बरेली, 27 सितंबर . कांग्रेस नेता उदित राज ने बरेली में हुई हिंसा को लेकर गंभीर चिंता जताई है. उन्होंने समाचार एजेंसी से बातचीत में कई अहम मुद्दों पर अपनी राय रखी.
उन्होंने कहा कि इस घटना की जड़ में बेरोजगारी, मुद्रास्फीति और केंद्र Government की निष्क्रियता है. साथ ही, उन्होंने Police की कार्यप्रणाली और मीडिया की भूमिका पर भी सवाल उठाए हैं.
उदित राज ने कहा, “बरेली में एक मस्जिद के पास भारी भीड़ जमा हो गई थी. मैंने अखबार में इस बारे में पढ़ा था, जिसमें एक Police अधिकार के बयान का भी जिक्र था. Police अधिकारी ने अपने बयान में कहा कि भीड़ तो चली गई थी, लेकिन बाद में कुछ असामाजिक तत्वों ने उत्पात मचाया. इन लोगों ने पत्थरबाजी की, जिससे माहौल खराब हो गया. इस घटना के पीछे सोची-समझी साजिश हो सकती है.”
उन्होंने मांग की कि जो लोग इस हिंसा के लिए जिम्मेदार हैं, उन्हें तुरंत गिरफ्तार किया जाए और कड़ी सजा दी जाए. लेकिन वे चिंता जताते हैं कि अक्सर सजा में देरी होती है, जो समस्या को और बढ़ाती है.
उदित राज ने Police की तैयारी पर भी सवाल उठाए. उन्होंने कहा कि Police ने बैरिकेडिंग की और भीड़ को नियंत्रित करने की कोशिश की, लेकिन क्या यह तरीका सही था?
उन्होंने कहा कि बैरिकेडिंग आम बात है, लेकिन इसे इतना बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया गया ताकि मीडिया का ध्यान खींचा जा सके और Government को संदेश दिया जा सके. उनका कहना है कि इसका मकसद हिंसा फैलाना नहीं था, लेकिन हालात बेकाबू हो गए.
उन्होंने आरोप लगाया कि कुछ लोग, शायद विपक्षी दल या अन्य ताकतें, मुसलमानों को बदनाम करने की कोशिश कर रही हैं. उनका कहना है कि जुलूस या अन्य मौकों पर ऐसी घटनाओं का इस्तेमाल गलत मंशा से किया जाता है.
बातचीत के दौरान उदित राज ने लेह का जिक्र भी किया. उन्होंने सोनम वांगचुक की तारीफ की और उन्हें एक शांतिप्रिय और आदर्शवादी व्यक्ति बताया.
उन्होंने बताया कि लेह में 543 नौकरियों के लिए 50,000 लोगों ने आवेदन किया, जो बेरोजगारी की गंभीर समस्या को दर्शाता है. उनका कहना है कि मुद्रास्फीति और बेरोजगारी ही लोगों में गुस्सा पैदा कर रही है.
उन्होंने केंद्र Government पर निशाना साधते हुए कहा कि चीन ने लेह की जमीन पर कब्जा कर लिया, लेकिन Government चुप है. लोग चाहते हैं कि राज्य का विकास हो और उनकी बात सुनी जाए. उनका सुझाव है कि बातचीत से ही इस समस्या का हल निकाला जा सकता है.
उदित राज ने मीडिया पर भी सवाल उठाए. उन्होंने कहा कि बरेली हिंसा के पहले दिन मीडिया ने बिना जांच के कांग्रेस के एक पार्षद का नाम उछाला, जो गलत था. उनका मानना है कि मीडिया को जिम्मेदारी से काम करना चाहिए. इसके अलावा, उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में विरोध और प्रदर्शन जरूरी हैं. अगर विरोध को दबाया गया, तो लोकतंत्र कमजोर हो जाएगा.
बिहार की स्थिति पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि पिछले 20 सालों में वहां कोई बड़ा बदलाव नहीं हुआ. नौकरियां नहीं मिल रही, उद्योग नहीं लग रहे. उन्होंने नीतीश कुमार की मांग का जिक्र किया कि Patna विश्वविद्यालय को केंद्र का विश्वविद्यालय बनाया जाए, लेकिन वह भी पूरा नहीं हुआ.
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एसएचके/एएस
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