नई दिल्ली, 29 जून . भारत में हर साल एक जुलाई को ‘जीएसटी डे’ माना जाता है. इसी दिन आठ साल पहले 2017 में देश के सबसे बड़े टैक्स सुधारों में एक गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (जीएसटी) को लागू किया गया था.
जीएसटी को मोदी सरकार ने देश में व्यापार में आसानी के प्रयासों के तहत लागू किया था. इसमें राज्य सरकारों और केंद्र सरकार द्वारा लगाए जाने विभिन्न टैक्सों को जीएसटी के तहत लगाया गया, जिससे कि नियमों का अनुपालन आसानी से हो और व्यापारी अलग-अलग टैक्स की जगह एक टैक्स चुकाकर आसानी से अपने बिजनेस को चला पाए.
जीएसटी लागू तो 2017 में हुआ था, लेकिन इसे लाने का विचार पहली बार वर्ष 2000 में आया था. उस समय एक समिति का गठन जीएसटी कानून का ड्राफ्ट तैयार करने के लिए किया गया था. 2004 में समिति ने अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंप दी थी. इसके दो साल बाद 2006 के अपने बजट भाषण में तत्कालीन केंद्रीय वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने 2010 में जीएसटी को देश भर में लागू करने का ऐलान किया था, लेकिन इसके प्रावधानों को लेकर राज्यों और केंद्र सरकार के बीच मतभेदों के कारण यह लागू नहीं हो पाया था.
फिर 2014 में मोदी सरकार आने के बाद इस बिल पर तेजी से काम हुआ और मई 2015 में जीएसटी बिल को संसद से मंजूरी मिल गई. इसके बाद सितंबर 2016 में जीएसटी काउंसिल की पहली बैठक हुई है और 1 जुलाई 2017 में इसे पूरे देश में लागू कर दिया गया.
जीएसटी लागू करने का उद्देश्य देश में ‘एक देश-एक मार्केट-एक टैक्स’ के विचार को अमली जामा पहनाना था. जीएसटी लागू होने से सर्विस टैक्स, वैट, परचेस टैक्स, एक्साइज ड्यूटी, एंटरटेनमेंट टैक्स जैसे अन्य कई टैक्स समाप्त हो गए. हालांकि, अभी भी शराब, पेट्रोलियम पदार्थ और स्टाम्प ड्यूटी को जीएसटी से मुक्त रखा गया है और इन पर पुरानी टैक्स व्यवस्था ही लागू होती है.
जीएसटी लागू होने के बाद देश का टैक्स कलेक्शन भी तेजी से आगे बढ़ा है. वित्त वर्ष 24 में कुल 20.18 लाख करोड़ रुपए का जीएसटी कलेक्ट किया गया था और इस दौरान औसत जीएसटी कलेक्शन 1.68 लाख करोड़ रुपए था. वहीं, वित्त वर्ष 21 में यह आंकड़ा 11.37 लाख करोड़ रुपए था और इस दौरान औसत जीएसटी कलेक्शन 0.94 लाख करोड़ रुपए रहा था.
मई 2025 में जीएसटी कलेक्शन 2.01 लाख करोड़ रुपए रहा था, जो मई 2024 के 1.72 लाख करोड़ रुपए के मुकाबले 16.4 प्रतिशत अधिक था.
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एबीएस/
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