नई दिल्ली, 28 जून . शिव पुराण के 6 खण्ड और 24,000 श्लोक में भगवान शिव के महत्व को समझाया गया है. इसी शिव महा पुराण में भगवान शिव के द्वादश ज्योतिर्लिंग के बारे में भी वर्णन मिलता है.
शिव महा पुराण में वर्णित 12 ज्योतिर्लिंग में से एक यूपी में, एक उत्तराखंड में, एक झारखंड में, एक आंध्र प्रदेश, एक तमिलनाडु, दो मध्य प्रदेश में, तीन महाराष्ट्र में और दो गुजरात में स्थित है. इनको क्रमवार सोमनाथ, मल्लिकार्जुन, महाकालेश्वर, ओंकारेश्वर, केदारनाथ, भीमाशंकर, काशी विश्वनाथ, त्र्यंबकेश्वर, वैद्यनाथ, नागेश्वर, रामेश्वरम और घृष्णेश्वर के नाम से जाना और पूजा जाता है.
शिव महा पुराण के कोटिरुद्र संहिता में भगवान शिव के इन द्वादश ज्योतिर्लिंग का विस्तृत वर्णन मिलता है. जिसमें साक्षात भगवान शिव का वास बताया गया है. इसमें वर्णित है कि इन ज्योतिर्लिंगों के दर्शन से पापों का नाश, मानसिक शांति और मुक्ति की प्राप्ति होती है.
ऐसे में यह भी बताया गया है कि इनमें से किस ज्योतिर्लिंग का संबंध किस राशि से है और इनके दर्शन-पूजन से किस तरह का फल मिलता है.
ऐसे में ज्योतिष के अनुसार रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग का संबंध मेष राशि से है. ऐसे में माना जाता है कि रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग की पूजा करने से मेष राशि के जातकों के जीवन में सद्भाव और स्थिरता बढ़ती है.
सोमनाथ ज्योतिर्लिंग वृषभ राशि से संबंधित है. वृषभ राशि के जातकों को भगवान शिव का आशीर्वाद प्राप्त करने और कल्याण का अनुभव करने के लिए सोमनाथ ज्योतिर्लिंग की पूजा करने की सलाह दी जाती है.
बुध द्वारा शासित मिथुन राशि का संबंध नागेश्वर ज्योतिर्लिंग से है. यहां पूजा करने से मिथुन राशि के जातकों के जीवन में सकारात्मक ऊर्जा आने के साथ उनका आध्यात्मिक विकास होता है.
ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग का संबंध कर्क राशि से है. ऊँ यहां ज्योतिर्लिंग के ज्ञान और आध्यात्मिक क्षमता को व्यक्त करता है. ऐसे में कर्क राशि के जातकों को इस ज्योतिर्लिंग का दर्शन और पूजन करना चाहिए.
सिंह राशि का संबंध वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग से है, सिंह राशि के जातक इस ज्योतिर्लिंग की पूजा करके स्वास्थ्य, परिवार और राजनीतिक मुद्दों के लिए समाधान पा सकते हैं. यहां महादेव अपने भक्तों को अच्छे स्वास्थ्य, संतान और मंत्र सिद्धि का आशीर्वाद देते हैं.
कन्या राशि से संबंधित ज्योतिर्लिंग मल्लिकार्जुन है. इस ज्योतिर्लिंग के बारे में मान्यता है कि इसके दर्शन मात्र से अश्वमेध यज्ञ के बराबर फल प्राप्त होता है और विवाह संबंधित समस्याओं से मुक्ति मिलती है.
तुला राशि का संबंध महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग से है. यह एकमात्र दक्षिणमुखी ज्योतिर्लिंग है जहां दर्शन करने से तुला राशि के जातकों के जीवन से सभी भय और काल के भय दूर हो जाते हैं.
श्री घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग वृश्चिक राशि से संबंधित हैं. मान्यता है कि श्री घृष्णेश्वर के दर्शन से संतान सुख, विवाह योग और पारिवारिक समस्याओं से मुक्ति प्राप्त होती है.
काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग का संबंध धनु राशि से है. धनु राशि का स्वामी ग्रह बृहस्पति जीवन का प्रतिनिधित्व करता है और केतु मोक्ष का प्रतिनिधित्व करता है. यह ज्योतिर्लिंग व्यक्तियों को मोक्ष प्राप्त करने की दिशा में उनकी आध्यात्मिक यात्रा में मदद करता है.
भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग का संबंध मकर राशि से है. मंगल मकर राशि में उच्च का हो जाता है और इस ज्योतिर्लिंग की पूजा करने से उन व्यक्तियों को राहत मिल सकती है जिनकी जन्म कुंडली में मंगल कमजोर स्थिति में है.
कुंभ राशि से संबंधित ज्योतिर्लिंग केदारनाथ है. यहां पूजा-दर्शन करने से कुंभ राशि के जातक को आध्यात्मिक विकास और समृद्धि का आशीर्वाद मिलता है.
वहीं मीन राशि से संबंधित ज्योतिर्लिंग त्र्यंबकेश्वर है. मीन राशि में उच्च का शुक्र विलासिता, आराम और सांसारिक सुख देता है. ऐसे में माना जाता है कि इस ज्योतिर्लिंग के दर्शन से जीवन के इन पहलुओं से संबंधित आशीर्वाद मिलता है. जिन जातकों की जन्म कुंडली के छठे घर में शुक्र है, उन्हें त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग की पूजा करने की सलाह दी जाती है.
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जीकेटी/
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