता है। इससे घर के माहौल में सकारात्मकता कम होती है।
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