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कल्याण चौबे ने फुटबॉल फेडरेशन को 'सर्कस' बना दिया है : बाइचुंग भूटिया

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कोलकाता, 20 जून . भारतीय फुटबॉल टीम के पूर्व कप्तान बाइचुंग भूटिया ने कहा है कि अखिल भारतीय फुटबॉल महासंघ (एआईएफएफ) के अध्यक्ष कल्याण चौबे ने इसे ‘सर्कस’ बना दिया है.

भूटिया ने एआईएफएफ में खराब प्रबंधन की समस्या को भी उजागर करते हुए कहा कि उन्हें नहीं पता कि ‘विजन 2047’ की उनकी योजना क्या है.

‘विजन 2047’ एआईएफएफ का एक रणनीतिक रोडमैप है, जिसका उद्देश्य वर्ष 2047 तक भारतीय फुटबॉल को एशिया में एक पावर हाउस में बदलना है.

हाल में हुए एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में देश में फुटबॉल की स्थिति को दुखद बताते हुए भूटिया ने कहा, “यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है कि हम रैंकिंग में 133वें स्थान पर हैं. हम सभी देख सकते हैं कि हम एशिया कप क्वालीफायर में संघर्ष कर रहे हैं. मेरा मानना है कि हमारे पास क्वालीफाई करने का अच्छा मौका है. लेकिन, साथ ही हमें यह भी समझना होगा कि एशिया कप में अब 24 टीमें हैं. मेरी कप्तानी के समय 16 टीमें थीं. हमें क्वालीफाई करना ही होगा.”

उन्होंने एआईएफएफ पर निशाना साधते हुए व्यंगात्मक अंदाज में कहा, “हमारे महान अध्यक्ष कल्याण चौबे ने पहले कहा था कि हम 2026 तक एशिया में शीर्ष 10 में होंगे. अब वह कह रहे हैं कि हमें इसके लिए 10 साल पहले ही तैयारी कर लेनी चाहिए थी. कल्याण चौबे के नेतृत्व में तीन साल में हमारी महिला टीम भी पिछड़ गई है. मौजूदा समय में एआईएफएफ सर्कस और कल्याण चौबे जोकर की तरह नजर आते हैं.”

इगोर स्टिमैक के टीम से अलग होने और फीफा 2026 विश्व कप क्वालीफायर से भारत के बाहर होने के बाद से टीम 2024 में जीत से दूर रही है. एकमात्र जीत मार्च में मिली जब अनुभवी स्ट्राइकर सुनील छेत्री ने संन्यास से वापसी करते हुए टीम को मालदीव पर 3-0 से जीत दिलाई. यह भारत की 489 दिनों में पहली जीत थी.

एआईएफएफ के अध्यक्ष कल्याण चौबे ने बाइचुंग भूटिया की संचालित वाणिज्यिक फुटबॉल अकादमियों पर लाभ कमाने के आरोप लगाए थे. उनके आरोपों का जवाब देते हुए भूटिया ने कहा, “मैं आम तौर पर प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान बाइचुंग भूटिया फुटबॉल स्कूलों के बारे में बात नहीं करता, लेकिन अब समय आ गया है. हमने 12 साल पहले टूर्नामेंट शुरू किया था और दो-तीन साल के भीतर हमने तय किया कि हमें टिकाऊ होने की जरूरत है. तभी हमने आफ्टर-स्कूल प्रोग्राम शुरू किया. 30 प्रतिशत छात्र छात्रवृत्ति पर हैं जबकि 70 प्रतिशत आफ्टर-स्कूल प्रोग्राम पर फोकस कर रहे हैं. हमारे पास 220 कोच, 70 केंद्र हैं और यह देश का सबसे बड़ा जमीनी स्तर का कार्यक्रम है. जो भी पैसा आता है, वह हमारे लक्ष्य की ओर जाता है.”

उन्होंने कहा, “कल्याण ने फीफा अकादमी के बारे में बात की थी, चार खिलाड़ी हमारे स्कूल से थे. उन्होंने महिला अकादमी के बारे में बात की, हमारे क्लब गढ़वाल एफसी ने टूर्नामेंट जीता था, जिसमें वे (इंडियन एरोज) उपविजेता रहे (इंडियन विमेंस लीग 2). उन्होंने खुद फुटबॉल में योगदान देने के लिए कुछ नहीं किया है, यहां तक कि जब वे खेलते थे, तब भी उनका ध्यान राजनीति पर रहता था.”

पीएके/एकेजे

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